राजनीति की शिकार भोज पानी-लांबी डूंगरी सड़क
मंडी संसदीय क्षेत्र का आनी विधानसभा हलके की शिल्ली पंचायत के 12 गांव अब भी सड़क सुविधा से महरूम हैं। इतना ही नहीं पांवटी स्थित पंचायत मुख्यालय और एक स्कूल भी सड़क सुविधा से नहीं जुड़ पाए हैं। इन गांवों को सड़क से जोड़ने की कवायद करीब चार साल
पूजा गुप्ता, आनी
मंडी संसदीय क्षेत्र का आनी विधानसभा हलके की शिल्ली पंचायत के 12 गांव अब भी सड़क सुविधा से वंचित हैं। इतना ही नहीं पांवटी स्थित पंचायत मुख्यालय और एक स्कूल भी सड़क सुविधा से नहीं जुड़ पाए हैं। इन गांवों को सड़क से जोड़ने की कवायद करीब चार साल पहले 2014-15 में शुरू हुई थी। भोज पानी से लांबी डूंगरी तक करीब साढ़े पांच किलोमीटर लंबी सड़क बनाने को लेकर सर्वे किया गया था। उस समय सड़क निर्माण के लिए भूमि मालिकों से शपथपत्र मांगे थे। लोगों ने शपथपत्र दे भी दिए थे, लेकिन राजनीतिक भेदभाव के चलते सड़क निर्माण प्रक्रिया को जानबूझ कर ठंडे बस्ते में डाल दिया गया। शिल्ली पंचायत के 12 गांवों के लोगों का आरोप है कि उन्हें राजनीतिक द्वेष का शिकार होना पड़ रहा। शिल्ली पंचायत के मुख्यालय को जोड़ती हुई भोज पानी से लांबी डूंगरी सड़क करीब पांच सालों से प्रस्तावित सड़क के निर्माण में लेटलतीफी भाजपा और कांग्रेस द्वारा इन गांवों की जनता को कभी कांग्रेस का तो कभी भाजपा का गढ़ बताकर इस सड़क को ठंडे बस्ते में डाल दिया है। यहां हालात यह हैं कि मरीज को अस्पताल से पहले सड़क तक पहुंचाने के लिए पीठ पर ढोकर या पलंग का सहारा लेना पड़ रहा है। भवन निर्माण का सामान सड़क से गांव तक पहुंचाने के लिए या राशन पहुंचाने के लिए 120 से 150 रुपये प्रति कट्टा मजदूरी देनी पड़ रही है। नतीजतन 12 गांवों की कुल एक हजार आबादी में से करीब 600 से ज्यादा मतदाताओं ने मतदान ही न करने का मन बनाया है। उनका मानना है कि जब मतदान ही नहीं करेंगे तो दोनों दल इस बात का अंदाजा भी नहीं लगा पाएंगे कि किसे कितनी बढ़त मिली है। लोगों का कहना है कि जल्द ही चुनावों के बहिष्कार को लेकर सभी लोग मिलकर एक बैठक करेंगे।
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दो बार संयुक्त निरीक्षण फिर भी प्रगति नहीं
इस सड़क के बन जाने से लाभान्वित हो सकने वाले लाम्बी डूंगरी, पुराना कुटल, टपरांडा, सुमा, बाइधार, स्रावी, बशलानी, पांवटी, चलूणा, जलारधार, तनौटा और लाम्बी डूंगरी आदि गांवों के ग्रामीणों गोपी ठाकुर, कौर सिंह,धर्म सिंह, भगवान दास, विनोद कुमार, राम कृष्ण, संजीव कुमार, दीपक कुमार, प्रकाश चंद, राज कुमार, प्रदीप कुमार आदि का कहना है कि इस सड़क निर्माण को लेकर उन्होंने एक नहीं बल्कि दो दो बार संयुक्त निरीक्षण हो चुका है। गिफ्ट डीड कर दी है। यहां तक कि सड़क का सर्वे हो गया। इसे बजट में डाल दिया गया। इसके लिए वे खुद भी प्रयत्नशील रहे। लेकिन इस सड़क को जानबूझकर भाजपा और कांग्रेस के नुमाइंदों ने उलझा दिया। इनके कारण उनका अब लोकतांत्रिक प्रक्रिया से ही विश्वास उठना शुरू हो गया है और अब मतदान न करने का मन बनाया जा रहा है।
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आज भी 12 गांवों में सड़क न होने के कारण लोगों को काफी परेशानी होती है। राजनीतिक पार्टियों को लोगों का दर्द समझना चाहिए। आज भी यहां के लोग एंबुलेंस से महरूम हैं।
-कौर सिंह, आनी।
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दो बार सर्वे होने के बावजूद सड़क का काम न होना कहीं न कहीं लापरवाही को दर्शाता है। अधिकारियों और नेताओं को इस पर कड़े आदेश जारी करने चाहिए ताकि लोगों को राहत मिल सके।
-प्रदीप, आनी।
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सड़क सुविधा से महरूम गांवों के लोग चुनावों से दूरी बनाने का मन बना चुके हैं। नेताओं को केवल चुनावों के समय ही याद आती है।
-धर्म सिंह, आनी।
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कहने को तो विकास के बड़े-बड़े दावे किए जाते हैं लेकिन अगर सड़क सुविधा ही मुहैया नहीं करवाई जा सकी है तो ऐसे में लोग विकास की क्या उम्मीद करेंगे।
-सोनू ठाकुर, आनी।
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इस सड़क को मैंने विधायक प्राथमिकता में डलवा दिया है। फॉरेस्ट क्लीयरेंस के लिए केस भेज दिया है। जैसे ही एनओसी आएगी, प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी।
-किशोरी लाल सागर, विधायक (भाजपा) आनी।
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भाजपा ने विधानसभा चुनावों में लोगों को लॉलीपॉप दिया था की इस सड़क का काम वे प्राथमिकता के आधार पर करेंगे। लेकिन यह सड़क अभी तक कहीं भी विधायक प्राथमिकता में नहीं है। यह लोगों के साथ सरासर धोखा है।
-परस राम, कांग्रेस नेता आनी।
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विभाग अपना काम मुस्तैदी से कर रहा है। हमने इस सड़क की फाइल फॉरेस्ट क्लीयरेंस के लिए देहरादून भेज दी है। मंजूरी मिलते ही एनपीवी जमा होगी और डीपीआर बनाकर टेंडर किए जाएंगे।
-पासंग नेगी, अधिशाषी अभियंता लोक निर्माण विभाग निरमंड मंडल।