Move to Jagran APP

माउंट एवरेस्ट से भी ऊंची है इन परिंदों की उड़ान

पौंग बांध में विदेशी परिंदों की चहलकदमी बढ़ गई है। यहां एवरेस्‍ट से भी उंची उड़ान भरकर परिंदे यहां पहुंचे हैं।

By Rajesh SharmaEdited By: Published: Tue, 29 Jan 2019 12:34 PM (IST)Updated: Tue, 29 Jan 2019 12:34 PM (IST)
माउंट एवरेस्ट से भी ऊंची है इन परिंदों की उड़ान
माउंट एवरेस्ट से भी ऊंची है इन परिंदों की उड़ान

जेएनएन, धर्मशाला। सर्दी के मौसम में कांगड़ा जिले के पौंग बांध में विदेशी परिंदों की चहलकदमी बढ़ जाती है। रंगबिरंगे खूबसूरत विदेशी मेहमान यहां बसेरे के तलाश में हर साल आते हैं। झील के आसपास के इलाके आजकल इनके कलरव से गूंजते रहते हैं, वहीं झील में नौका के जरिये लोग इनकी अठखेलियों को निहारते रहते हैं।

loksabha election banner

हजारों किलोमीटर की सैर करके यहां सुकून के पल गुजारने के लिए आने वाले विदेशी परिंदों से आजकल पौंग झील गुलजार है। पावर प्रोजेक्ट व कुछ प्रदेशों को सिंचाई सुविधा उपलब्ध करवाने के लिए सत्तर के दशक में ब्यास नदी में बनाया गया पौंग बांध आज विदेशी पक्षियों की पसंदीदा सैरगाह बन गई है। कई हजार किलोमीटर का सफर तय कर हर साल यहां लाखों विदेशी पक्षी पहुंचते हैं और यहां नवंबर से लेकर अप्रैल तक प्रवास करते हैं और फिर अपने मूल स्थानों को लौट जाते हैं।

पौंग बांध के निर्माण के बाद 207 वर्ग किलोमीटर में एक बड़ी झील बनी थी। जिला कांगड़ा के देहरा से लेकर पौंग बांध तक फैली यह झील करीब 37 किलोमीटर लंबी है। अंतरराष्ट्रीय रामसर वेटलैंड पौंग बांध पहुंचने वाले विदेशी परिंदों में बार हेडेड गूज प्रजाति के परिंदे की उड़ान हिमालय की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट से भी अधिक है। यह ऐसा पङ्क्षरदा है जिसकी सभी परिंदों में से सबसे ऊंची उड़ान होती है। हिमालय की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट की ऊंचाई 8, 848 मीटर है जबकि बार हेडेड गूज की उड़ान इस चोटी से भी कहीं ज्यादा होती है।

सबसे ज्यादा आते हैं यह पक्षी

पौंग झील पहुंचने वाले विदेशी परिंदों में बार हेडेड गीज, कॉमन कूट, कॉमल शैलडक, नॉर्दन पिनटेल, कॉमन पॉचार्ड, कार्मोनेंट, स्पॉट बिल्ड डक सहित हजारों प्रजातियों के परिंदे पहुंचते हैं, लेकिन उपरोक्त प्रजाति के परिंदों की संख्या सबसे ज्यादा रहती है।

इन स्थानों से आते हैं विदेशी परिंदे

सर्दियों के मौसम में ट्रांस हिमालयन की अधिकांश झीलों के जमने के साथ ही चीन, मंगोलिया, तिब्बत व रसिया समेत अन्य देशों से विदेशी पङ्क्षरदे अंतरराष्ट्रीय रामसर वेटलैंड पौंग झील की ओर रुख कर देते हैं। नवंबर की शुरुआत के साथ ही अंतरराष्ट्रीय रामसर वेटलैंड में विदेशी पक्षी पहुंचना शुरू हो जाते हैं और अप्रैल तक अपने मूल स्थानों की ओर लौट जाते हैं।

अभी तक पहुंचे 55 प्रजातियों के 80 हजार परिंदे

अंतरराष्ट्रीय रामसर वेटलैंड पौंग झील में अभी तक 55 प्रजातियों के 80 हजार से ज्यादा पङ्क्षरदे पहुंच चुके हैं और वर्ष में वार्षिक गणना के साथ-साथ वन्य प्राणी विभाग की ओर से हर सप्ताह रूटीन गणना भी की जाती है।

