तिब्बत की स्वायत्तता के लिए मांगा समर्थन
tibetan uprasing day निर्वासित तिब्बती समुदाय के लोगों ने 60वें अपराइ¨जग डे पर मैक्लोडगंज से धर्मशाला तक रैली निकाल तिब्बत की आजादी की मांग को लेकर आवाज बुलंद की।
धर्मशाला, जेएनएन। निर्वासित तिब्बती समुदाय के लोगों ने 60वें अपराइजिंग डे पर मैक्लोडगंज से धर्मशाला तक रैली निकाली और तिब्बत की आजादी की मांग को लेकर आवाज बुलंद की। रैली को सफल बनाने में निर्वासित तिब्बती यूथ कांग्रेस, तिब्बती महिला संगठन, नेशनल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ तिब्बत, गु चु सुम मूवमेंट ऑफ तिब्बत और स्टूडेंट फॉर ए फ्री तिब्बत इंडिया ने अपना सहयोग दिया। पुलिस मैदान में आयोजित कार्यक्रम निर्वासित तिब्बती संसद के सभापति पेमा जुनगे ने भी शिरकत की।
इस दौरान उन्होंने 60वें अपराइ¨जग डे पर तिब्बत की आजादी को लेकर छेड़े गए आंदोलन बारे पर प्रकाश डाला। तिब्बतियन यूथ कांग्रेस नामसंग, तिब्बतियन वुमेन एसोसिएशन डोलमा सायचन, नेशनल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ तिब्बत नोरबू साग्ये, गुच्चु सम रिपोंछे, स्टूडेंट फॉर फ्री तिब्बत रिंजी व गद्दी नेता पुरुषोत्तम ने भी रैली को संबोधित किया। उन्होंने कहा डोकलाम विवाद हो चाहे, पूर्वी राज्यों का मसला चीन हमेशा से ही बड़ा रोड़ा बना हुआ है। तिब्बत पर अतिक्रमण करके चीन अपनी धौंस जमाने में लगा हुआ है, लेकिन धर्मगुरु दलाईलामा शांति के मार्ग पर चलकर तिब्बत को आजाद करवाने की लड़ाई लड़ रहे हैं, जो कि एक दिन कामयाब होगी। उन्होंने कहा कि दलाईलामा ने भारत में आकर तिब्बत की संस्कृति को बचाए रखा है, लेकिन अब चीन की मजबूत स्थिति डामाडोल होने की स्थिति में आ गई है।
चीन ने ल्हासा में 1959 में हजारों का नरसंहार कर संस्कृति को मिटाने का प्रयास किया। इस दौरान तिब्बती समुदाय के लोगों ने नारेबाजी की और संयुक्त राष्ट्र संघ व विश्व के अन्य देशों के प्रतिनिधियों से आग्रह किया कि वे चीन पर दवाब बनाए, ताकि तिब्बत को आजादी मिले और चीन में कैद पंचेन लामा सहित अन्य कैदियों को रिहा किया जाए। इस दौरान इंद्रुनाग चौहला से पुलिस मैदान धर्मशाला तक तिरंगे को भी पैराग्लाइ¨डग के जरिये उतारा गया। इससे पूर्व मैक्लोडगंज में रिपब्लिक ऑफ वोत्सवाना के पूर्व राष्ट्रपति डॉ. सरेत्से खामा ने रैली को हरी झंडी दिखाई।