भाई की कलाई पर सजेगी स्वदेशी राखी
भाई की कलाई पर इस बार स्वदेशी राखी ही सजेगी। मनाली की स्वयंसेवी संस्था राधा के सदस्य व बच्चे राखियां बना रहे हैं।
जागरण संवाददाता, मनाली : भाई की कलाई पर इस बार स्वदेशी राखी ही सजेगी। मनाली की स्वयंसेवी संस्था (एनजीओ) राधा भी राखियां बना रही है। गलवन घाटी में चीन की कायराना हरकत के बाद देशभर में चीनी सामान का बहिष्कार हो रहा है। ऐसे में राधा एनजीओ के बच्चों व सदस्यों द्वारा तैयार रंग-बिरंगी राखियों की मांग बढ़ गई है। राधा एनजीओ के 10 से अधिक बच्चे व सदस्य इन दिनों रंग बिरंगी राखियां बनाने में जुटे हैं। 10 से 20 रुपये के बीच राखी के दाम रखे गए हैं। अभी तक संस्था को तीन हजार राखियों की मांग आई है।
राधा एनजीओ ने कोविड-19 के बीच आर्थिकी सुधारने के लिए राखी का सहारा लिया है। हालांकि संस्था के बच्चे व सदस्य हर साल राखियां बनाते हैं, लेकिन चीनी राखियों के कारण इनकी मांग कम रहती थी। इस बार लोग स्वदेशी को तरजीह दे रहे हैं। ऐसे में राधा संस्था को राखियों के ऑर्डर मिल रहे हैं। राधा एनजीओ के बच्चे भारतीय सेना के जवानों की कलाई में भी राखी बांधेंगे। एनजीओ के सभी सदस्यों को उम्मीद है की इस बार उनकी राखी की मांग बढ़ेगी।
राधा एनजीओ की संचालिका सुदर्शना ठाकुर का कहना है कि इस बार चीनी सामान का बहिष्कार किया है जिससे उनकी राखी की मांग बढ़ने की उम्मीद जगी है। रक्षाबंधन भाई-बहन के पवित्र रिश्ते को मजबूत बनाने का त्योहार है। इस पर्व का ऐतिहासिक, सामाजिक, धार्मिक और राष्टीय महत्व है। यह भाई एवं बहन के भावनात्मक संबंधों का प्रतीक पर्व है। उन्होंने लोगों से आग्रह किया कि चीनी राखी की बजाय राधा एनजीओ के बच्चों के हाथ से बनी राखी खरीदें।