आडियो-वीडियो से स्पर्श, गंध व स्वाद का पता लगाना होगा आसान
प्रौद्योगिकी के सहारे निकट भविष्य में आडियो वीडियो से स्पर्श गंध व स्वाद का पता लगाना आसान होगा। आइआइटी के इंक्यूबेशन हब ने ह्यूमन कंप्यूटर इंटरेक्शन (एचसीआइ) पर काम करना शुरू कर दिया है। विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने इंक्यूबेशन हब स्थापित करने के लिए 110 करोड़ दिए थे।
मंडी, हंसराज सैनी।
प्रौद्योगिकी के सहारे निकट भविष्य में आडियो, वीडियो से स्पर्श, गंध व स्वाद का पता लगाना आसान होगा। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी) के इंक्यूबेशन हब ने ह्यूमन कंप्यूटर इंटरेक्शन (एचसीआइ) पर काम करना शुरू कर दिया है। विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने गत वर्ष इंक्यूबेशन हब स्थापित करने के लिए संस्थान को 110 करोड़ रुपये की ग्रांट दी थी।
इंक्यूबेशन हब एवं एचसीआइ फाउंडेशन स्थापित होने के बाद अब मल्टीसेंसरी इंटरफेस (एमएसआइ) व ब्रेन कंप्यूटर इंटरफेस (बीसीआइ) पर होगा शोध कार्य होगा। चयनित शोधार्थी को आइआइटी की तरफ से डेढ़ लाख की फेलोशिप व दो लाख रुपये की ग्रांट मिलेगी। प्रोटोटाइप विकसित होने की सूरत में आइआइटी स्टार्टअप के तहत सहयोग करेगा। मेक इन इंडिया के तहत एचसीआइ के क्षेत्र में देश को आत्मनिर्भर बनाने व प्रौद्योगिकी के सहारे आय के स्रोत बढ़ाने की दिशा में इसे केंद्र की मोदी सरकार का बड़ा कदम माना जा रहा है। आठ कंपनियों को मिलाकर इंक्यूबेशन हब का गठन किया है। इंक्यूबेशन हब साइबर भौतिक प्रणाली पर राष्ट्रीय मिशन की देखरेख में काम करेगा। इसमें रक्षा, स्वास्थ्य, पर्यावरण व सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में शोध पर काम होगा।
मनुष्य के अंदर जिस तरह से देखने, सुनने, स्पर्श, गंध व स्वाद का पता मल्टीसेंसरी सिस्टम है। ठीक वैसा ही सिस्टम एलसीआइ में विकसित करने के प्रयास होंगे। वर्तमान में प्रौद्योगिकी के सहारे आडियो, वीडियो से व्यक्ति एक-दूसरे को देख व सुन सकते हैं, लेकिन गंध आदि का पता नहीं चलता है। बीसीआइ में मस्तिष्क में ही हर गतिविधि को ठीक से पढऩे की तकनीक विकसित करने के प्रयास होंगे।
संस्थान में इंक्यूबेशन हब स्थापित करने के लिए केंद्र सरकार ने गत वर्ष 110 करोड़ की ग्रांट दी थी। हब ने काम करना शुरू कर दिया है। एचसीआइ पर विशेष रूप से काम होगा। शोध करने वालों को फेलोशिप के अलावा संस्थान की तरफ से ग्रांट भी दी जाएगी।
-डा. वरुण दत्त, एसोसिएट प्रोफेसर आइआइटी मंडी