न बस और न ही रूट, फिर भी आॅपरेटर को थमा दिया 7.90 लाख रुपये का टैक्स, पढ़ें पूरा मामला
Transport Department Negligence हिमाचल प्रदेश में परिवहन विभाग की बड़ी चूक सामने आई है। यहां एक ऐसे निजी बस आपरेटर को 7.90 लाख का टोकन व स्पेशल रोड टैक्स थमा दिया है जिसकी न बस चलती है और न ही अब रूट अस्तित्व में है।
शिमला, जेएनएन। हिमाचल प्रदेश में परिवहन विभाग की बड़ी चूक सामने आई है। यहां एक ऐसे निजी बस आपरेटर को 7.90 लाख का टोकन व स्पेशल रोड टैक्स थमा दिया है, जिसकी न बस चलती है और न ही अब रूट अस्तित्व में है। उसने 2015 में बस बेच दी थी। तब टोकन टैक्स चुकाने के लिए पत्नी के गहने बेचने पड़े थे और कारोबार में घाटा हुआ था। परिवहन आयुक्त ने इस चूक को पकड़ लिया है। उन्होंने मामले का कड़ा संज्ञान लिया है। प्रभावित व्यक्ति ने उन्हें पूरी दास्तां बयां कर दी है। तथ्यों को वेरीफाई किया तो शिकायतकर्ता सही पाया गया। अब पूरा टैक्स माफ होगा। इसके लिए फाईल पर पूरे तथ्य जुटा लिए गए हैं।
गलत तरीके से टैक्स केलकुलेट करने वालों पर भी कार्रवाई होगी। टैक्स बिलासपुर, मंडी दो जगहों पर केलकुलेट किया गया है। पूर्व आपरेटर एक डेढ़ साल से परेशान हैं। राजस्व विभाग से कुर्की का भी नोटिस मिला। जबकि बस का रूट एक्सपायर हो गया है।
कितना टैक्स देते हैं आॅपरेटर
प्रदेशभर में निजी बस आपरेटरों की संख्या करीब डेढ़ हजार हैं। इनकी 3300 बसें चलती हैं। निजी बस आपरेटर संघ के महासचिव रमेश कमल के अनुसार ये सरकार को स्टेट रोड टैक्स, टोकन टैक्स के तौर पर 40 करोड़ रुपये साल में चुकाते हैं। कोरोना संकट के शुरुआती महीनों में सरकार ने इसे माफ किया। जुलाई तक इसे माफ किया गया था। अब आपरेटर इसे मार्च महीने तक माफ करो की मांग कर रहे हैं।
प्रभावित को राहत देगा विभाग
परिवहन आयुक्त कैप्टन जेएम पठानिया का कहना है आॅपरेटर के पास अब बस नहीं है और रूट भी एक्सपायर है। इसे 7 लाख 90 हजार रुपये चुकाने को कहा गया। मामला गंभीर है। इसका संज्ञान लिया गया है। इस मामले में प्रभावित को राहत दी जाएगी। टैक्स माफ किया जाएगा।