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पशुपालन विभाग ने नियम दरकिनार कर बिना स्वीकृति खरीद लिया 60 लाख का चारा, पढ़ें पूरा मामला

अब पशुपालन विभाग में गोसदनों में पल रही गायों के लिए भूसे की खरीद में नियम दरकिनार किए गए हैं।

By Rajesh SharmaEdited By: Published: Wed, 03 Jun 2020 02:32 PM (IST)Updated: Thu, 04 Jun 2020 08:11 AM (IST)
पशुपालन विभाग ने नियम दरकिनार कर बिना स्वीकृति खरीद लिया 60 लाख का चारा, पढ़ें पूरा मामला
पशुपालन विभाग ने नियम दरकिनार कर बिना स्वीकृति खरीद लिया 60 लाख का चारा, पढ़ें पूरा मामला

शिमला, रमेश सिंगटा। अब पशुपालन विभाग में गोसदनों में पल रही गायों के लिए भूसे की खरीद में नियम दरकिनार किए गए हैं। 2018-19 में 60 लाख की खरीद के लिए कोई टेंडर नहीं बुलाए गए। पशु कल्याण बोर्ड ने न तो राज्यस्तरीय और न ही जिलास्तरीय कमेटी से खरीद करवाई। वेटरनरी अस्पतालों में कार्यरत दो डॉक्टरों और गोसदन कमेटी के माध्यम से टुकड़ों-टुकड़ों में भूसा खरीदा गया। इनके लिए वित्त विभाग के नियम 2009 को दरकिनार किया गया।

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कमेटी ने अपने पसंद के सप्लायरों से भूसा खरीदा। इससे यह खरीद सवालों के घेरे में आ गई है। बोर्ड ने ऐसा स्वायत्तता के नाम पर किया, जबकि इस पर भी वित्त विभाग के नियम लागू होते हैं। बोर्ड ने राशि जिला अधिकारियों को बांट दी थी। जिला अधिकारियों ने आगे अस्पतालों के हवाले कर दिया।

किस जिला को कितनी राशि दी

  • उपनिदेशक पशु स्वास्थ्य एवं प्रजनन,बिलासपुर-276032 रुपये
  • सहायक निदेशक प्रसार चंबा-75364 रुपये
  • उपनिदेशक पशु स्वास्थ्य एवं प्रजनन, हमीरपुर-661932 रुपये
  • सहायक निदेशक प्रसार, कांगड़ा-854364 रुपये
  • सहायक निदेशक प्रसार, कुल्लू-690988 रुपये
  • उपनिदेशक , पशु स्वास्थ्य एवं प्रजनन,मंडी-538444 रुपये
  • सहायक निदेशक प्रसार, नाहन-260596 रुपये
  • सहायक निदेशक, प्रसार, शिमला-134384 रुपये
  • सहायक निदेशक प्रसार, सोलन-1577650 रुपये
  • सहायक निदेशक प्रसार, ऊना-930246 रुपये
  • कुल-60 लाख रुपये

क्या है नियम

  • प्रदेश सरकार के अधीन विभागों, बोर्डों व निगमों में सरकारी खरीद के मामले में एक ही नियम लागू है।
  • दस लाख से अधिक की खरीद के लिए टेंडर प्रक्रिया अपनानी होती है।
  • खरीद के लिए परचेज कमेटी बनानी अनिवार्य है
  • इस कमेटी में कौन-कौन लोग होंगे, इस बारे में वित्त विभाग के निर्देश हैं।
  • कमेटी में बदलाव सरकार की मंजूरी से ही किया जा सकता है।
  • खरीद वही अधिकारी कर सकता है, जिसे लिखित तौर पर शक्तियां दी हो।
  • कोई भी प्रशासनिक आदेश, जिसका वित्तीय संबंध हो, जारी करने से पूर्व वित्त विभाग से सलाह लेनी होती है।

यहां क्या हुआ

  • पशु कल्याण बोर्ड ने वित्त विभाग के परचेज कमेटी से संबंधित निर्देशों के खिलाफ अलग से निर्देश जारी किया।
  • पशु कल्याण बोर्ड ने 60 लाख की राशि जिलों में बांट दी। जिला अधिकारियों ने इस राशि को अस्पतालों को वितरित किया।
  • बोर्ड ने एक ऐसी परचेज कमेटी गठित करने के आदेश दिए, जिसमें वित्त विभाग से कोई सलाह नहीं ली।
  • खरीद की जिम्मेदार गोसदनों के प्रधानों, पशु डॉक्टरों को दे दी, यह नियमों के मुताबिक सक्षम नहीं थे।

मंडी जिले में ही 5.38 लाख की खरीद

अकेले मंडी जिले में ही 16 गोसदनों में 1214 पशुओं के लिए 5 लाख 38 हजार 444 रुपये के भूसे की खरीद की गई। अन्य जिलों में भी ऐसा ही हुआ।

प्रदेश में 146 गोसदन में सिर्फ एक सरकारी क्षेत्र में है, बाकी गैर सरकारी हैं। एक गो सेंक्चुअरी है। गोसदनों को सरकार ग्रांट देती है। पशु कल्याण बोर्ड के माध्यम से पहले 60 लाख रुपये दिए गए थे। इससे गोसदन, दो डॉक्टरों की कमेटी ने भूसा खरीदा। पैसा केंद्र से आता है। अभी कोविड-19 के मद्देनजर 15 लाख और पैसा दिया है। गाइडलाइन ही ऐसी ही है कि इसमें राज्य या जिलास्तर पर खरीद नहीं हो सकती है। लेकिन, पारदर्शिता बढ़ाने के लिए अब इस मसले को वित्त विभाग के साथ टेकअप किया जाएगा। विभाग की भी सलाह ली जाएगी। कमेटी ने अपने स्तर पर खरीद की है। -डॉ. अजमेर डोगरा, निदेशक, पशुपालन।

बोर्ड के लिए बजट राज्य सरकार आवंटित करती है। भूसे की खरीद राज्यस्तर पर नहीं होती है। उपनिदेशक इसके लिए कमेटी गठन करते हैं। इसकी स्वीकृति उपायुक्तों से ली जाती है, अगर कहीं नियमों की उल्लंघना हुई होगी तो जांच करवाएंगे, लेकिन गोसदन या वेटरनरी डॉक्टरों की कमेटी खरीद नहीं करती है। -डॉ. सीमा चाहल, सहायक निदेशक, राज्य पशु कल्याण बोर्ड।


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