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राजा को कुष्ठ रोग न होता तो न मनाया जाता कुल्लू दशहरा

वर्ष 2017 में दशहरा उत्सव को अंतरराष्ट्रीय दर्जा प्राप्त हुआ है। जिसकी पुष्टि प्रशासन द्वारा एसीटूडीसी कुल्लू अमित गुलिया ने की है।

By Babita KashyapEdited By: Published: Thu, 05 Oct 2017 02:21 PM (IST)Updated: Thu, 05 Oct 2017 03:30 PM (IST)
राजा को कुष्ठ रोग न होता तो न मनाया जाता कुल्लू दशहरा
राजा को कुष्ठ रोग न होता तो न मनाया जाता कुल्लू दशहरा

कुल्लू, दविंद्र ठाकुर। समृद्ध संस्कृति का परिचायक कुल्लू का दशहरा सदियों पुराना है और कुल्लू में 1660 ईस्वी में पहला दशहरा उत्सव मनाया गया था उसमें कुल्लू के राजा जगत सिंह का राज था और राजा को कुष्ठ रोग से मुक्ति मिलने पर इस मेले का आयोजन का ऐलान किया गया था, जिसमें राजा जगत सिंह की रियासत के साथ लगती अन्य रियासतों के देवी देवताओं को भी निमंत्रण दिया गया था और उत्सव में 365 देवी देवता शिरकत करते थे, उसके बाद यह उत्सव हर साल मनाया जाने लगा उसको मनाने की परंपरा पीढ़ी-दर-पीढ़ी आगे बढ़ती गई और उत्सव का स्वरूप भी बदलता गया यहां से 21वीं सदी में दशहरा उत्सव मनाया जा रहा है, वक्त के साथ का स्वरूप भी बदलता गया जो आज अंतरराष्ट्रीय उत्सव का दर्जा प्राप्त कर चुका है यह घटना जिसने दशहरे को जन्म दिया दशहरे के आयोजन के पीछे का बंधन है राजा जगत सिंह वस 1637 से 1662 ईस्वी तकशासन किया।   

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1666 को मिला दश्हरे को राज्य स्तरीय दर्जा तब से लेकर आज तक निरंतर दशहरा उत्सव मनाया जाता रहा है। जो दिन प्रतिदिन अपना स्वरूप भी बदलता गया और समय के साथ दशहरे की रूप रेखा भी बदलती गई। धीरे-धीरे देवी देवताओं का आना कम हुआ और आज के दौर में 230 के आस पास देवी देवता ही दशहरा उत्सव में भाग लेने पहुंच रहे हैं। वर्ष 1666 को दश्हरे को राज्य स्तरीय दर्जा मिला और इसके लिए कई देशों से इस उत्सव में भाग लेने लगे जिसके बाद कुछ विदेशी कलाकार भी कलाकेंद्र के मंच पर अपनी प्रस्तुतियां देने लगे जिसके बाद दशहरा उत्सव को अंतरराष्ट्रीय उत्सव के दर्जे की मांग उठने लगी जिसकी सभी औपचारिकताएं प्रशासन द्वारा बहुत समय पहले ही कर दी थी। 

2017 में मिला अंतरराष्ट्रीय स्तर का दर्जा वर्षो पुराने दशहरे में गत कुछ वर्षो में अंतरराष्ट्रीय लिखा जाने लगा, लेकिन इसको अंतराष्ट्रीय दशहरा उत्सव का दर्जा ही नहीं मिला था, वर्ष 2017 में दशहरा उत्सव को  अंतरराष्ट्रीय दर्जा प्राप्त हुआ है। जिसकी पुष्टि प्रशासन द्वारा एसीटूडीसी कुल्लू अमित गुलिया ने की है। कुल्लू दशहरा देश ही नहीं विदेश में भी प्रसिद्व है। यहां पर हर वर्ष कई विदेशी दल रात्री सांस्कृितक संध्या में भी भाग लेते हैं। जिन्हें देख लगता है कि यह अंतरराष्ट्रीय स्तर का मेला है।

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