चिनाली में बात करता है लाहुल का एक समुदाय, संस्कृत से मिलती-जुलती है ये भाषा
इस समुदाय से संबंध रखने वाले शाम चंद आजाद ने बताया कि लाहुल के समस्त क्षेत्र में जहां भी चनाल समुदाय के लोग रहते हैं, वो इस भाषा में ही बात करते हैं।
मनाली, जेएनएन। जनजातीय जिला लाहुल-स्पीति की लाहुल घाटी के चनाल समुदाय के लोग आज भी अपनी पुरानी भाषा चिनाली को संजोए हुए हैं। इस समुदाय में बोली जाने वाली भाषा में अधिकतर शब्द संस्कृत के होते हैं। हालांकि लाहुल-स्पीति में अनेक भाषाएं हैं, लेकिन इस समुदाय के लोगों की एक ही भाषा है। पटन की समस्त घाटी सहित चंद्रा वैली में भी यह समुदाय संस्कृति से मिली-जुली भाषा बोलते हैं। लाहुल घाटी के गाहर वैली, चंद्रा वैली, पटल वैली, मयाड वैली और तिंदी वैली में अलग-अलग भाषाएं बोली जाती हैं।
लाहुल के शूलिंग, खूरपाणी, खंगसर, गोंपाथंग, अकोथंग, गोंधला, यांगला, मूङ्क्षलग, गोशाल, तांदी, मालंग, क्रोङ्क्षजग, बाङ्क्षरग, लौट, कीर्तिंग, शांशा, जाहलमा, जूडा, नालडा, थिरोट, त्रिलोकनाथ, किशोरी, ङ्क्षहसा, शकौली सहित उदयपुर गांव के हजारों लोग चिनाली बोलते हैं।
इस समुदाय से संबंध रखने वाले शाम चंद आजाद ने बताया कि लाहुल के समस्त क्षेत्र में जहां भी चनाल समुदाय के लोग रहते हैं, वो इस भाषा में ही बात करते हैं। उन्होंने कहा कि चिनाली भाषा में अधिकतर शब्द संस्कृत भाषा के होते हैं।
विभाग करेगा गांव का स्टडी सर्वे
भाषा एवं संस्कृति विभाग की सचिव पूर्णिमा चौहान ने बताया कि लाहुल घाटी में बोली जाने वाली चिनाली भाषा के संरक्षण व संवर्धन की दिशा में सरकार काम कर रही है। विभाग लाहुल घाटी के इस गांव का स्टडी सर्वे करने जा रहा है।