58 साल बाद दशहरा उत्सव में शिरकत नहीं करेंगे सभी देवी-देवता
संवाद सहयोगी कुल्लू दशहरा उत्सव में 58 साल बाद सभी देवी-देवता शिरकत नहीं करेंगे। 1962 म
संवाद सहयोगी, कुल्लू : दशहरा उत्सव में 58 साल बाद सभी देवी-देवता शिरकत नहीं करेंगे। 1962 में भी दशहरा उत्सव का सीमित आयोजन किया गया था। इस बार कोरोना महामारी के चलते दशहरा उत्सव अलग स्वरूप में नजर आएगा। उत्सव में निकलने वाली भगवान रघुनाथ जी की रथयात्रा में मात्र 200 ही लोग भाग ले पाएंगे।
कुल्लू दशहरा उत्सव की रथयात्रा की अखंड परंपरा 1651 ईस्वी में राजा जगत सिंह के समय में शुरू हुई थी। 17वीं शताब्दी से बेरोकटोक चल रही रघुनाथ की रथयात्रा और अंतरराष्ट्रीय दशहरा उत्सव का आयोजन 1962 में राष्ट्रीय आपदा (भारत-चीन युद्ध के कारण) सीमित रूप से मनाया गया था। इस दौरान भगवान रघुनाथ जी की रथयात्रा में मात्र कुछ ही लोगों ने भाग लिया था और रथयात्रा के दूसरे दिन मात्र तीन चार देवी-देवता ही दशहरा उत्सव में पहुंचे थे। इस बार भी दशहरा उत्सव सीमित होगा। न तो व्यापारिक मेला सजेगा और न ही लालचंद प्रार्थी कलाकेंद्र में सांस्कृतिक कार्यक्रम होंगे। पहली बार रथयात्रा में भाग लेने वाले और देखने वाले सभी लोग मास्क पहनें होंगे।
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1972-73 में नहीं निकली थी रथयात्रा
दशहरा उत्सव की अखंड परंपरा 1972 में गोलीकांड में भी खंडित हुई थी। 1973 में भी रथयात्रा नहीं निकली। 1972 में उस समय के प्रशासक ने उस रास्ते को किन्हीं कारणों से बंद कर दिया था जहां से रघुनाथ की पालकी निकलती थी, पाबंदी के बावजूद जब पालकी उसी रास्ते से निकली तो पुलिस ने श्रद्धालुओं पर गोली चलाई जिसमें एक श्रद्धालु की मौत हो गई। इस कारण 1972 व 73 में रथयात्रा नहीं निकली लेकिन रघुनाथपुर (सुल्तानपुर) में भगवान रघुनाथ जी के मंदिर में सारी रस्में पूरी होती रही।
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उत्सव की तैयारियां जोरों पर
रथयात्रा में शामिल होने वाले सभी लोगों के कोविड टेस्ट करवाने की प्रक्रिया जारी है। भगवान रघुनाथ के मंदिर के अलावा ढालपुर स्थित अस्थायी शिविर को भी सजाया जा रहा है। कोरोना के मद्देनजर जिला प्रशासन द्वारा भी इस बार विशेष तैयारियां की जा रही है। भगवान रघुनाथ के दर्शन के लिए आने वाले श्रद्धालुओं को भी इस बार नियमों का पालन करना होगा।
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इस बार दशहरा उत्सव का सीमित आयोजन हो रहा है। रथयात्रा में सिर्फ सात ही देवी-देवता भाग लेंगे। कोरोना के दौर में कई साल के बाद ऐसा दौर आया है। देवी-देवताओं के आशीर्वाद से इस साल भी दशहरा उत्सव सही तरीके से मनाया जाएगा और कोरोना नियमों का पालन भी किया जाएगा।
-महेश्वर सिंह, मुख्य छड़ीबरदार भगवान रघुनाथ जी।