देवताओं के समागम से नंदी गायब
देवताओं का सबसे बड़ा महाकुंभ और यहां से नंदी ही गायब है।
जागरण संवाददाता, कुल्लू : देवताओं का सबसे बड़ा महाकुंभ और यहां से नंदी ही गायब है। जी हां, हम बात कर रहे हैं अंतरराष्ट्रीय कुल्लू दशहरा की। यहां पूरी घाटी से 278 देवता भाग ले रहे हैं। इसमें भगवान शिव के रूप बिजली महादेव भी शामिल हैं, लेकिन दशहरा में लगने वाले पशु मेले में इस बार एक भी बैल नहीं आया है। इसे आधुनिकता की अंधी दौड़ में हुए मशीनीकरण की मार कहें या कुछ और लेकिन जो मेला पशुओं के व्यापार से शुरू हुआ था आज वहां केवल जर्सी गाय ही नजर आ रही है।
कहा जाता है जब दशहरा शुरू हुआ था तो उस समय पशुओं का ही सबसे अधिक व्यापार होता था, लेकिन आधुनिकता की दौड़ में जैसे खेतों में पॉवर टिल्लरों और ट्रैक्टरों का उपयोग बढ़ने लगा उसके बाद बैल सड़कों पर आ गए। यही कारण रहा कि यहां पशुपालन विभाग की ओर से लगने वाले पशु मेले में बैलों का आंकड़ा पिछले सालों से लगातार कम होते-होते इस बार शून्य हो गया। ऐसे में अगर किसी को बैल की पूजा करनी हो तो यहां एक भी बैल नहीं मिलेगा।
मेले में 60-70 के करीब जर्सी गाय हैं, जबकि देसी गाय एक भी नहीं है। मेले में गायों का व्यापार खूब चल रहा है, लेकिन बैल केवल सड़कों पर ही लावारिस नजर आ रहे हैं। पिछले वर्ष यहां केवल छह बैल आए थे, उससे पहले 10 से 12 थे। लेकिन इस बार न तो यहां कोई बैलों का खरीदार है और न बेचने वाला। देवताओं के महाकुंभ जहां भगवान शिव स्वयं विराजते हैं, वहां उनकी सवारी यानी नंदी का गायब रहना अपने आप में बड़ा सवाल है।
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इस बार पशु मेले में 60 से 70 के करीब जर्सी गाय आई हैं और इनका व्यापार लगातार जारी है, लेकिन इस बार एक भी बैल पशु मेले में नहीं आया है।
-डॉ. संजीव नड्डा, उपनिदेशक पशुपालन विभाग कुल्लू।