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मजदूरों की पसंद बना बीआरओ

जागरण संवाददाता मनाली सीमावर्ती क्षेत्रों में सड़कों का जाल बिछाने व विकट परिस्थितियों में

By JagranEdited By: Published: Wed, 10 Jun 2020 06:19 PM (IST)Updated: Thu, 11 Jun 2020 06:15 AM (IST)
मजदूरों की पसंद बना बीआरओ
मजदूरों की पसंद बना बीआरओ

जागरण संवाददाता, मनाली : सीमावर्ती क्षेत्रों में सड़कों का जाल बिछाने व विकट परिस्थितियों में सड़क का निर्माण करने में माहिर बीआरओ को अब मजदूरों का टोटा नहीं रहेगा। बीआरओ ने पिछले साल से दिहाड़ी बढ़ा दी है। हालांकि इस साल कोरोना के चलते शुरू के दिनों में बीआरओ को मजदूरों की कमी खली लेकिन अब मजदूर मिलने से उन्होंने पर्याप्त में भर्ती कर ली है।

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बीआरओ रोहतांग सुरंग परियोजना अटल रोहताग सुरंग का निर्माण कर रही है जबकि बीआरओ की दीपक परियोजना सामरिक दृष्टि से अति महत्वपूर्ण मनाली लेह मार्ग सहित, तांदी संसारी मार्ग व दारचा पदुम मार्ग निर्माण सहित अनेकों पुलों के निर्माण में जुटी हुई है। बीआरओ की दोनों परियोजनाओं में लगभग चार हजार मजदूर काम करते हैं। सर्दी केकारण बीआरओ का अधिकतर काम बंद हो जाता है। सर्दी में बीआरओ को मजदूरों की अधिक जरूरत नहीं रहती लेकिन गर्मियों में चार हजार मजदूर बीआरओ का हिस्सा बनते हैं।

अप्रैल में मजदूरों को भर्ती करते हैं जबकि अक्टूबर में काम समेटते ही अधिकतर मजदूर घर चले जाते हैं। की ओर पलायन कर जाते है। अटल रोहतांग सुरंग का निर्माण कार्य अंतिम चरण में है जबकि बीआरओ मनाली लेह मार्ग को डबललेन बनाने का भी 90 प्रतिशत कार्य पूरा कर चुका है जबकि मनाली लेह, तांदी संसारी व दारचा पदुम सड़क मार्ग में दर्जनों पुलों का निर्माण कार्य चल रहा है। हालांकि मजदूरों के बीआरओ में शामिल हो जाने से कुल्लू मनाली में मजदूरों की कमी हो गई है। लेकिन बीआरओ की माने तो कोविड 19 के बीच भी मजदूर मिलने से उनका काम गति पकड़ चुका है।

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कोविड 19 के चलते निर्माण कार्य धीमा हुआ था लेकिन अब कार्य ने गति पकड़ ली है। बीआरओ का प्रयास है कि सुरंग जल्द से जल्द देश को समर्पित की जाए।

-ब्रिगेडियर केपी पुरसोथमन, चीफ इंजीनियर बीआरओ रोहतांग परियोजना

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कोरोना के चलते मार्च महीने में मजदूरों की कमी आई थी लेकिन अब मजदूरों की कमी पूरी हो गई है। रोहतांग दर्रे सहित बारालाचा दर्रे को बहाली भी समय से पहले की है।

-कर्नल उमा शंकर कमांडर बीआरओ


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