सोलन में टमाटर के पौधों को लगा कमरतोड़ रोग
टमाटर के पौधों में लगे कमरतोड़ रोग ने इस बार किसानों को संकट में डाल दिया है। सोलन जिला के अधिकतर क्षेत्रों में टमाटर के 50 प्रतिशत तक पौधे इस बीमारी की वजह से नष्ट हो चुके हैं।
सोलन, जागरण संवाददाता। टमाटर के पौधों में लगे कमरतोड़ रोग ने इस बार किसानों को संकट में डाल दिया है। सोलन जिला के अधिकतर क्षेत्रों में टमाटर के 50 प्रतिशत तक पौधे इस बीमारी की वजह से नष्ट हो चुके हैं। किसानों को मजबूरन फिर से पैसे खर्च करके नए पौधे लगाने पड़ रहे हैं।
प्रदेश में सोलन जिला टमाटर उत्पादन में पहले स्थान पर है। जिला के पहाड़ी एरिया में इस वर्ष 5100 हेक्टेयर क्षेत्र में टमाटर की फसल लगाई है। मई के पहले सप्ताह तक किसान टमाटर की पौध लगाना शुरू कर देते हैं। इससे पहले बारिश न होने से फसल पर संकट खड़ा हो गया था। ऐसे में किसानों के पास सिंचाई ही एकमात्र विकल्प था। अधिक तापमान में सिंचाई करने की वजह से टमाटर के पौधों में कमरतोड़ रोग लगना शुरू हो गया है। इस रोग की वजह से जिला का आंजी, शमलेच, शामती, बसाल, कंडाघाट व नौणी क्षेत्र सबसे अधिक प्रभावित हुआ है।
आमतौर पर कमरतोड़ रोग नर्सरी में अधिक लगता है, लेकिन इस वर्ष समय पर बारिश न होने की वजह से यह रोग खेतों तक पहुंच गया है। यदि अब भी पर्याप्त बारिश नहीं होती है तो टमाटर की पूरी फसल नष्ट हो सकती है।
हर वर्ष 50 करोड़ का कारोबार
सोलन जिला में औसतन हर साल 50 करोड़ से अधिक का टमाटर किसान बेचते हैं। यहां के किसानों के लिए यह फसल आय का मुख्य साधन है। सोलन में लगाया जाने वाला हिमसोना व हाइब्रिड किस्म का टमाटर देशभर में आपूर्ति किया जाता है। आंजी के रहने वाले किसान राजेंद्र ठाकुर ने बताया कि इस रोग की वजह से करीब दो हजार पौधे अब तक सूख चुके हैं।
सुबह-शाम ही सिंचाई करें किसान
कृषि विभाग सोलन के उपनिदेशक डीपी गौतम का कहना है कि नुकसान का जायजा लिया जाएगा और किसानों को जागरूक भी किया जाएगा। उन्होंने कहा कि यह बीमारी अधिक तापमान की वजह से लगती है, इसलिए किसान सुबह व शाम को ही पौधों को पानी दें। इसके अलावा किसान फफूंदनाशक वेबीसीन का छिड़काव भी कर सकते हैं।