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एसटीएसी ने मुंबई में जीता कांस्य पदक

भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी ) मंडी के स्पेस टेक्नोलॉजी एवं एस्ट्रोनोमी क्लब (एसटीएसी) ने इंटर आइआइटी टेक मीट के स्टार क्लस्टर आइडेंटिफायर हैकाथॉन में कांस्य पदक जीता। आयोजन भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान मुंबई में हुआ। प्रतिस्पर्धा में देश भर की विभिन्न आइआइटी से आई 22 टीमों ने भाग लिया। आइआइटी मंडी के चार विद्यार्थियों की टीम ने आयोजन केंद्र पर ही छह घंटे के अंदर स्टार क्लस्टर आइडेंटिफायर पर प्रोजेक्ट तैयार कर लिया। टीम में स्कूल ऑफ कंप्यू¨टग एवं इलेक्ट्रकिल इंजीनिय¨रग के तीसरे वर्ष के विद्यार्थी श्रेयस बापट, चौथे वर्ष के इंद्रेश कुमार, स्वप्निल शर्मा और दूसरे वर्ष के आकाश डकूर शामिल थे। श्रेयस बापट ने कहा, इस प्रतिस्पर्धा में भाग लेना बहुत अच्छा अनुभव रहा। पिछले दो वर्षो में संस्थान के विद्यार्थी क्रमश: चौथे और पांचवें स्थान पर रहे थे। इस वर्ष हमारा लक्ष्य एक मेडल जीतना था। कुल मिला कर यह

By JagranEdited By: Published: Thu, 10 Jan 2019 08:25 PM (IST)Updated: Thu, 10 Jan 2019 08:25 PM (IST)
एसटीएसी ने मुंबई में जीता कांस्य पदक
एसटीएसी ने मुंबई में जीता कांस्य पदक

जागरण संवाददाता, मंडी : आइआइटी मंडी के स्पेस टेक्नोलॉजी एवं एस्ट्रोनोमी क्लब (एसटीएसी) ने इंटर आइआइटी टेक मीट के स्टार क्लस्टर आइडेंटिफायर हैकाथॉन में कांस्य पदक जीता। इसका आयोजन मुंबई में हुआ। आयोजन भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान मुंबई में हुआ। इसमें देश की 22 टीमों ने भाग लिया। आइआइटी मंडी के चार विद्यार्थियों की टीम ने छह घंटे के अंदर स्टार क्लस्टर आइडेंटिफायर पर प्रोजेक्ट तैयार कर लिया। टीम में स्कूल ऑफ कंप्यू¨टग एवं इलेक्ट्रकिल इंजीनिय¨रग के तीसरे वर्ष के विद्यार्थी श्रेयस बापट, चौथे वर्ष के इंद्रेश कुमार, स्वप्निल शर्मा और दूसरे वर्ष के आकाश डकूर शामिल थे। श्रेयस बापट ने कहा कि पिछले दो वर्षो में संस्थान के विद्यार्थी क्रमश: चौथे और पांचवें स्थान पर रहे थे। इस वर्ष हमारा लक्ष्य एक मेडल जीतना था। इस बार पहले से ज्यादा कठिन प्रश्न आए। टीम में दूसरे, तीसरे और चौथे वर्ष के विद्यार्थी थे। एसटीएसी के कोकॉर्डिनेटरों के 3 जेनरेशन एक साथ मौजूद थे। संस्थान में एसटीएसी क्लब ने इस प्रोजेक्ट की शुरुआत स्टार क्लस्टर के विश्लेषण के उद्देश्य से किया। इसके तहत हाफ लाइट रेडियस, क्लस्टर की आयु का आकलन और स्टार क्लस्टर के ऑप्टिकल काउंटरपार्ट की खोज शामिल हैं। इस प्रोजेक्ट में डाटा प्री.प्रॉसे¨सग का अथक प्रयास करना होता है और हार्डवेयर की वजह से अवलोकन में आई त्रुटियों को दूर करना होता है। इससे ब्रह्मांड की कार्य प्रक्रिया, आकाशगंगा के विकास और उन्नति को समझने में मदद मिलेगी। प्रो. अर्नव भावसर, एसिस्टेंट प्रोफेसर और फेकल्टी कॉर्डिनेटर, स्पेस टेक्नोलॉजी एवं एस्ट्रोनोमी क्लब (एसटीएसी) ने कहा कि पिछले कुछ वर्षो में एसटीएसी बहुत तेजी से उभरा है। टीम की यह उपलब्धि चुनौती भरे प्रोजक्ट पर काम करने में विद्यार्थियों की दिलचस्पी और उत्साह का प्रमाण है।

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क्या है एसटीएसी

स्पेस टेक्नोलॉजी एवं एस्ट्रोनोमी क्लब (एसटीएसी) विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद एक प्रौद्योगिकी क्लब है। यह सभी विद्यार्थियों के लिए है। टेलीस्कोप से आसमान में तारा देखने और मशीन लर्निग की मदद से एक्सोप्लानेट की खोज के लिए रोवर बनाने तक इंटरस्टेलर से जुड़े कार्य करता है। इसकी शुरुआत 2013 में कुछ विद्यार्थियों के साथ की गई। कुछ वर्षो में क्लब ने तीन टेलीस्कोप और विभिन्न पृष्ठभूमि से बड़ी संख्या में सदस्य जोड़ लिए।


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