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खाई में दबकर रह गई चीखो-पुकार, रोहतांग में छाई धुंध बनी हादसे का कारण

समय पर मदद मिलती तो बच सकती थी राहनीनाला की गहरी खाई में हादसे का शिकार हुई लाेगों की जिंदगी।

By BabitaEdited By: Published: Fri, 24 Aug 2018 12:23 PM (IST)Updated: Fri, 24 Aug 2018 12:23 PM (IST)
खाई में दबकर रह गई चीखो-पुकार, रोहतांग में छाई धुंध बनी हादसे का कारण
खाई में दबकर रह गई चीखो-पुकार, रोहतांग में छाई धुंध बनी हादसे का कारण

मनाली, जेएनएन। खुशी-खुशी घर जा रहे पांगी घाटी के लोगों को क्या पता था कि यह उनका आखिरी सफर होगा। बुधवार रात को मनाली से निकलते समय उन्होंने सोचा भी नहीं था कि राहनीनाला की गहरी खाई में वे सदा के लिए समा जाएंगे।

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बुधवार रात को रोहतांग मार्ग पर कोठी तक धुंध छाई थी। लेकिन वाहन सुरक्षित मढ़ी पार करते हुए राहनीनाला जा पहुंचा। लेकिन धुंध के कारण चालक गच्चा खा गया और वाहन पर नियंत्रण नहीं रख पाया। यहां वाहन सीधा खाई में जा गिरा। गाड़ी के गहरी खाई में गिरने से घायलों की चीख पुकार भी खाई में ही दबकर रह गई। रात का समय होने के कारण घायलों को किसी प्रकार की मदद नहीं मिल सकी। माना जा रहा है कि यहां ठंड के कारण सभी ने दम तोड़ दिया। रात को ही हादसे की जानकारी मिल जाती तो कई लोगों की जान बच सकती थी। वहीं, बीआरओ ने इस स्थल को ब्लैक स्पॉट चिह्नित किया है। लेकिन यहां अभी तक सुरक्षा के इंतजाम नहीं किए गए हैं। खतरनाक मोड़ों में अभी भी कहीं-कहीं सुरक्षा की व्यवस्था नहीं है।

सरकार कब समझेगी पांगी के लोगों का दर्द

चंबा जिला की पांगी घाटी के लोग आज भी कष्ट भरी जिंदगी जीने को मजबूर हैं। सदियों से हिमाचल का काला पानी कहे जाने वाली पांगी घाटी आज भी सुविधाओं से वंचित है। यहां जनजीवन आज भी पूरी तरह पटरी पर नहीं लौट पाया है। भरमौर को पांगी से जोड़ने के लिए चैहणी सुरंग प्रस्तावित है। लेकिन इस दिशा में अभी कुछ नहीं हुआ है। बर्फ पड़ने पर साच दर्रा बंद हो जाता है और पांगी घाटी शेष विश्व से कट जाती है। पांगी का मुख्य मार्ग तांदी-संसारी मार्ग बीआरओ के हवाले है, लेकिन पांगी-किलाड़ सड़क आज भी दयनीय हालत में है। 

 

फॉग लाइट जलाकर व धीमी गति में करें रोहतांग का सफर

बरसात के दिनों में रोहतांग दर्रे पर सफर राहगीरों के लिए धुंध के कारण जोखिम भरा हो गया है। दिन को

भी धुंध छा रही है। लेकिन रात को धुंध से हालात अधिक बिगड़ रहे हैं। प्रतिदिन चलने वाले वाहन चालकों को इतनी दिक्कत नहीं हो रही। लेकिन कभीकभार सफर करने वाले वाहन चालक धुंध में धोखा खाकर दुर्घटनाग्रस्त हो रहे हैं। धुंध में सावधानी से वाहन चलाना और यातायात के नियमों का पालन करने मात्र से ही सड़क दुर्घटनाओं को रोका जा सकता है। धुंध पड़ने पर गाड़ी की रफ्तार कम रखें। वाहन की हेड लाइट को लो बीम में रखें, इससे देखने में आसानी होगी और सामने वाले को भी गाड़ी की सही स्थिति का पता चल सकेगा। सभी वाहन चालक अपने वाहन में फॉग लाइट आवश्यक तौर पर लगवाएं। यह धुंध को काटने में मददगार साबित होती है। हेड लाइट बंद करके सिर्फ फॉग लाइट जलाना खतरनाक हो सकता है, क्योंकि दूर से आने वाले को अकेली फॉग लाइट दिखाई नहीं देती। 

कुल्लू व लाहुल से जुड़े हैं पांगी निवासी

घाटी के अधिकतर लोग लाहुल और कुल्लू से जुडे़ हुए हैं। घाटी के लोगों की अधिकतर रिश्तेदारी भी लाहुल व कुल्लू में है। कई लोगों ने मनाली-कुल्लू में भी घर बार बनाए हैं। कुछ साल पहले सरकार ने पांगी घाटी को 14 हजार फीट ऊंचे साच दर्रा होते हुए चंबा से जोड़ा है।

वाया रोहतांग नजदीक है मनाली का सफर

पांगी के लोगों ने वाया साच-पास चंबा होते हुए मनाली आना हो तो 700 किमी का सफर तय करना पड़ता है। वाया रोहतांग उन्हें 300 किलोमीटर की दूरी तय करनी पड़ती है। पांगी घाटी के लोगों की मनाली-कुल्लू में रिश्तेदारी है। खरीद-फरोख्त के लिए भी पांगी घाटी के लोग कुल्लू-मनाली का रुख करते है।


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