हिमाचल: सितंबर में ही बर्फबारी ने जमा दी चंद्रताल, अब भ्ाी फंसे हैं कई पर्यटक
हिमाचल प्रदेश की लाहुल के स्पीति घाटी में मौजूद चंद्रताल झील को सितंबर माह में ही बर्फ ने जमा दिया है। चंद्रताल इलाके में अभी भी 50 के करीब पर्यटक फंसे हुए हैं।
जसवंत ठाकुर, मनाली: हिमाचल प्रदेश की लाहुल के स्पीति घाटी में मौजूद चंद्रताल झील को सितंबर माह में ही बर्फ ने जमा दिया है। यही नहीं इस झील तक पहुंचने वाला मार्ग भी पूरी तरह से बर्फबारी के कारण बंद हो चुका है। जिसके खुलने के फिलहाल कोई आसार नहीं लग रहे हैं। करीब 14 हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित यह झील ट्रेकिंग के शौकीन लोगों के लिए सबसे पसंदीदा जगह है। आम तौर पर झील के किनारे कैपिंग करने का उपयुक्त समय ही सितंबर अक्टूबर का माना जाता है। लेकिन इस बार मौसम के बदलाव ने यहां आने वाले ट्रेकिंग के शौकीनों को सोचने के लिए मजबूर कर दिया है।
चंद्रताल इलाके में अभी भी 50 के करीब पर्यटकों के फंसने की संभावना है। इसके लिए बाकायदा हवाई टीमें चंद्रताल का दौरा कर रही हैं। बर्फबारी से पहले 21 सितंबर को 100 से अधिक ट्रेकर चंद्रताल झील पहुंचे थे। ट्रेकरों के लिए लाहुल स्पिति की चंद्रताल झील और इसका ट्रेक सबसे लोकप्रिय है। शिमला से किन्नौर स्पीति सहित मनाली से कोकसर छतड्डू होते हुए ट्रेकर चंद्रताल पहुंचते हैं। 21 को चंद्रताल पहुंचे 100 से अधिक ट्रेकर जब 22 सितंबर कि सुबह उठे तो हल्की बर्फबारी शुरू हो गई। आधे पर्यटकों ने 22 सितंबर को खतरे को भांपते हुए मनाली और काज़ा का रुख कर लिया जबकि 50 के लगभग ट्रेकर वहीं रुके रहे।
लगातार बर्फ का क्रम जारी रहा और चन्द्रताल सहित कुंजम दर्रेके 3 फुट से अधिक बर्फ पड़ गई। चंद्रताल से मनाली लौटे मुंबई की सैलानी सन्ध्या, अजय मुंबई, भूपेंद्र चंडीगढ, अजय सोनीपत, सन्दीप दिल्ली और आशीष गाजियाबाद ने बताया कि वो 21 को चंद्रताल पहुंचे थे। उस समय 100 से अधिक सैलानी चंद्रताल में ठहरे हुए थे। ये लोग 24 सितंबर को रोहतांग से पलचान पंचायत के लोगों ने रेस्क्यू किए थे। इन ट्रेकरों ने बताया कि 22 सितंबर की सुबह चंद्रताल में हलकी बर्फबारी शुरू हो गई थी। आधे सैलानी 22 की सुबह ही निकल आए थे जबकि आधो ने वही डेरा डाला था। चंद्रताल तक पहुंचने वाला पूरा मार्ग बर्फ से बंद हो चुका है। 50 के लगभग अभी भी वहां लोग फंसे हुए है। हालांकि वहां कैंप लगे हुए हैं और उन लोगों को हेलीकाप्टर से खाना दिया गया है। लेकिन वहां बर्फबारी से अब हिमस्खलन का खतरा भी बढ़ने लगा है।
एडीएम काज़ा बिक्रम नेगी ने बताया कि 26 सितंबर को लोसर से आगे तक बीआरओ ने सड़क बहाल कर दी है। उन्होंने बताया कि इन ट्रेकरों को रेस्क्यू करने का अभियान शुरू कर दिया है। कृषि मंत्री डॉ राम लाल मार्कण्डे ने बताया कि कल चन्द्रताल तक हवाई रैकी की गई है और वहां रह रहे ट्रेकरों को खाने का सामान हेलीकॉप्टर के माध्यम से दिया गया है। मंत्री ने कहा कि इन ट्रेकरों को भी रेस्क्यू किया जा रहा है।