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बिलासपुर-मनाली-लेह रेलमार्ग पर ट्रेन में विमान की खूबी वाले कोच

विश्व के सबसे ऊंचे ट्रैक बिलासपुर-मनाली-लेह रेलमार्ग के लिए रेलवे प्रेशराइज्ड कोच का इस्तेमाल करेगा।

By Sachin MishraEdited By: Published: Mon, 29 Oct 2018 03:43 PM (IST)Updated: Mon, 29 Oct 2018 03:43 PM (IST)
बिलासपुर-मनाली-लेह रेलमार्ग पर ट्रेन में विमान की खूबी वाले कोच
बिलासपुर-मनाली-लेह रेलमार्ग पर ट्रेन में विमान की खूबी वाले कोच

नई दिल्ली, प्रेट्र। भारत-चीन सीमा पर विश्व के सबसे ऊंचे ट्रैक बिलासपुर-मनाली-लेह रेलमार्ग के लिए रेलवे प्रेशराइज्ड कोच का इस्तेमाल करेगा। यह कोच विमान की तरह वायुदाब सहने में सक्षम होंगे। इससे यात्रियों को ऊंचाई पर कम आक्सीजन वाले क्षेत्रों से ट्रेन के गुजरने पर सांस लेने में परेशानी नहीं होगी। देश में पहली बार इस ट्रेन में ऐसे कोच लगाए जाएंगे। अभी चीन में क्विंघे-तिब्बत रेल मार्ग पर इस तरह के कोच का इस्तेमाल किया जा रहा है।

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प्रेशराइज्ड तकनीक का इस्तेमाल विमानों के केबिन बनाने में किया जाता है। इस तकनीक से केबिन के भीतर आक्सीजन का स्तर बनाए रखने में मदद मिलती है। समुद्र तल से पांच हजार फीट से ज्यादा की ऊंचाई पर यात्रियों को आक्सीजन की कमी महसूस न हो, इसलिए रेलवे विशेष दबाव वाले रोलिंग स्टॉक तकनीक का इस्तेमाल इन कोचों में करेगा। गौरतलब है कि 83, 360 करोड़ रुपये की लागत से बनने वाला 465 किलोमीटर लंबा और समुद्र तल से 5, 360 मीटर ऊंचा यह रेल मार्ग रणनीतिक रूप से भारत के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।

उत्तर रेलवे के मुख्य अभियंता (निर्माण) डीआर गुप्ता कहते हैं, 'अधिक ऊंचाई के कारण इस मार्ग पर यात्री सांस लेने में कठिनाई महसूस कर सकते हैं। इसके लिए दबाव सहने में सक्षम कोच बनाने होंगे।'

गुप्ता बताते हैं, 'चीन के तिब्बत रेल में आक्सीजन के स्तर को बनाए रखने के लिए दो प्रकार की प्रणाली का उपयोग किया जाता है। पहला, कमी वाले स्थान पर बटन दबाकर आक्सीजन के स्तर को पूरे कोच में संतुलित कर दिया जाता है और दूसरा, हर यात्री के लिए अलग से आक्सीजन पोर्ट होता है और जरूरत पड़ने पर जिनका वे इस्तेमाल करते हैं।'

कनाडाई कंपनी बॉमबार्डियर इंक (जो छोटे वायुयान भी बनाती है) ने चीन के लिए ऐसे कोच डिजाइन किए हैं। हालांकि, अभी यह तय नहीं है कि इन कोचों का उत्पादन भारत में होगा या फिर बाहर से मंगाए जाएंगे।

बिलासपुर-मनाली-लेह लाइन

यह लाइन बिलासपुर और लेह के प्रमुख शहरों को जोड़ेगी, जिनमें सुंदरनगर, मंडी, मनाली, केलांग, कोकसार, दरचा, उपसी व कारु प्रमुख हैं। इससे हिमाचल प्रदेश और जम्मू-कश्मीर के प्रमुख शहर भी जुड़ेंगे। पहले फेज के सर्वे के अनुसार इस परियोजना में 74 सुरंग, 124 बड़े व 396 छोटे पुल शामिल हैं। हालांकि, अंतिम लोकेशन सर्वे अभी जारी है।


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