फतेहपुर उपचुनाव में पोस्टर वार के बीच आज केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर करेंगे दो जनसभाएं, पढ़ें खबर
Union Minister Anurag Thakur फतेहपुर विधानसभा क्षेत्र उपचुनाव में मतदाता अभी तक पूरी तरह से खामोश हैं। वोटरों की खामोशी नेताओं को सताने लगी है। हाल यही रहा तो मतदाताओं की खामोशी कांग्रेस-भाजपा दोनों प्रमुख दलों के सियासी समीकरण बिगाड़ सकती है।
धर्मशाला, जागरण संवाददाता। Union Minister Anurag Thakur, फतेहपुर विधानसभा क्षेत्र उपचुनाव में मतदाता अभी तक पूरी तरह से खामोश हैं। वोटरों की खामोशी नेताओं को सताने लगी है। हाल यही रहा तो मतदाताओं की खामोशी कांग्रेस-भाजपा दोनों प्रमुख दलों के सियासी समीकरण बिगाड़ सकती है। फतेहपुर उपचुनाव को लेकर कांग्रेस-भाजपा दोनों प्रमुख राजनीतिक पार्टियों ने जोर लगा दिया है और नेतागण बकायदा स्टीकता से कार्यक्रम बनाकर चुनाव प्रचार में जुट गए हैं। इसी के तहत भाजपा के स्टार प्रचारक एवं केंद्रीय खेल व सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर शनिवार को हलके की विभिन्न पंचायतों में भाजपा प्रत्याशी बलदेव ठाकुर के पक्ष में प्रचार करेंगे। अनुराग ठाकुर आज राजा का तालाब व रे में जनसभाओं को संबोधित करेंगे।
इसके अलावा अन्य पंचायतों में भी प्रचार करेंगे। उनके आने के एक दिन पूर्व ही रे व राजा का तालाब क्षेत्र में अज्ञात लोगों ने बलदेव ठाकुर के खिलाफ क्षेत्र की दीवारों पर पोस्टर चस्पा कर दिए हैं, जिसमें अबकी बार जवाली पार लिखते हुए बलदेव ठाकुर का विरोध जताया है।
अनुराग ठाकुर को आज का दौरा इसलिए भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि दो दिन पूर्व ही कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष कुलदीप राठौर ने धर्मशाला में पत्रकार वार्ता के दौरान अनुराग ठाकुर को परिवारवाद की उपज उपज बताया था। अपने दौरे के दौरान अनुराग ठाकुर कुलदीप राठौर के ब्यान में अपना पक्ष रख सकते हैं।
फतेहपुर विस क्षेत्र की बात की जाए तो तीन बार लगातार हार का सामना कर रही भाजपा इस बार विकास के मुद्दे पर अपनी चुनावी नैया को पार लगाना चाहती है और तो वहीं जीत की हैट्रिक बना चुकी कांग्रेस इस उपचुनाव को अपने कार्यकाल में किए गए विकास कार्यों को लेकर आगे बढ़ाना चाह रही है। इसके अलावा बढ़ती महंगाई व बेरोजगारी को मुद्दा बना कर अपने जीत के रथ को आगे बढऩा चाहती है।
किसान-बागबान पर फोकस
चुनाव में किसानों-बागबानों की भी अहम भूमिका रहेगी। इस क्षेत्र में हजारों परिवार बागबानी व कृषि से जुड़े हैं और इस महंगाई के दौर में किसानों-बागबानों को अपनी फसल बेचने के लिए पर्याप्त व्यवस्था न होने व उचित दाम न मिलने से उनमें अकसर रोष रहता है। यहां बागवानों को अपने आम व संतरा आदि को बेचने के कम अवसर होते हैं और वह पूरी तरह व्यापारियों के रेट पर ही निर्भर होते हैं, वहीं किसानों को भी उनकी फसल के उचित दाम नहीं मिल पाते, जिससे वह परेशान रहते हैं।