मिलने का वादा कर गांव नहीं लौटे मुखिया
जसवंत ठाकुर, मनाली पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी मनाली के प्रीणी गांव को दूसरा घर म
जसवंत ठाकुर, मनाली
पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी मनाली के प्रीणी गांव को दूसरा घर मानते थे। वह अंतिम बार यहां 2006 में आए थे। इस दौरान उन्होंने यहां के लोगों के साथ वादा किया था कि अब ज्यादा समय यहीं बिताएंगे, लेकिन उसके बाद वह यहां नहीं आए।
प्रधानमंत्री का कार्यकाल पूरा होने के बाद अटल जी मनाली के प्रीणी स्थित अपने घर आए, तो हमेशा की तरह स्कूली बच्चों से मिले। बच्चों ने कुछ मांगें उनके समक्ष रखीं। वाजपेयी ने उन्हें कुछ हजार रुपये यह कहते हुए दिए कि अभी इतने ही हैं क्योंकि हाल ही तुम्हारे 'मामा' की नौकरी चली गई है। उस समय प्रीणी स्कूल में शिक्षा ग्रहण करने वाले विद्यार्थी सुमित ठाकुर ने बताया कि अटल जी ने उन सभी बच्चों को गले लगाते हुए कहा था कि अब वे उनके बीच ही रहेंगे और खूब बातें करेंगे।
सुमित ने बताया कि बच्चों सहित ग्रामीण अपने मुखिया के आने का ही इंतजार करते रह गए। प्रीणी पंचायत के प्रधान शिवदयाल ठाकुर और पूर्व प्रधान ठाकुर दास ने बताया कि अटल बिहारी वाजपेयी बेशक देश के लिए प्रधानमंत्री थे, लेकिन उनके लिए वो गांव के मुखिया थे। ग्रामीणों के साथ प्रधानमंत्री की बजाय एक मुखिया की भांति उठते-बैठते थे।
उस समय प्रीणी पंचायत के प्रधान रहे कुंदन ने बताया कि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का मनाली से गहरा नाता रहा। वह मनाली से करीब चार किलोमीटर दूर प्रीणी गांव में सुकून के पल बिताने के लिए अक्सर आया करते थे। ग्रामीण लोत राम में कहा कि जब भी वह यहां आते तो वहां के गांववासियों से अक्सर मिला करते थे और उनका हाल-चाल पूछते थे। वह गांव के लोगों को बच्चों की तरह मानते थे। सभी के साथ उनका अच्छा तालमेल था। वह हमारे दिलों में बसे हैं और हमेशा रहेंगे। अटल जी अंतिम बार 2006 में मनाली आए थे।
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अटल जी हिमाचल के लिए अभिभावक की तरह रहे। सक्रिय राजनीतिक छोड़ने के बाद पूर्व प्रधानमंत्री ने प्रीणी को अपना घर बनाया। वह ज्यादातर समय यहीं रहना पसंद करते थे। यहां की प्राकृतिक सुंदरता और बर्फ से ढकी पहाड़ियों पर उन्होंने कविताएं भी लिखी हैं। अटल जी के साथ बिताए पल जीवन की अहम पूंजी हैं।
-गो¨वद ठाकुर, परिवहन मंत्री।