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रात को टाट पर ठिठुर दिन में पदक की जंग

मटौर स्कूल में अंडर-14 खेल में रिहायश की दिक्कत खिलाड़ियों व उनके साथ आए अधिकारियों को झेलनी पड़ी रही है उन्‍हें सोने के लिए कटी-फटी दरियां, चटाइयां दी गई हैं।

By Edited By: Published: Fri, 07 Sep 2018 08:39 PM (IST)Updated: Sat, 08 Sep 2018 10:14 AM (IST)
रात को टाट पर ठिठुर दिन में पदक की जंग
रात को टाट पर ठिठुर दिन में पदक की जंग

कांगड़ा, जेएनएन। कांगड़ा जिला में खेलों को लेकर शिक्षा विभाग 'कुछ गेहूं गीले तो कुछ घराट ढीले' की कहावत पर खरा उतर रहा है। इन दिनों मटौर स्कूल में अंडर-14 खेल हो रहे हैं, लेकिन विडंबना यह है कि पहले दिन से ही यहां पर रिहायश की दिक्कत खिलाड़ियों व उनके साथ आए अधिकारियों को झेलनी पड़ी है। सुविधाओं की बात करें तो कटी-फटी दरियां, चटाइयां दी गई हैं, जिसमें खिलाड़ियों को रात गुजारनी है और सुबह मैदान में भी प्रदर्शन करना है।

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यही नहीं, एक कमरे में चार-चार स्कूलों की टीमें ठहरी हैं। रात को ढंग से सोने का इंतजाम न होने के बाद सुबह शौचालय आदि का इंतजाम भी ढीला है। पानी की जरूरत पूरा करने के लिए टैंकर मंगवाए हैं, लेकिन 800 छात्रों के नहाने व शौच आदि के लिए शौचालय भी कम पड़ रहे हैं। ऐसे में साथ बहती खड्ड मनूनी है। अगर खिलाड़ी कहीं शौच के लिए खड्ड में चले जाएं तो हादसे का शिकार भी बन सकते हैं। इन सभी अव्यवस्थाओं को लेकर न तो आयोजकों के माथे पर कोई शिकन है और न ही शिक्षा विभाग की तरफ से कोई ¨चता है। प्रति खिलाड़ी 60 रुपये दैनिक तथा 10 रुपये रिफ्रेशमेंट दी जाती है। 70 रुपये में ही खिलाड़ी को स्कूल व अपना नाम रोशन करना है। ऊबड़खाबड़ मैदान में उगे बड़े घास के बीच अलग-अलग खेलों में खिलाड़ियों को उतारा जा रहा है।

एक कमरे में एक स्कूल से ज्यादा स्कूल होने के कारण आपस में तनाब व तकरार की आशंका भी रहती है। इन कमरों में सीसीटीवी कैमरे स्थापित हैं जिसकी निगरानी आयोजक स्कूल के प्राचार्य के कक्ष में है। इसके बावजूद खिलाड़ियों की सुरक्षा के कोई इंतजाम नहीं हैं। भारत के लिए गोल्ड लाने वाले खिलाड़ियों को इन असुविधाओं में तराशना कोसों दूर है। कलियाड़ा व खनियारा स्कूल सहित कुछ अन्य स्कूल अव्यवस्था देखकर खिलाड़ियों को वापस ले गए हैं और दिन में इवेंट के वक्त ही खिलाड़ी ला रहे हैं।

प्रति खिलाड़ी 60 रुपये दैनिक व 10 रुपये रिफ्रेशमेंट मिलती है। इससे ज्यादा नहीं दे सकते। रहने को कमरे व दरियां उपलब्ध करवाई गई हैं। अभी तक यही व्यवस्था है। जिला स्तर की स्पर्धाओं में किराया भी नहीं दिया जाता, जबकि राज्यस्तरीय स्पर्धाओं में टीमों को किराया दिया जाता है। जिला प्रारंभिक शिक्षा क्रीड़ा संघ इसके लिए खर्च कर रहा है। खिलाड़ियों के खाने-पीने का पुख्ता इंतजाम है। -पृथी ¨सह, अतिरिक्त जिला शारीरिक शिक्षा अधिकारी, कांगड़ा।


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