बेसहारा पशुओं की दहशत, फसल बचाने के लिए किसान ठीकरी पहरा देने को हुए मजबूर
Unassited Cattle Destroy Crops विकास खंड नूरपुर की पंचायत सुलयाली के किसान बेसहारा पशुओं से गेहूं की फसल को हो रहे भारी नुकसान से परेशान हैं।
जसूर, अश्वनी शर्मा। विकास खंड नूरपुर की पंचायत सुलयाली के किसान बेसहारा पशुओं से गेहूं की फसल को हो रहे भारी नुकसान से परेशान हैं। आलम यह है कि किसानों को खून पसीने और भारी भरकम खर्च कर बीजी गई फसल को बचाने के लिए रात को ठीकरी पहरा देना पड़ रहा है। इसके बावजूद बेसहारा पशुओं ने तबाही मचाई हुई है।
किसान केवल सिंह ने बताया कि उन्होंने पट्टे पर जमीन लेकर गेहूं की फसल बीजी थी। फसल भी अच्छी लगी थी। लेकिन रात को कम से कम 25 से 30 बेसहारा पशुओं ने उसकी फसल को तबाह कर दिया है। गांव के कई अन्य किसानों की भी फसलें बेसहारा पशु बर्बाद कर रहे हैं। गांव में अक्सर रात को लोग पशुओं को चुपके से क्षेत्र में छोड़ जाते हैं। गांव में कम-से-कम सौ-डेढ़ सौ बेसहारा पशु जो झुंड बना खेतों में घुस फसलों को तबाह कर रहे हैं। इस बारे में कई बार पंचायत व सरकार को अवगत करवाया पर कोई भी हल नहीं निकला।
सरकारें बेसहारा पशुओं से निजात दिलाने के वादे तो करती हैं पर जमीनी हकीकत शून्य है। सरकार गोशाला के नाम से लाखों रुपये शराब ठेकों व बिजली पर टैक्स इक्ट्ठा कर रही है पर धरातल पर गोशालाओं का कोई भी अता पता नहीं। सरकार किसानों की आय दुगुनी करने की बात कहती हैं पर किसानों कभी मौसम की मार, बढ़ती हुई मंहगाई की मार तथा बेसहारा पशुओं से फसल बर्बादी की झेलनी पड़ रही। जिससे किसान इस समय खेती-बाड़ी छोडऩे मजबूर हो रहा। गांव के किसानों ने सरकार से अनुरोध किया कि इस समास्या का हल जल्द निकाले नहीं तो किसानों को खेती-बाड़ी छोडऩी पड़ सकती है।
किसान विजय,रवि, दशु अमर सिंह, अरुण सिंह पठानिया ने बताया कि मेहनत से लगाई फसल बचाने के लिए खेत में ही सोना शुरू किया है । साथ ही लोग अपनी फसलों को बचाने के लिए सर्दी, बारिश में देर रात तक घरों को छोड़कर खेतों के आसपास बैठने पर मजबूर हैं। सुलयाली के नेरा, बलारा देवभराडी और भी गांव इसी समस्या से जूझ रहे हैं। इस गांव मेें रात को अक्सर आप लोगों को खेतों का पैहरा देते देख सकते हैं। सरकार से अनुरोध किया कि सरकार इस समस्या का हल निकाला जाए।