प्रदेश में भेड़पालन व्यवसाय अपनाकर स्वावलंबी बन सकेंगे युवा, जल्द होगा ग्लोबल विलेज फेस्ट
हिमाचल प्रदेश में भेड़पालन काे बढ़ावा देने तथा व्यवसाय छाेड़ चुके युवाअाें सहित काेराेना काल में नाैकरी गंवा चुके प्रदेश के युवाअाें काे भेड़पालन व्यवसाय के प्रति अाकर्षित करने के लिए हिमाचल प्रदेश वूल फेडरेशन की अाेर से नई याेजनाअाें पर कार्य किया जा रहा है।
पालमपुर, कुलदीप राणा। हिमाचल प्रदेश में भेड़पालन काे बढ़ावा देने तथा व्यवसाय छाेड़ चुके युवाअाें सहित काेराेना काल में नाैकरी गंवा चुके प्रदेश के युवाअाें काे भेड़पालन व्यवसाय के प्रति अाकर्षित करने के लिए हिमाचल प्रदेश वूल फेडरेशन की अाेर से नई याेजनाअाें पर कार्य किया जा रहा है।
स्वावलंबन याेजना के तहत युवाअाें काे राेजगार से जाेड़ने एवं प्रदेश में भेड़पालन काे बढ़ावा देने के लिए अागामी माह में ग्लाेबल विलेज फेस्ट के अायाेजन का कार्यक्रम बनाया जा रहा है। इसमें यूराेप सहित विश्व के कई देशाें से प्रतिनिधि भाग लेंगे। बताया जा रहा है कि हिमाचल प्रदेश वूल फेडरेशन की अाेर से पालमपुर कार्यालय परिसर में अायाेजित हाेने वाले कार्यक्रम में देश-प्रदेश से संबंधित मंत्री भी हिस्सा लेंगे। जबकि कार्यक्रम का शुभारंभ प्रदेश मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर से करवाया जाएगा। हालांकि इसकी तिथि का निर्धारण नहीं हुअा है लेकिन ग्लाेवल विलेज फेस्ट काे दिसंबर माह में अायाेजित करने की तैयारियां वूल फेडरेशन ने शुरू कर दीं हैं। यह कार्यक्रम युवाअाें काे स्वावलंबन की अाेर अाकर्षित करेगा।
क्या है वूल फेडरेशन की नई याेजना
वूल फेडरेशन के चेयरमैन त्रिलोक कपूर ने कहा कि युवाअाें काे राेजगार से जाेड़ने अाैर व्यवसाय से मुंह माेड़ रहे समुदाय के लाेगाें काे स्थिर करना है। प्रदेश में भेड़पालन व्यवसाय काे राेजगार के लिए बहुत ही बेहतर विकल्प माना जाता है। वहीं भेड़-बकरियाें के विभिन्न जंगलाें में जड़ी बूटियां खाने के चलते भी प्रदेश की भेड़ बकरियाें के उत्पाद काे अार्गेनिक दृष्टि से पाेष्टिक माना गया है।
जैविक खाद्यान्नाें के बढ़ते प्रचलन के लिए भी प्रदेश की भेड़ बकिरयाें काे बढ़िया विकल्प रूप में पेश किया जा सकता है। बकाैल वूल फेडरेशन चेयरमैन, विभिन्न बीमारियाें में इस्तेमाल हाेने वाले बकरी के दूध की मांग काे देखते हुए इसे जैविक रूप में विक्रय किया जा सकता है। वूल फेडरेशन की साेच है कि प्रदेश में घुमंतु भेड़ पालकाें की अाेर से उत्पादित बकरी के दूध काे जैविक उत्पाद के तहत 300 रुपये प्रति किलाे खरीदकर बाहरी देशाें में भेजा जा सकता है। वहीं इनके मीट काे 1000 रुपये तक बेचने के प्रयास किए जाएंगे। इससे प्रदेश के युवा स्वावलंबी बनने के साथ प्रदेश में राजस्व की वृद्धि हाेगी। इसके अतिरिक्त वूल फेडरेशन की अाेर से अागामी माह ,ग्लाेवल विलेज फेस्ट, अायाेजित करने की तैयारी की जा रही है।
