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पालमपुर में वैन करेगी प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना का प्रचार

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना रवी 2021-22 के प्रचार व प्रसार के लिए एग्रीकल्चर इंश्योरेंस कंपनी व कृषि विभाग ने विशेष अभियान छेड़ दिया है ताकि किसानों को योजना की जानकारी मिल सके और वह इसका लाभ उठा सकें। अब यह वैन गांव-गांव घूमेगी और योजना का प्रचार करेगी।

By Richa RanaEdited By: Published: Tue, 23 Nov 2021 01:25 PM (IST)Updated: Tue, 23 Nov 2021 01:25 PM (IST)
पालमपुर में वैन करेगी प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना का प्रचार
प्रचार वैन प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना का प्रचार करेगी।

पालमपुर, संवाद सहयोगी। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना रवी 2021-22 के प्रचार व प्रसार के लिए एग्रीकल्चर इंश्योरेंस कंपनी व कृषि विभाग ने विशेष अभियान छेड़ दिया है, ताकि किसानों को योजना की जानकारी मिल सके और वह इसका लाभ उठा सकें। अभियान के तहत कृषि उपनिदेशक कांगड़ा डा. जीत सिंह ने प्रचार वैन को हरी झंडी दिखाकर रवाना कर दिया है। अब यह वैन गांव-गांव घूमेगी और योजना का प्रचार करेगी।

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कृषि उपनिदेशक के मुताबिक प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना रवी 2021-22 के तहत गेहूं का बीमा करवाने की अंतिम तिथि 15 दिसंबर, 2021 निर्धारित की गई। गेहूं प्रीमियम 8.5 प्रतिशत (कुल राशि 2550 प्रति हेक्टेयर) निर्धारित की गई है। जिसमें किसान द्वारा 1.5 प्रतिशत यानी 450 प्रति हैक्टेयर/36 रुपये प्रति बीघा वहन की जाएगी तथा शेष राशि सरकार द्वारा अनुदान के रूप में वहन होगी। जिले के लिए योजना के अंतर्गत दी एग्रीकल्चर इंश्योरेंस कंपनी अधिकृत की गई है।

उन्होंने सभी गैर ऋणी किसानों से अनुरोध किया कि वह अपने राजस्व पत्रों व फसल बिजाई प्रमाणपत्र सहित जो कि पटवारी द्वारा सत्यापित हो अपने नजदीकी लोकमित्र केंद्र पर जाकर इस समय अवधि के अंदर अपनी गेहूं की फसल का बीमा करवा लें, ताकि मौसम की प्रतिकूल परिस्थितियों से होने वाले नुक्सान की भरपाई हो सके।

उन्होंने जानकारी दी कि योजना के तहत गेहूं फसल के जोखिम जिनके कारण फसल का नुकसान होता है की भरपाई की जाएगी। बाधित बिजाईर/रोपण जोखिम: बीमाकृत क्षेत्र में कम वर्षा अथवा प्रतिकूल मौसमी दशाओं के कारण बिजाई/रोपण क्रिया न होने एवं होने वाली हानि से सुरक्षा प्रदान करेगा। वहीं खड़ी फसल (बिजाई से लेकर कटाई तक) गैर बाधित जोखिमों तथा सूखे, लंबी शुष्क कृमि व रोग, बाढ़, जल भराव । फसल कटाई के उपरांत होने वाले नुकसान: यह बीमा आच्छादन ऐसी फसलों को काटे जाने से अधिकतम दो सप्ताह के लिए चक्रवात और चक्रवातीय वर्षा एवं गैर मौसमी वर्षा के मामले में दिया जाता है जिन्हें फसल कटाई के बाद खेत में सूखने के लिए छोड़ा जाता है।

इसके अलावा अधिसूचित क्षेत्र में पृथक कृषि-भूमि को प्रभावित करने वाली ओला वृष्टि, भू-स्खलन और जलभराव के अभिचिन्हित स्थानीयकृत जोखिमों से होने वाले नुकसान/क्षति होने पर दिया जाता है। उन्होने जिला के किसानों से आग्रह किया है कि गेहूं की फसल का बीमा करवाने के लिए हल्का पटवारी से अपनी जमीन की जमाबंदी नकल व फसल प्रमाण पत्र जारी करने के उपरांत इसे अपने लोकमित्र केंद्र में ले जाकर प्रपत्र भरकर जमा करवाएं तथा प्रीमियम की रसीद भी प्राप्त कर लें। उन्होंने बीमा कंपनी के प्रतिनिधियों से आग्रह किया है कि वह कृषि विभाग तथा अन्य विभागों द्वारा लगाए गए प्रशिक्षण शिविरों में जाकर किसानों को फसल बीमा की योजना के बारे में जागरूक करें।


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