परागपुर में सबसे ज्यादा घरेलू हिंसा की शिकार हो रहीं महिलाएं
कभी हिंदी फिल्मों की शूटिंग तो कभी अपनी धरोहर के लिए चर्चा में रहने वाला परागपुर इस बार गलत कारणों से चर्चा में आ गया है। 79 पंचायतों में 40 पंचायतों पर महिलाओं की हिस्सेदारी सुनिश्चित करने वाले परागपुर विकास खंड में महिलाएं घरेलू हिंसा की शिकार हैं।
प्रवीण कुमार शर्मा, ज्वालामुखी। कभी हिंदी फिल्मों की शूटिंग तो कभी अपनी धरोहर के लिए चर्चा में रहने वाला परागपुर इस बार गलत कारणों से चर्चा में आ गया है। 79 पंचायतों में 40 पंचायतों पर महिलाओं की हिस्सेदारी सुनिश्चित करने वाले परागपुर विकास खंड में महिलाएं घरेलू हिंसा की शिकार हैं। जिला कांगड़ा में परागपुर की महिलाएं सबसे ज्यादा अपने ससुराल पक्ष की ओर से सताई हुई हैं।
कांगड़ा जिला में पिछले दो सालों में लगातार ये ब्लॉक इस मामले में सबसे आगे है। इस बात से अनभिज्ञ गरली पंचायत की प्रधान शशिलता कहती हैं कि अगर ऐसा है तो ये शर्म की बात है।हालांकि वो कहती हैं कि उनकी पंचायत में जब से उन्होंने बतौर प्रधान कार्यभार संभाला है अभी तक ऐसा कोई मामला सामने नहीं आया है, लेकिन उनके साथ लगती अप्पर परागपुर की प्रधान मीना ये बात स्वीकार करती हैं कि उनकी पंचायत में हालांकि दो-तीन ऐसे मामले आए हैं और वे लगातार उन महिलाओं के संपर्क में हैं। वे इसका कारण शराब की आदत को मानती हैं।
आंकड़े बताते हैं कि परागपुर ब्लाक के कुछ पुरुष आदत से मजबूर हैं। जिला में इस साल अप्रैल से लेकर अगस्त तक कुल 455 केस दर्ज किए गए। जिसमें परागपुर से सबसे ज्याद 51 मामले हैं। वहीं पिछले साल इसी अवधि के दौरान ये आंकड़ा जिला में 385 और परागुपर में 43 था। घरेलू हिंसा की शिकार महिलाओं को लेकर कार्यरत जागोरी चैरिटेबल ट्रस्ट की ईडी आभा कहती हैं कि महिलाएं के खिलाफ घरेलू हिंसा के मामले पिछले दो सालों में बढ़े हैं और इसकी एक वजह कोरोना महामारी भी है। वे बताती हैं कि उनका एनजीओ कांगड़ा जिला में नारी अदालतों का आयोजन करता हैं और इसमें बहुत सारे मामले आते हैं।जिनमें कई मामलों को वे सुलझाने की भी कोशिश करते हैं।
आभा बताती हैं कि केंद्र सरकार की ओर से नर्भया प्रोजेक्ट के तहत कांगडा जिला में अब जाके दो कमरों का शेल्टर बना है। जहां घरेलू हिंसा की शिकार महिलाओं को पुलिस और वकील से लेकर काउंसलर तक उपलब्ध करवाया जाता है।जाहिर तौर पर दो कमरों का शेल्टर नाकाफी है. गरली पंचायत की प्रधान शशिलता कहती हैं कि शराब के ठेके अगर बंद हो जाएं तो महिलाओं के प्रति घरेलू हिंसा के मामले ना के बराबर हो जाएंगे. लेकिन सरकार के प्रयासों के साथ साथ पुरुषों को भी इस बात का ध्यान करना चाहिए की घर की शांति दो घूंट शराब से कहीं बढ़कर है और घर की लक्ष्मी ही असल में उनकी शक्ति है और उसे उसका सम्मान मिलना चाहिए।
उधर महिला एवं बाल विकास विभाग जिला परियोजना अधिकारी रंजीत सिंह ने कहा कि यह सही है कि जिला कांगड़ा में परागपुर में घरेलू हिंसा के मामले सबसे अधिक हैं। हमारा अध्ययन बताता है कि नशा इसका सबसे बड़ा कारण है। इनमें कमी लाने के लिए हम समय समय पर जागरूकता शिविरों का आयोजन कर रहे हैं। काउंसलिंग से भी बहुत मामले सुलझाए जा रहे हैं।