जाम में पिसी व्यवस्था, रेंग रहा यातायात
शिमला में यातायात जाम आम हो गया है। इससे कर्मचारी व विद्यार्थी तो परेशान हैं ही पर्यटक भी जूझते हैं। सुबह साढ़े आठ से दस बजे व शाम को पांच से सात बजे तक वाहन रेंगते हुए नजर आते हैं। यहां हर एक सेकेंड में वाहन आते-जाते हैं।
प्रकाश भारद्वाज, शिमला। राजधानी शिमला में यातायात जाम आम बात हो गई है। इससे कर्मचारी, व विद्यार्थी तो परेशान हैं ही, बाहर से आने वाले पर्यटक भी जूझते हैं। सुबह साढ़े आठ से दस बजे व शाम को पांच से सात बजे तक वाहन रेंगते हुए नजर आते हैं। यहां हर एक सेकेंड में वाहन आते-जाते हैं। दोपहर में हर दस सेकेंड में एक वाहन गुजरता है। यातायात जाम तारादेवी, मशोबरा, कुफरी व टूटु से लगना शुरू होता है। सप्ताह के पहले दिन शहर में हिमाचल नंबर के 35 हजार वाहन प्रवेश करते हैं। ये वाहन राज्य के निचले क्षेत्रों के अलावा कालका-शिमला मार्ग से और मंडी व शिमला जिला के क्षेत्रों से शहर में प्रवेश करते हैं।
सप्ताह के अंतिम दिनों में बढ़ जाते हैं वाहन
सप्ताह के अंतिम तीन दिन में अन्य राज्यों से पर्यटकों की आमद बढऩे से रोजाना पांच हजार से सात हजार वाहन और बढ़ जाते हैं। इस समय शहर के लोगों के पास 1.35 लाख छोटे वाहन कार आदि और 43 हजार बाइक व स्कुटी मौजूद हैं।
10 साल पहले हुआ था अध्ययन
एक दशक पहले शिमला के पुलिस अधीक्षक अभिषेक दुल्लर ने शहर की सड़कों पर ट्रैफिक ड्यूटी देने वाले पुलिस कर्मियों से एक अध्ययन करवाया था। इसके मुताबिक तब शहर में हिमाचल नंबर के वाहनों की संख्या 65 हजार थी। उसके अलावा दूसरे राज्यों से आने वाले वाहनों की संख्या अधिकतम दस हजार थी। ट्रैफिक जाम का समाधान दिया गया था कि शिमला शहर में भी अन्य विकसित शहरों की तरह फ्लाई ओवर बनाए जाए, ताकि जाम की समस्या का समाधान निकल सके।
छोटे फ्लाई ओवर पर नहीं हुआ अमल
छोटा शिमला चौक, टा-लैंड, विक्ट्री टनल, संजौली, रेलवे स्टेशन, बालूगंज, एमएलए क्वाट्र्स चौक पर सामान्य तौर पर वाहनों के आने-जाने की व्यवस्था नहीं होने के कारण जाम लगता है। जिसे लेकर चौक पर छोटे फ्लाई ओवर बनाने का प्रस्ताव आया था। एक स्थान पर निर्माण की प्रस्तावित लागत 400 करोड़ रुपये आंकी गई थी। वर्तमान सरकार में इस तरह के प्रस्ताव के बाद कोई कदम नहीं उठाया गया।
शिमला राजधानी शहर होने के कारण यहां पर वाहनों का अधिक दवाब रहता है। शहर में लोगों के पास एक से अधिक वाहन हैं। इसका समाधान निकालने के लिए सड़कों को चौड़ा किया जा रहा है। सप्ताह के पहले दो दिनों के दौरान वाहनों की संख्या इसलिए भी अधिक रहती है कि लोग घरों से शिमला आते हैं और शहर में वाहनों की संख्या अधिक हो जाती है।
-सुभाषीश पांडा, प्रधान सचिव, लोक निर्माण विभाग।