हिमाचल प्रदेश वूल फेडरेशन लिमिटेड कार्यालय बनूरी के मार्केटिंग एवं प्रक्याेरमेंट प्रबंधक दीपक सैणी ने बताया कि प्रदेश में भेड़पालन व्यवसाय का बढ़ावा देने के लिए अनेकाें याेजनाअाें काे संचालन किया जा रहा है। ग्लाेवल विलेज फेस्ट, के तहत युवाअाें काे अाकर्षित करने का कार्यक्रम है। इसके साथ ही फेस्ट के माध्यम से युवाअाें काे स्वावलंबी बनाने के लिए अन्य विभागाें की प्रदर्शनी भी लगाई जाएंगी। उधर वूल फेडरेशन के चेयरमैन त्रिलाेक कपूर ने बताया कि भेड़पालन व्यवसाय से मुंह माेड़ चुके समुदाय के लाेगाें की सुविधा एवं व्यवसाय से अन्य वर्गाें युवाअाें काे जाेड़ने की गर्ज से अनेक नई याेजनाअाें का सृजन किया जा रहा है। व्यवसाय काे बढ़ावा देने के लिए युवाअाें काे अनुदान में अच्छी नस्लाें की चार-चार भेड़ बकरियां वितरित करने का भी प्रयास किया जाएगा।
प्रदेश में भेड़ बकरी पालन की स्थिति
हिमाचल प्रदेश के सभी जिलाें में भेड़ पालन का प्रचलन है। प्रदेश के लगभग 20 हजार परिवार भेड़ बकरी पालन से जुड़े हुए हैं। सबसे अधिक भेड़ बकरी पालन जिला चंबा में अपनाया जाता है जबकि कुल्लू अाैर कांगड़ा क्रमश: दूसरे अाैर तीसरे नंबर पर अाते हैं। प्रदेश में 31 मार्च 2020 की गणना अनुसार बकरियाें की संख्या 11 लाख 20 हजार 81 पाई गई है जबकि प्रदेश में भेड़ें 7 लाख 99 हजार 200 के करीब हैं।
सबसे अधिक जिला चंबा में 2,43,662 भेड़ें व 2,23,862 बकरियां पाली जा रहीं हैं। जिला कुल्लू में 1,36,265 भेड़ें व 60,869 बकरियां, जिला कांगड़ा में 1,03,201 भेड़ें व 2,15,401 बकरियां, शिमला 99,852 भेड़ें व 86,709 बकरियां, जिला मंडी में 99,145 भेड़ें व 1,92,077 बकरियां, जिला किन्नाैर 84,281 भेड़ें व 39,765 बकरियां, जिला लाहाैल स्पीति 23,209 भेड़ें व 3,079 बकरियां, जिला हमीरपुर 6,987 भेड़ें व 24,523 बकरियां, जिला सिरमाैर 5,384 भेड़ें व 1,38,051 बकरियां, जिला बिलासपुर 885 भेड़ें व 74398 बकरियां, जिला साेलन 793 भेड़ें व 48,852 बकरियां, जिला ऊना 185 भेड़ें व 12,485 बकरियां पाली जा रहीं हैं।
एक अनुमान के अनुसार प्रदेश में लगभग 25 हजार लीटर दूध उत्पन्न हाेता है। लेकिन विपणन की सही व्यवस्था के अभाव में अभी तक इसका दाेहण नहीं हाे पा रहा है। बताया जा रहा है कि यदि वूल फेडरेशन की याेजना सफल रही ताे प्रदेश के घूमंतु भेड़पालकाें व किसानाें काे लाभ हाेगा वहीं युवा इस व्यवसाय के जुड़ेंगे।