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संगम विकसित नहीं हुआ, डबल लेन पुल भी हवा में

जिला कुल्लू के भुंतर स्थित जिया संगम स्थल जहां पर मई 1991 में भारत के पूर्व प्रधानमंत्री स्व. राजीव गांधी की अस्थियों का विसर्जन भी किया गया है वह स्थल आज इतने वर्षों बाद भी सरकार की नजर-ए-इनायत को तरस रहा है। कई सरकारें आई कई गई लेकिन किसी ने भी इस स्थल और यहां की जनता की अन्य समस्याओं को समझने और उनका समाधान करवाने की जहमत तक नहीं उठाई।

By JagranEdited By: Published: Tue, 07 May 2019 07:53 AM (IST)Updated: Tue, 07 May 2019 07:53 AM (IST)
संगम विकसित नहीं हुआ, डबल लेन पुल भी हवा में
संगम विकसित नहीं हुआ, डबल लेन पुल भी हवा में

कमलेश वर्मा, कुल्लू

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जिला कुल्लू के भुंतर स्थित जिया संगमस्थल पर मई 1991 में पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय राजीव गांधी की अस्थियों को विसर्जन भी किया गया था। इतने साल बाद भी यह स्थल सरकार की नजर-ए-इनायत को तरस रहा है। कई सरकारें आई और गई, लेकिन किसी ने भी इस स्थल और यहां की जनता की अन्य समस्याओं को समझने और उनका समाधान करवाने की जहमत तक नहीं उठाई। न ही ब्यास और पार्वती के संगम स्थल को विकसित किया गया और न ही 27 साल से जो राजीव घाट बनने का सपना जनता देख रही है उस योजना को अमलीजामा पहनाया जा सका। यही कारण है कि आज भी यह स्थल विकसित होने की राह देख रहा है। यहीं नेचर पार्क बनाने की घोषणा भी हुई, लेकिन उसके के अलावा कुछ नहीं हो पाया। इसके अलावा 23 साल से भुंतर बैली ब्रिज के स्थान पर डबल लेन पुल बनाने का सपना साकार हो पाया है। चंडीगढ़-मनाली नेशनल हाइवे भुंतर में बने संकरे बैली ब्रिज के कारण हर साल विकराल रूप धारण कर रही ट्रैफिक जाम की समस्या से जूझ रही स्थानीय जनता अब भाजपा व कांग्रेस दोनों ही सरकारों से इस समस्या का जबाव मांग रही है। 23-24 साल से इस सिगल लेन पुल के कारण हर साल समर व विटर सीजन के समय तो ट्रैफिक जाम लगता ही है, लेकिन ऐसे भी हर रोज स्थानीय व देशी-विदेशी पर्यटकों को जाम की समस्या से दो-चार होना पड़ रहा है। स्थानीय जनता के अनुसार इतने सा लसे कई सरकारें आई और कई गई लेकिन भुंतर पुल की समस्या को किसी ने भी गंभीरता से नहीं लिया इतने समय में इस अस्थायी ब्रिज के स्थान पर स्थायी ब्रिज तक का निर्माण नहीं हो पाया है। पिछले कई साल से जाम की समस्या से जूझ रहे पर्यटक भी अब कुल्लू-मनाली, मणिकर्ण सहित अन्य पर्यटन स्थलों से मुंह मोड़ने लगे हैं, जिसके चलते दो-तीन सालों से जिला में पर्यटकों की संख्या में भी भारी कमी आई है, पर्यटन व्यवसायी भी काफी परेशान हैं। लिहाजा, सरकारें बदलती रही और भुंतर की यह सभी योजनाएं राजनीति की भेंट चढ़ती गई, लेकिन अब जनता का गुस्सा सातवें आसमान पर है और इसी के चलते जनता ने मन बना लिया है कि इस बार लोकसभा प्रत्याशियों से भुंतर की जनता हर चीज का हिसाब मांगेगी।

