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यहां बसंत पंचमी से हो जाता है होली का आगाज, 40 दिन का मनाया जाता है रंगों का त्योहार

वृंदावन की तरह हिमाचल के कुल्‍लू में भी बसंत पंचमी के दिन से ही होली का आगाज हो जाता, ये त्‍योहार यहां 40 दिन तक मनाया जाता है। इस मौके पर भगवान रघुनाथ की रथ यात्रा भी निकाली जाती है।

By BabitaEdited By: Published: Fri, 08 Feb 2019 02:00 PM (IST)Updated: Fri, 08 Feb 2019 02:00 PM (IST)
यहां बसंत पंचमी से हो जाता है होली का आगाज, 40 दिन का मनाया जाता है रंगों का त्योहार
यहां बसंत पंचमी से हो जाता है होली का आगाज, 40 दिन का मनाया जाता है रंगों का त्योहार

कुल्लू, मुकेश मेहरा। रविवार को कुल्लू में शुरू होने वाली बसंत पंचमी के साथ कुल्लू में होली के त्याेहार शुरू हो जाएगा। वृंदावन की तर्ज पर यहां पर भी बसंत पंचमी के साथ होली का आगाज भगवान रघुनाथ की रथ यात्रा से हो जाता है। 10 फरवरी को कुल्लू के ढालपुर स्थित रथ मैदान में मनाए जाने वाले बसंत उत्सव में भगवान रघुनाथ अपने निवास स्थल से पूरे लाव लश्कर सहित रथ मैदान में पहुंचेंगे। इसके बाद यहां पर भगवान के रथ यात्रा निकाली जाएगी और इस रथ यात्रा के साथ ही यहां पर होली का आगाज हो जाएगा जो अगले 40 दिन यानी होली महोत्सव तक चलेगा।

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जानकारों के मुताबिक जब भगवान रघुनाथ रघुनाथपुर से निकलते हैं तो वहां से हनुमान बना बैरागी समुदाय का व्यक्ति लोगों पर गुलाल डालना शुरू कर देता है। इसके बाद पैदल यात्रा रथ मैदान पहुंचती हैं। जहां पर रथ में विराज कर भगवान रघुनाथ अपने अस्थायी शिविर पहुंचते हैं। इस रथ को रस्सियों से खींचकर अस्थायी शिविर तक लाया जाता है और यहां पर हनुमान बना व्यक्ति सब पर गुलाल डालता है। जिस पर यह गुलाल गिरता है, वह शुभ माना जाता है। इसके बाद भगवान रघुनाथ की पूजा अर्चना और भरत मिलाप होने के बाद भगवान रघुनाथ से लोग आशीर्वाद प्राप्त करते हैं और शाम को रघुनाथ जी वापस रघुनाथपुर चले जाते हैं।

इसी दिन से अगले 40 दिनों तक बैरागी समुदाय के लोग रोजाना रघुनाथपुर में भगवान रघुनाथ के चरणों में गुलाल डालकर होली खेलते हैं और घर-घर जाकर रंग लगाते हैं। साथ ही इस दौरान गाए जाने वाले विशेष बृज के गीत गाते हैं। कहा जाता है कि बैरागी समुदाय के अलावा इन गानों को कोई नही गा सकता है। होली से ठीक सात दिन पहले होलाष्टक मनाया जाता है जिसके तहत बैरागी समुदाय के लोग भगवान रघुनाथ के साथ उनके चरणों में गुलाल डालकर होली खेलते हैं। जिस तरह अन्य स्थानों पर होलिका दहन मनाया जाता है, उसे कुल्लू में फागली होती है।

सदियों पुरानी है परंपरा

बसंत पंचती पर नई ऋतुओं के आगमन और हिंदू नववर्ष की शुरुआत होती है और इसे वर्ष का पहला त्यौहार माना जाता है। वृंदावन में जिस तरह से बसंत का त्योहार मनाया जाता है उसी तर्ज पर यहां पर भी पिछले 400 सालों से बसंत पर होली का आगाज हो जाता है, जो अगले 40 दिनों तक चलती है। भगवान रघुनाथ के छडीबदार महेश्वर सिंह कहते हैं कि पिछले लंबे समय से परंपराओं का निर्वहन किया जा रहा है और इस बार भी पूरी तैयार कर ली गई है। 

रथ खींचना, गुलाल लगाना माना जाता है शुभ

बसंत पंचमी के दिन भगवान रघुनाथ के रथ की रस्सियों को खींचना लोग शुभ मानते हैं और इसी के साथ जो बैरागी समुदाय का व्यक्ति हनुमान बना होता है, उससे गुलाल लगाने के लिए लोग उसके पीछे जाते हैं। माना जाता है कि हनुमान बना व्यक्ति जिसे गुलाल लगा दे, वह शुभ होता है।


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