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मां जगन्ननाथी मंदिर से खाली हाथ नहीं लौटता है भक्त

संवाद सहयोगी, कुल्लू : जिला कुल्लू के खराहल घाटी के पुईद गांव में मां जगन्ननाथी के दर से आज

By JagranEdited By: Published: Mon, 09 Oct 2017 03:00 AM (IST)Updated: Mon, 09 Oct 2017 03:00 AM (IST)
मां जगन्ननाथी मंदिर से खाली हाथ नहीं लौटता है भक्त
मां जगन्ननाथी मंदिर से खाली हाथ नहीं लौटता है भक्त

संवाद सहयोगी, कुल्लू : जिला कुल्लू के खराहल घाटी के पुईद गांव में मां जगन्ननाथी के दर से आज तक कोई भी भक्त खाली हाथ नहीं लौटा है। पुइद गांव में बने मंदिर का नजारा अति सुंदर है। मंदिर में माता की मूर्ति स्थापित की गई है। पुइद गांव के जीवन शर्मा ने बताया कि माता जगन्ननाथी भेखली से आई हुई हैं। ये दो बहनें थी खेलते खेलते एक बहन घराकड़ आई और इसके बाद माता पेडुशाल पहुंची। पेडुशाल में लोगों ने एकत्रित होकर देउली की। तब माता ने बताया कि वाभ का पेड़ जहां पर होगा वहीं मेरा स्थान होगा। वहां पर भव्य मंदिर का निर्माण किया जाए। इसके बाद लोगों ने पुइद में देखा तो वहां पर वाभ का पेड़ था। इसके बाद ग्रामीणों ने यहां पर मंदिर का निर्माण किया। आज भी माता का ¨पडी रूप यहां पर विराजमान है। साल में एक बार यहां पर मेले का भी आयोजन किया जाता है। यहां पर 60 से 80 घर मौजूद हैं।

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बताया जाता है कि दो भाई लगभग 600 साल पूर्व राजस्थान से पुइद गांव आए थे। यहां पर उन्होंने काम करना शुरू किया। धीरे-धीरे वे यहां पर बसने लगे। देखते ही देखते यहां पर दो से चार चार से छह और आज 60 से 80 घर ब्राह्माण परिवार हैं।

बताया जाता है कि यहां आने पर हर भक्त की मुराद माता पूरी करती है। माता के दर पर सच्चे मन से जो भी आता है उसकी माता जरूर सुनती है।

मंदिर के पुजारी ने बताया कि माता के दर से आज तक कोई भी खाली हाथ नहीं लोटा है। कईयों की सुनी गोद को माता ने भरा है।


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