जनवरी के अंतिम सप्ताह में गणना शुरू

अंतरराष्ट्रीय रामसर वेटलैंड पौंग झील में पहुंचने वाले विदेशी परिंदों की वार्षिक गणना जनवरी माह के अंतिम सप्ताह में की जाती है, जो शुरू हो गई है। वार्षिक गणना की विशेषता यह रहती है कि रूटीन गणना में 8 रूटों जबकि वार्षिक गणना में 22 रूटों में गणना की जाती है और वार्षिक गणना में वन्य प्राणी विभाग के अलावा वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया, बांबे नेचुरल हिस्ट्री सोसायटी बीएनएचएस के अलावा अन्य कई पक्षियों से जुड़ी संस्थाएं भाग लेती हैं।

बार हेडेड गीज

बार हेडेड गीज ऐसी प्रजाति का परिंदा है, जो माउंट एवरेस्ट यानि 30 हजार फीट से ज्यादा ऊंची उड़ान भरता है। इतनी अधिक ऊंचाई में तापमान बहुत कम होता है, लेकिन केवल यही एक ऐसी प्रजाति का पङ्क्षरदा है, जो इतनी अधिक ऊंचाई के दौरान भी ठंड सहन कर सकता है या यूं कहें कि अधिक ऊंचाई पर जहां ऑक्सीजन की इन्हें दिक्कत नहीं होती है।  इन परिंदों में अन्यों के मुकाबले विशेष तरह की रक्त कोशिकाएं होती हैं जो सबसे अधिक ऊंचाई वाले क्षेत्रों में भी एकाएक ऑक्सीजन को संग्रहित कर लेती हैं। पौंग झील में अभी तक 29 हजार, 52 परिंदे बार बार हेडड गीज पहुंच चुके हैं।

कॉमन पॉचर्ड

यह दलदली क्षेत्रों में पाए जाते हैं और समूहों में होते हैं। वहीं पानी में डूबकी लगाकर अपने भोजन की तलाश करते हैं। इस प्रजाति के करीब 6 हजार, 616 परिंदे पहुंच चुके हैं।

नॉर्दन पिनटेल

यह पक्षी 48 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से उड़ान भरता है। इसकी सबसे बड़ी विशेषता है कि यह 1800 मील तक लंबी लगातार उड़ान बिना विश्राम किए भर सकता है। वहीं पानी में तैरता रहता है। सर्दियों में यह परिंदे साइबेरिया, मध्य एशिया और उत्तर दक्षिणी एशिया से आते हैं। इस प्रजाति के करीब 10 हजार, 350 परिंदे पौंग झील पहुंचे हैं।

पौंग झील में हर साल आते हैं लाखों पक्षी

1980 के बाद से पौंग झील में विदेशी पक्षियों के आने का सिलसिला शुरू हुआ था। पहले काफी कम तादाद में पक्षी यहां आते थे। इसे बेहद सामान्य लिया जाता था, लेकिन 1990 के बाद से यहां विदेशी पक्षियों की संख्या में एकाएक बढ़ोतरी हुई। पहले कुछ प्रजातियां यहां पहुंचती थी, अब यह संख्या 107 के करीब पहुंच गई है। इसमें कुछ प्रजातियों के पक्षियों की संख्या बेहद कम होती है।

हर परिंदे की अलग विशेषता

पौंग झील में पहुंचने वाले विभिन्न विदेशी परिंदों में बार हेडेड गूज ही ऐसी प्रजाति का पक्षी है जो माउंट एवरेस्ट की ऊंचाई से भी ज्यादा ऊंची उड़ान भरता है। ये परिंदे सर्दियों के मौसम में ट्रांस हिमालयन की अधिकांश झीलों के जमने के साथ पौंग झील की ओर रुख करते हैं। अभी तक 55 प्रजातियों के 80 हजार परिंदे पौंग पहुंच चुके हैं। हर एक परिंदे की अलग-अलग विशेषता रहती है।

-कृष्ण कुमार, डीएफओ वन्य प्राणी विभाग वनमंडल हमीरपुर।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.