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लंका दहन के साथ दशहरा उत्सव का समापन आज

संवाद सहयोगी कुल्लू अंतरराष्ट्रीय कुल्लू दशहरा उत्सव का शनिवार को लंका दहन के साथ समापन

By JagranEdited By: Published: Fri, 30 Oct 2020 06:11 PM (IST)Updated: Fri, 30 Oct 2020 06:11 PM (IST)
लंका दहन के साथ दशहरा उत्सव का समापन आज
लंका दहन के साथ दशहरा उत्सव का समापन आज

संवाद सहयोगी, कुल्लू : अंतरराष्ट्रीय कुल्लू दशहरा उत्सव का शनिवार को लंका दहन के साथ समापन हो जाएगा। अष्टांग बलि के बाद देवी-देवता देवालयों को प्रस्थान करेंगे। सात दिवसीय दशहरा उत्सव का इस बार कोरोना महामारी के कारण सीमित आयोजन किया गया।

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लंका दहन की चढ़ाई में इस वर्ष अधिष्ठाता रघुनाथ जी के अलावा 11 देवी-देवता शिरकत करेंगे। ढालपुर के लंका बेकर में होने वाले लंका दहन में सभी प्रक्रिया को पूरा किया जाएगा। इसके लिए जय श्रीराम के उद्घोष के साथ राजपरिवार की दादी माता हिडिंबा सहित अन्य देवियां भी रस्म के लिए आयोजन स्थल पर पहुंचेंगी। लंका पर विजय पाने के बाद भगवान रघुनाथ देवी-देवताओं के साथ अपने मंदिर की ओर रवाना होते हैं। भगवान रघुनाथ रथ मैदान से पालकी में रघुनाथपुर जाएंगे। भगवान रघुनाथ के छड़ीबरदार महेश्वर सिंह ने कहा कि परंपरा के अनुसार लंका दहन होगा।

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नहीं जलते रावण, कुंभकर्ण व मेघनाद के पुतले

कुल्लू दशहरा उत्सव में रावण, कुंभकर्ण व मेघनाद के पुतले नहीं जलाए जाते। उत्सव के सातवें दिन लंका बेकर में अष्टांग बलि के साथ तीन झाड़ियों को जलाया जाता है। इन्हें ही रावण, कुंभकर्ण व मेघनाद का प्रतीक माना जाता है। कुल्लू में काम, क्रोध, मोह और अहंकार के नाश के प्रतीक के तौर पर बलि दी जाती है। यहां रावण दहन नहीं, बल्कि लंका दहन की परंपरा है।


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