बस अड्डा अतिक्रमण से सिकुड़ा, नया फाइलों में दफन
संवाद सहयोगी, कुल्लू : देशी व विदेशी सैलानियों का पसंदीदा व धार्मिक नगरी मणिकर्ण लंबे अरसे
संवाद सहयोगी, कुल्लू : देशी व विदेशी सैलानियों का पसंदीदा व धार्मिक नगरी मणिकर्ण लंबे अरसे से बस अड्डे के निर्माण के इंतजार में है। मणिकर्ण का पुराना बस अड्डा स्थानीय लोगों की ओर से किए जा रहे अतिक्रमण के कारण दिन-प्रतिदिन सिकुड़ता जा रहा है। अतिक्रमण से अब यहां पर बस स्टैंड के नाम पर छोटी सी जगह बची हुई है जहां पर मुश्किल से 40-50 वाहन ही पार्क हो पाते हैं जबकि पहले इस बस स्टैंड में 100 से 150 वाहन पार्क होते थे। स्थानीय लोगों ने यहां पर रेत-बजरी व ईटों के ढेर लगा रखे हैं। इस कारण वाहन चालकों को वाहन मोड़ने में सबसे अधिक दिक्कत आती है। हालांकि यहां पर नए बस अड्डे का निर्माण होना है लेकिन इतना समय बीतने के बाद भी अभी तक निर्माण सिर्फ फाइलों तक ही सीमित है। इससे लोग बेहद परेशान हैं। लोगों ने सरकार व जिला प्रशासन से मांग की है कि जब तक यहां पर नया बस अड्डा नहीं बनता तब तक पुराने बस स्टैंड में अतिक्रमणकारियों पर नकेल कसी जाए। बस चालकों व परिचालकों सहित अन्य राज्यों से आए वाहन चालकों का कहना है कि बस अड्डे में अतिक्रमण से बसों और छोटे वाहनों को मोड़ने में परेशानी हो रही है और इस वजह से यहां पर जाम की भी स्थिति बन जाती है। हालांकि जिला प्रशासन समय-समय पर सभी जगहों पर अतिक्रमण हटाने के लिए अभियान चलाता है। लेकिन मणिकर्ण बस स्टैंड में अतिक्रमण करने वालों पर इसका कोई असर नहीं दिख रहा है।
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बस स्टैंड में चारों तरफ गंदगी फैली हुई है। इससे यह स्थान वाहन पार्क करने का स्थान कम और कूड़ा फेंकने की जगह ज्यादा प्रतीत होता है। स्थानीय निवासी अनिल, सूरज, नीशू, रोहित, संजय का कहना है कि बस स्टैंड में जगह कम होने के कारण जहां वाहन मोड़ने में परेशानी हो रही है वहीं गंदगी के कारण हालत दिन-प्रतिदिन बद से बदतर होती जा रही है। लोगों के अनुसार कई सरकारें आई कई गई, लेकिन किसी ने भी घाटी की दशा व दिशा सुधारने की जहमत नहीं उठाई। लोगों को हमेशा घाटी को मनाली की तर्ज पर विकसित करने के सिर्फ आश्वासन मिले हैं। धार्मिक नगरी हमेशा सरकार की नजर-ए-इनायत को तरसती रही लेकिन विकास के नाम पर हमेशा कोरी घोषणाएं ही हुई धरातल पर कोई कार्य नहीं हो पाया है।
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मणिकर्ण में नए बस स्टैंड को लेकर अभी कुछ कागजी औपचारिकताएं शेष बची हैं। इसके लिए विभाग प्रयासरत है। अभी वर्तमान में जो बस अड्डा है वह विभाग के अधीन नहीं है और बस अड्डे की उस भूमि को विभाग के नाम करने की भी औपचारिकता पूरी की जा रही है।
-देवेंद्र नारंग, आरएम, कुल्लू।