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भगवान रघुनाथ की पूजा के साथ कुल्लू में होली का आगाज

कुल्‍लू में भगवान रघुनाथ की रथयात्रा के साथ होली का आगाज हो गया। आगामी 40 दिन तक कुल्लू में होली का त्‍योहार मनाया जाएगा।

By Edited By: Published: Sun, 10 Feb 2019 06:29 PM (IST)Updated: Mon, 11 Feb 2019 09:07 AM (IST)
भगवान रघुनाथ की पूजा के साथ कुल्लू में होली का आगाज
भगवान रघुनाथ की पूजा के साथ कुल्लू में होली का आगाज

कुल्लू, जेएनएन। रविवार को भगवान रघुनाथ की रथयात्रा के साथ वसंत ऋतु का स्वागत और कुल्लू में होली उत्सव का आगाज हो गया। अब आगामी 40 दिन तक कुल्लू में होली खेली जाएगी। देशभर में कुल्लू व वृंदावन में ही इस रीति को मनाया जाता है। दोपहर लगभग डेढ़ बजे भगवान रघुनाथ अपने निवास स्थान के साथ पूरे लावलश्कर के साथ कुल्लू स्थित रथ मैदान पर पहुंचे।

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यहां पर राज परिवार के सदस्यों, गुरों, कारदारों और छड़ीबदार राजा महेश्वर की उपस्थित में भगवान रघुनाथ को रथ में बिठाकर पूजा-अर्चना सहित रथ की परिक्रमा की गई। इसके बाद हनुमान बने बैरागी समुदाय के व्यक्ति को रथ के पास लाया गया। यहां पर पूजा के बाद सैकड़ों लोगों ने भगवान श्रीराम के जयकारे लगाते हुए रथ में लगी रस्सियों की से उसे खींचना शुरू किया। इसके बाद रथ को थोड़ी देर बाद रोककर वहां पर भरत मिलाप करवाया गया। इस दौरान भी लोगों ने जमकर जयकारे लगाए। यहां पर हनुमान बने बैरागी समुदाय के व्यक्ति को पूजा के बाद रवाना किया गया। माना जाता हे कि जिसे भी हनुमान बना यह व्यक्ति छू लेता है तथा रंग उसके हाथ में लग जाता है तो वह सौभाग्यशाली माना जाता है। इसके बाद भगवान रघुनाथ का रथ अपने अस्थायी निवास स्थान पर पहुंचा।

यहां पर उनके पुजारियों और राज परिवार के सदस्यों ने पूजा अर्चना से संबंधित सभी विधियों का पालन किया और लोगों ने भगवान रघुनाथ का आशीर्वाद प्राप्त किया। लगभग एक घंटे तक यहां पूजा के बाद भगवान के छड़ीबदार महेश्वर सिंह ने पूजा समाप्ति पर भगवान रघुनाथ पर गुलाल फेंका साथ ही अन्य लोगों पर भी गुलाल फेंककर होली का आगाज किया। इसके बाद लोगों को प्रसाद भी बांटा गया और भगवान रघुनाथ को रथ में बिठाकर पूरे लाव लश्कर सहित पुन: उनके निवास स्थान के लिए रवाना किया गया।

तार ने रोका भगवान कर रथ जब भगवान रघुनाथ का रथ खींचकर अस्थायी निवास स्थान की ओर ले जाया जा रहा था तो सड़क के पाए एक तार नीचे होने के कारण रथ को रोक दिया गया। लगभग 10 से 15 मिनट तक रथ वहीं खड़ा रहा और तार को हटाने के बाद लोगों ने रस्सियों की मदद से खींचकर रथ को भगवान रघुनाथ के अस्थायी निवास स्थान के पास पहुंचाया।

हल्दी, मक्की के आटे व फूल से बनता है गुलाल कुल्लू में वसंत पर्व की शुरुआत के लिए उड़ाया जाने वाला गुलाल वास्तव में पीले रंग का होता है। इसका निर्माण हल्दी, एक विशेष प्रकार के पीले फूल और मक्की के आटे को मिलाकर किया जाता है। इससे बिल्कुल शुद्ध माना जाता है। हल्दी का प्रयोग इसमें सर्वाधिक होता है।


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