Himachal News: जंगलों को आग से बचाने के लिए वन विभाग की बड़ी पहल, बनाई रैपिड रिस्पॉन्स टीम; ऐसे करेगी काम
हिमाचल में जंगलों को आग से बचाने के लिए वन विभाग ने प्लान बना लिया है। हर वर्ष जंगल में आग लगने से करोड़ों रुपये की वन संपदा का नुकसान होता है। वन विभाग ने फायर सीजन के चलते आग से निपटने की पूरी योजना तैयार कर ली है।
कुल्लू, संवाद सहयोगी। जंगलों में लगने वाली आग पर काबू पाने के लिए वन विभाग ने मास्टर प्लान तैयार किया है। ग्रामीण क्षेत्रों में स्वयंसेवी तैनात किए गए हैं। सेटेलाइट के माध्यम से जंगल में आग लगने पर मोबाइल फोन पर मैसेज आएगा। स्वयंसेवी आग पर काबू पाने में वन विभाग के कर्मचारियों का सहयोग करेंगे।
हर वर्ष जंगल में आग लगने से करोड़ों रुपये की वन संपदा का नुकसान होता है। वन विभाग ने फायर सीजन के चलते आग से निपटने की पूरी योजना तैयार कर ली है। कुल्लू वन मंडल के अधिकारी बसु कौशल ने बताया कि विभाग ने जंगलों में लगने वाली आग पर काबू पाने के लिए अभी से कसरत शुरू कर दी गई है। प्रत्येक वन रेंज में एक रैपिड रिस्पॉन्स टीम का गठन किया गया है। प्रत्येक टीम में पांच कर्मचारी, सहित ग्रामीण सहयोग करेंगे।
उन्होंने कहा कि आग की सूचना मिलते ही यह टीम कुछ ही मिनट में घटनास्थल पर पहुंच जाएगी। सभी वन रेंज में दो से तीन फायर वॉचर भी तैनात किए गए हैं। विभाग ने पंचायत प्रधानों, उपप्रधानों व ग्रामीणों को जागरूक करना शुरू कर दिया है। जंगल में आग लगने पर विभाग को तुरंत सूचना देंगे और काबू पाने में भी सहयोग करेंगे।
उन्होंने आगे कहा कि फॉरेस्ट सर्वे ऑफ इंडिया के माध्यम से सभी पंचायत प्रतिनिधियों व स्वयंसेवियों को आग लगने पर मैसेज आ जाएगा। वन विभाग ने सभी कर्मचारियों की छुट्टियों पर रोक लगा दी है। कुल्लू और पार्वती के आसपास के जंगल में सबसे अधिक आग की घटनाएं होती हैं। इस बार अभी तक आग की घटना पेश नहीं आई है।
मिशन लाइफ कार्यक्रम के तहत लोगों को किया जागरूक
बसु कौशल ने बताया कि मिशन लाइफ कार्यक्रम के तहत लोगों को जगरूक करने का कार्य किया जा रहा है। कुल्लू को इसमें 300 कार्यक्रम करवाने का लक्ष्य दिया गया है, जिसमें से 235 कार्यक्रम आयोजित किए जा चुके हैं। इसमें स्कूलों, गांव, पंचायत, सार्वजनिक स्थलों पर लोगों को जंगल के संरक्षण व वनों में पेड़ कटान पर रोकथाम, आग लगाने के क्या नुकसान, पौधा रोपण करने का लाभ के बारे में जानकारी दी जाती है।
यह हैं उच्च संवेदनशील क्षेत्र
पार्वती वनमंडल के तहत आने वाले नरैश, भूईण, शियाह, दियार, नरोगी, गड़सा, छाकना, छिंछरा, कशावरी, मशगां, खोखण, डुग्गीलग को उच्च संवेदनशील क्षेत्रों में शामिल किया गया है। इन जंगलों में अगर आग लगती है तो विभाग द्वारा सबसे पहले इनकी एफआईआर दर्ज की जाएगी। घाटी के ऊंचे इलाकों के जंगलों को मध्यम व कम संवेदनशील जोन में रखा गया हैं। यहां आग लगने की संभावना कम रहती है।