पांच हजार का जीपीएस 16 हजार रुपये में बेच रहे
हिमाचल में अब सभी नए व्यवसायिक वाहनों में ग्लोबल पोजोशनिग सिस्टम (जीपीएस) लगाना अनिवार्य है ताकि इन सभी वाहनों पर आसानी से नजर रखी जा सके।
कमलेश वर्मा, कुल्लू
हिमाचल में अब सभी टैक्सियों में ग्लोबल पोजीशनिंग सिस्टम (जीपीएस) लगाना अनिवार्य है। हालांकि यह सुविधा के लिए किया जा रहा है, लेकिन टैक्सी ऑपरेटर इसके रेट से परेशान हैं। दिल्ली-चंडीगढ़ में यही जीपीएस चार से पांच हजार रुपये में मिल रहे हैं, जबकि प्रदेश सरकार से अधिकृत कंपनियां 15 से 16 हजार में उपकरण दे रही हैं। इस कारण टैक्सी चालकों सहित अन्य व्यवसायिक वाहन मालिकों में रोष है।
हिम टैक्सी यूनियन भुंतर के पदाधिकारियों ने सरकार व परिवहन विभाग से मांग की है कि इसके दाम कम किए जाएं और यदि ऐसा नहीं हुआ तो टैक्सी चालक हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे। सरकार के निर्देशों के अनुसार बस, ट्रक, स्कूल वैन, टैक्सी में जीपीएस लगाना पड़ेगा। जीपीएस के दाम अधिक होने का प्रदेशभर में विरोध हो रहा है। परिवहन विभाग के पास हर दिन इसकी काफी शिकायतें भी आ रही हैं। विभाग के अनुसार कुल्लू, हमीरपुर से फोन के माध्यम से शिकायतें आई हैं। कुल्लू जिले में अभी तक 100 से अधिक वाहनों में जीपीएस लगाए जा चुके हैं।
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क्या है जीपीएस
जीपीएस यानी ग्लोबल पोजीशनिंग सिस्टम। इस डिवाइस के जरिए अपनी कार को ट्रेस कर सकते हैं। यह डिवाइस सेटलाइट से जुड़ा होता है और सेटलाइट के जरिए मोबाइल फोन या कंप्यूटर पर वाहन की लोकेशन की जानकारी मिल जाती है। किसी आपदा में फंसे होने पर जीपीएस काफी फायदेमंद होता है।
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चार जगह खुलेंगे सर्विस स्टेशन
प्रदेश में चार जगह जीपीएस सर्विस स्टेशन खुलेंगे। डिवाइस खराब होने पर यहां 24 घंटे के भीतर इसे बदला जाएगा। यदि कंपनियां ऐसा नहीं करती हैं तो विभाग की तरफ से कंपनियों को जुर्माना लगाने का प्रावधान है। कंपनी यदि सही कार्य नहीं करती है तो विभाग उनको ब्लैक लिस्ट भी कर सकता है।
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जीपीएस लगाने के लिए जो पांच कंपनियां सूचीबद्ध की हैं। 17 और कंपनियों से बात चल रही है। औपचारिकताएं पूरी होते ही जीपीएस के दाम भी कम हो जाएंगे। कंपनियों से जीपीएस लगाने का फायदा यह रहेगा कि कंपनी के पास वाहन का पूरा बैकअप उपलब्ध होगा।
-जेएम पठानिया, निदेशक परिवहन विभाग।
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जीपीएस के दाम अधिक वसूलने वाली कंपनी पर कार्रवाई होगी और उसकी डीलरशिप भी रद की जाएगी। इसके दाम जायज होने चाहिए, ताकि वाहन चालकों पर अतिरिक्त बोझ न पड़े।
-गोविंद सिंह ठाकुर, वन, परिवहन, युवा सेवाएं एवं खेल मंत्री।