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Kullu Shawls: खड्डी पर ताने-बाने से बनती है कुल्लवी शाल, पीएम मोदी करते हैं जिसकी विदेशों में भी ब्रांडिंग

Kulluvi Shawl प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने हिमाचली उत्पादों का जिक्र अपने संबोधन में करते हैं। मंडी रैली को वर्चुअली संबोधित करते हुए उन्होंने कुल्लू शाल का जिक्र किया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कुल्लवी शाल के साथ टोपी को भी ब्रांड बना दिया है।

By Edited By: Published: Sat, 24 Sep 2022 11:42 PM (IST)Updated: Sat, 24 Sep 2022 11:42 PM (IST)
Kullu Shawls: खड्डी पर ताने-बाने से बनती है कुल्लवी शाल, पीएम मोदी करते हैं जिसकी विदेशों में भी ब्रांडिंग
Kullu Shawls: खड्डी पर ताने-बाने से बनती है कुल्लवी शाल, जिसकी पीएम मोदी करते हैं ब्रांडिंग : जागरण

कुल्लू, जागरण टीम: रंग बिरंगी और ठंड में गर्मी का अहसास दिलाने वाली कुल्लवी शाल की चमक ही अलग है। ऊन से फूलदार डिजाइन वाली व खड्डी (हथकरघा) पर ताना-बाना बुनकर कुल्लवी शाल तैयार किया जाता है। एक साधारण (कम बारीकी) वाली शाल एक दिन में खड्डी पर तैयार की जाती है, लेकिन पारंपरिक डिजाइन और अधिक बारीकी वाली एक शाल को तैयार करने में कम से कम 40 से 45 दिन का समय बुनकर को लगता है।

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साधारण शाल की कीमत जहां 500 से शुरू होती है। डिजाइनदार शाल की कीमत 25 हजार से लेकर 45 हजार रुपये तक के मध्य होती है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने हिमाचली उत्पादों का जिक्र अपने संबोधन में करते हैं। मंडी रैली को वर्चुअली संबोधित करते हुए उन्होंने कुल्लू शाल का जिक्र किया।

भुट्टिको सोसायटी के मुख्य महाप्रबंधक रमेश ठाकुर व हथकरघा में राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित बुनकर उत्तम चंद के अनुसार प्रधानमंत्री ने कुल्लवी शाल के साथ टोपी को भी ब्रांड बना दिया है। प्रधानमंत्री देश में ही नहीं विदेशी मंचों पर भी कुल्लवी शाल व टोपी में नजर आते हैं। इस बार प्रधानमंत्री द्वारा इस बार भी कुल्लू शाल का जिक्र करने के लिए जिला के बुनकरों में खुशी का माहौल है।

स्थानीय अर्थव्यवस्था में कुल्लू शाल का महत्व

कुल्लू शाल घाटी की अर्थव्यवस्था में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। यहां के लोगों के लिए खड्डी पर शाल, टोपी, पट्टी तैयार कर बेचना प्रमुख आय स्त्रोतों में से एक है। कुल्लवी शाल हथकरघा से बुने जाते हैं और यह हथकरघा ग्रामीण इलाकों के लगभग हर घर में पाए जाते हैं। कुल्लू की शाल हिमाचल की विरासत का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है जिसके कारण केंद्र सहित प्रदेश सरकार बुनकरों को कई लाभ प्रदान करती है, ताकि इस विरासत को विकसित और संरक्षित किया जा सके।

मशीनों पर तैयार शाल ने बढ़ाई परेशानी

वैसे तो कुल्लू शाल खड्डी पर कई दिनों की मेहनत के बाद तैयार होती है, लेकिन अब कुल्लवी शाल के डिजाइन पैटर्न की कापी करके मशीनों पर एक दिन में हजारों शाल का उत्पादन कर सस्ते दामों पर इन्हें बेचा जा रहा है। इससे हथकरघा उद्योग से जुड़े लोगों को कई चुनौतियां सामने आ रही हैं।

पीएम मोदी करते हैं कुल्लू शाल की ब्रांडिंग

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी हर मंच से जिक्र कर कुल्लू शाल की ब्रांडिंग करते हैं, इससे बुनकरों को मनोबल बढ़ता है। साथ ही कुल्लू शाल की मांग भी बढ़ती है। भुट्टिको हर स्तर पर इसे आगे ले जाने के लिए प्रयासरत है लेकिन छोटे बुनकरों को बढ़ावा देने के लिए इस दिशा में कार्य करने की जरूरत है। -सत्य प्रकाश ठाकुर, चेयरमैन भुट्टिको सोसायटी कुल्लू।

मोदी ने 2002 में खरीदी थी लाहुली जुराबें

मनाली: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जब हिमाचल के प्रभारी थे तो दो जून 2002 को तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की रैली में लाहुल के केलंग आए थे। उन्होंने उस समय जनसभा में बैठी महिलाओं को जुराब बुनते देखा उनकी प्रशंसा की थी। जाती बार वह लाहुली जुराबें खरीदकर ले गए थे। यह जुराबें उन्हें सर्दी के मौसम में काम आई थीं। तबसे नरेन्द्र मोदी लाहुली जुराब से परिचित हैं।

शनिवार को उन्होंने मंडी में भाजयुमो की युवा विजय संकल्प रैली को वर्चुअली संबोधित करने के दौरान लाहुली जुराब का जिक्र किया। लाहुल की यह ऊनी जुराबें माइनस तापमान में ठंड से बचाती हैं। घाटी की महिलाएं भेड़-बकरियों की ऊन से घागा तैयार कर इन जुराबों को बुनती हैं।

अब तो लाहुली जुराब को जीआइ टैग मिल गया है जिससे हथकरघा कारोबार से जुड़ी महिलाओं को फायदा हुआ है। लाहुली घाटी की करीब 15 हजार से अधिक महिलाएं इस पारंपरिक कारोबार से सीधे तौर पर जुड़ी हैं।

सेव लाहुल-स्पीति संस्था के अध्यक्ष प्रेम कटोच ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने लाहुली जुराब का जिक्र किया है जिससे इस जुराब की देश भर में बिक्री बढ़ेगी और लाहुल स्पीति की महिलाओं को लाभ होगा। जीआइ टैग मिलने का फायदा हथकरघा कारोबार से जुड़ी महिलाओं को मिला है।


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