Dussehra 2019: देवमहाकुंभ के लिए तैयारियां जोरों पर, जल्द दिखेगा स्वर्ग जैसा नजारा
Dussehra 2019 कुल्लू में विश्व विख्यात देवमहाकुंभ अंतरराष्ट्रीय दशहरा उत्सव की तैयारियां जोरों पर है पुजारियों ने अपने-अपने देवरथों को सजाकर रवाना कर दिया है।
कुल्लू, जेएनएन। Dussehra 2019 विश्व विख्यात देवमहाकुंभ अंतरराष्ट्रीय दशहरा उत्सव के लिए रघुनाथ जी की नगरी में तैयारियां पूरे जोरशोर से चली हुई हैं। अब बस थोड़े इंतजार के बाद देवी-देवताओं के आगमन के साथ अठारह करडू की सौह में स्वर्ग जैसा नजारा देखने को मिलेगा। दशहरा उत्सव के लिए जहां जिला प्रशासन सहित अन्य विभाग पूरी तैयारियों में जुटे हुए हैं, वहीं जिले के दुर्गम क्षेत्रों के देवी-देवताओं ने भी अपने हारियानों और लाव लश्कर के साथ उत्सव के लिए प्रस्थान कर दिया है।
ढालपुर, प्रदर्शनी मैदान, मीना बाजार सहित अन्य स्थलों में बाहरी राज्यों के व्यापारी दुकानें सजाने में लगे हुए हैं। रथ मैदान और देवथलियों की भी साफ-सफाई का कार्य लगभग पूरा हो गया है। पुजारियों ने अपने-अपने देवरथों को सजाकर देवभूमि में होने वाले देवमिलन के लिए वाद्ययंत्रों की थाप के साथ रवाना कर दिया है जबकि नजदीक के कुछ देवी-देवता आज प्रस्थान करेंगे। एक दिन बाद सोने-चांदी के आभूषणों से सुसज्जित देवी-देवताओं के कुल्लू पहुंचने पर रघुनाथ जी की नगरी वाद्ययंत्रों की धुन से गूंज उठेगी।
देवी-देवताओं के आगमन के साथ ही मंगलवार को दशहरा उत्सव का आगाज होगा और सात दिनों तक देवी-देवताओं के अस्थायी शिविरों में देश-विदेश के भक्तों का तांता लगेगा। देवी-देवताओं के सैकड़ों कारकून व देवलू भी अपने-अपने देवी व देवता की सात दिनों तक चाकरी करेंगे और लोग अपने-अपने देवताओं के शिविरों में परिवार की सुख-शांति के लिए देवरथों के आगे नतमस्तक होंगे।
जिला प्रशासन की ओर से भी बेशकीमती आभूषणों से सजे देवी-देवताओं के रथों को कड़ी सुरक्षा मुहैया करवाई जा रही है। एसपी कुल्लू गौरव सिंह ने बताया कि देवी-देवताओं के हर पड़ाव पर पुलिस का कड़ा सुरक्षा घेरा रहेगा।
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सप्ताहभर देवालयों में छाई रहेगी खामोशी
इस देवमहाकुंभ में जिलेभर के कोनेकोने से देवी-देवता अपने-अपने मूल स्थानों व देवालय को छोड़कर जब कुल्लू पहुंचेंगे तो सबसे पहले भगवान रघुनाथ जी के दरबार में हाजिरी भरेंगे और उसके बाद ढालपुर मैदान सहित अन्य स्थलों में अपने अस्थायी शिविरों में डेरा डालेंगे। मंगलवार से जिलेभर के देवालयों में पूरे एक सप्ताह तक खामोशी छाई रहेगी और घाटी के लोग अपने-अपने देवताओं के लौटने का बेसब्री से इंतजार करेंगे।
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