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इस पवित्र व ऐतिहासिक स्थल पर संक्रांति व अन्य त्योहारों में देवी-देवता के साथ देशभर के श्रद्धालु आस्था की डुबकी लगाने आते हैं। यहां पर पूर्व प्रधानमंत्री की अस्थियां विसर्जित करने के बाद सरकार की ओर से राजीव घाट बनाने की योजना थी, लेकिन यह सपना आज 27 साल बीत जाने के बाद भी पूरा नहीं हो सका है।

-ऊषा, भुंतर।

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इस पुल पर हर रोज लग रहे जाम की समस्या के चलते कई बार भाजपा व कांग्रेस दोनों ही सरकारों के नेताओं से इसकी हालत सुधारने की मांग की गई है, लेकिन किसी भी सरकार को लोगों की इस गंभीर समस्या को हल करवाने के लिए समय नहीं मिल पाया है। भुंतर के समाजिक संगठन, महिला मंडल व स्वयं सहायता समूह के अलावा स्थानीय जनता में दोनों की सरकारों के प्रति भारी रोष है।

-अंजना देवी, भुंतर।

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कई सरकारें आई कई गई, लेकिन इतना लंबा अरसा बीत जाने के बावजूद भुंतर की सभी समस्याएं जस की तस बनी हुई है। इतने सालों से भुंतर की स्थानीय जनता, दुकानदारों के साथ-साथ हर साल कुल्लू-मनाली व मणिकर्ण आने वाले लाखों सैलानियों को भी इस सिगल लेन पुल के कारण ट्रैफिक जाम की समस्या से जूझना पड़ रहा है और न ही राजीव घाट बना और संगमस्थल भी विकसित नहीं हो पाया है।

-मुनीष कौंडल, भुंतर।

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प्राकृतिक सुंदरता के कारण यह स्थल पर्यटकों को अपनी ओर खींचता है लेकिन पर्यटकों के लिए कोई भी सुविधा न होने के कारण पर्यटक यहां रुक नहीं पाते हैं। वर्तमान में यह पवित्र स्थल खनन माफिया का अड्डा बन चुका है। अवैध खनन से इस धार्मिक एवं प्राकृतिक स्थल को ग्रहण लगता नजर आ रहा है। कांग्रेस व भाजपा दोनों ही सरकारों ने इतने वर्षों से इस गंभीर समस्या को ध्यान से नहीं दिया है।

-ऋषिराज, भुंतर।

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भुंतर क्षेत्र सरकार की नजर-ए-इनायत को तरस रहा है। इतने साल से संगम स्थल विकसित करने, राजीव घाटी और डबल लेन पुल का निर्माण करने में दोनों ही सरकारें पूरी तरह से नाकामयाब रही हैं। घोषणाएं हुई लेकिन इतने साल में कोई भी योजना पूरी नहीं हुई केवल कागजी घोड़े ही दौड़ाए जा रहे हैं। धरातल पर कोई प्रगति नजर नहीं आ रही है।

-मेघ सिंह कश्यप, समाजसेवी भुंतर।

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यदि जनता एक बार फिर मुझे मौका देती है तो भुंतर की इन सभी समस्याओं को प्राथमिकता के आधार पर पूरा किया जाएगा। भुंतर पुल का मामला ध्यान में है नियमानुसार इसके निर्माण की कार्रवाई चली है। बाढ़ से इस पुल को क्षति पहुंची थी जिस कारण इसका डिजाइन दोबारा तैयार किया गया जल्द ही यहां आधुनिक पुल बनाया जाएगा।

-रामस्वरूप शर्मा, भाजपा प्रत्याशी एवं सांसद।

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पिछले पांच साल के कार्यकाल में सांसद ने जनता की परेशानियों का न ही तो समझा और न ही उन्हें हल करवाने की जहमत उठाई। जनता यदि मुझे जीताकर संसद भेजती है तो प्राथमिकता के आधार पर हर कार्य किया जाएगा।

-आश्रय शर्मा, कांग्रेस प्रत्याशी मंडी संसदीय क्षेत्र।

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