पंचायतीराज संघर्ष समिति 15 हजार लोगों के हक के लिए फिर जाएगी कोर्ट, जानिए पूरा मामला
ग्राम निर्माण पंचायतीराज संघर्ष समिति योल हक के लिए फिर न्यायालय में जल्द अवमानना याचिका दायर करेगी।
योल, सुरेश कौशल। ग्राम निर्माण पंचायतीराज संघर्ष समिति योल हक के लिए फिर न्यायालय में जल्द अवमानना याचिका दायर करेगी। समिति के अध्यक्ष ज्ञान चंद ने बताया कि 26 दिसंबर 2018 को पंचायतीराज गठन के हक में न्यायालय का फैसला आया था और 29 मार्च 2019 तक केंद्र व प्रदेश सरकारों को इस पर अमल करने के आदेश जारी किए थे लेकिन औपचारिकताएं पूरी करने में सारा समय गुजर गया। 2013 से चले पंचायतीराज संघर्ष के बाद कोई सकारात्मक हल न निकालने पर 15 हजार लोग आज भी मूलभूत सुविधाओं से वंचित हैं।
वजह साफ है कि इसी उठापटक में सभी शक्तियां कैंट वैरड बोर्ड के अधीन हैं। इसमें जनप्रतिनिधि न होने की वजह से लोगों के समय रहते कोई कार्य नहीं हो रहे हैं। दोनों सरकारों के बीच छह दिसंबर 2019 दिल्ली में हुई आलाधिकारियों की बैठक में सात सदस्यीय कमेटी का गठन तो किया जिसे 31 दिसंबर तक रिपोर्ट सौंपने का पक्ष रखा था। लेकिन किन्हीं कारणों से बैठक छह फरवरी को हुई। इस लेटलतीफी के चलते पंचायतीराज संघर्ष समिति ने अगले सप्ताह फिर अवमानना याचिका दायर करने का निर्णय लिया गया है।
क्या है विवाद
2012 के दौरान छावनी परिषद योल ने एक मुश्त गृहकर बढ़ोतरी कर दी, जोकि आम लोगों की पहुंच से बाहर थी। वहीं परिषद में रहते राज्य सरकार द्वारा संचालित कल्याणकारी योजनाओं से लोगों को वंचित रहना पड़ता है। इसी के चलते लोगों ने 2013 में चुनाव का बहिष्कार किया था।
क्या है पेंच
कैंट बोर्ड विघटन के लिए रक्षा मंत्रालय तथा राज्य सरकार की सहमति होना जरूरी है। इसके लिए दोनों सरकारों के आला अधिकारियों की बैठक छह फरवरी को दिल्ली में हो चुकी है। अब हिमाचल व केंद्रीय कैबिनेट की मंजूरी मिलना लाजिमी है।