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हर बच्चे को संस्कारी बनाएं शिक्षक

मनुष्य को ईश्वर की श्रेष्ठ कृति माना जाता है। अपने गुणों व अच्छे कर्माें के कारण वह समाज से उच्च स्थान पाता है। राष्ट्र में जन्म लेने वाले प्रत्येक व्यक्ति का उसके राष्ट्र के प्रति कुछ कर्तव्य व दायित्व होते हैं। देश के प्रति जिम्मेदारियों को निभाकर और अच्छे कर्म से ही व्यक्ति समाज का जिम्मेदार नागरिक बन सकता है। देश व राष्ट्र के प्रति कर्तव्य व दायित्व का निर्वाह कर मनुष्य अच्छे नागरिक के रूप में पहचान पा सकता है।

By JagranEdited By: Published: Thu, 09 Sep 2021 04:02 AM (IST)Updated: Thu, 09 Sep 2021 04:02 AM (IST)
हर बच्चे को संस्कारी बनाएं शिक्षक
हर बच्चे को संस्कारी बनाएं शिक्षक

मनुष्य को ईश्वर की श्रेष्ठ कृति माना जाता है। अपने गुणों व अच्छे कर्माें के कारण वह समाज से उच्च स्थान पाता है। राष्ट्र में जन्म लेने वाले प्रत्येक व्यक्ति का उसके राष्ट्र के प्रति कुछ कर्तव्य व दायित्व होते हैं। देश के प्रति जिम्मेदारियों को निभाकर और अच्छे कर्म से ही व्यक्ति समाज का जिम्मेदार नागरिक बन सकता है। देश व राष्ट्र के प्रति कर्तव्य व दायित्व का निर्वाह कर मनुष्य अच्छे नागरिक के रूप में पहचान पा सकता है। भारतीय संस्कृति विश्व की प्राचीन संस्कृतियों में से एक है। विरासत में हमें पूर्वजों के विचार, जीवन शैली, रीति रिवाज व नैतिक मूल्य संस्कारों के रूप में मिले हैं। बच्चा जन्म के साथ ही परिवार के बड़े सदस्यों के प्रति प्रेम व सम्मान तथा छोटों के प्रति स्नेह का भाव सीखता है। परिवार व राष्ट्र दोनों एक-दूसरे के पूरक हैं। जब एक परिवार व समाज आपस में अच्छे रिश्ते से गुंथा व जुड़ा रहेगा और तरक्की करेगा तो देश में आगे बढ़ेगा। जिस प्रकार सूर्य चंद्रमा व तारे नित अपने लक्ष्य की ओर बढ़ते हैं उसी प्रकार हमें भी जीवन में आगे बढ़ना चाहिए।

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कोरोना काल में हम देख रहे हैं कि परंपरागत शिक्षा प्रणाली का स्थान वर्चुअल शिक्षा ने ले लिया है। मैं एक शिक्षाविशारद होने के साथ-साथ एक पिता भी हूं। मैं प्रतिदिन देखता हूं कि शिक्षक आनलाइन की शिक्षा देते हुए परिचर्चा करते हैं। विद्यालय एक उपवन है। बच्चे उसके फूल। उन फूलों का हम कैसी शिक्षा से पोषण करते हैं यही उन्हें जिम्मेदार नागरिक बनाने के लिए प्रेरित करता है। महामारी के इस कठिन दौर में शिक्षक बच्चों को बौद्धिक रूप से सफल भी बना रहे हैं। आनलाइन शिक्षण वास्तविक शिक्षण मंच का स्थान तो नहीं ले सकता, लेकिन शिक्षक अपने सकारात्मक संवादों द्वारा विद्यार्थियों में मानवीय गुणों का संचार कर रहे हैं। बच्चों में यदि गुणों के साथ-साथ अवगुण आते हैं तो अभिभावकों और शिक्षकों को उनका सही दिशा में मार्गदर्शन करना चाहिए। आनलाइन कक्षाओं के दौरान शिक्षकों और अभिभावकों का दायित्व और भी बढ़ जाता है। उन्हें अपने बच्चों को जिम्मेदारियों के प्रति प्रेरित करना चाहिए। घर के छोटे-मोटे कार्य में बच्चों से सहयोग लेना चाहिए।

आनलाइन कक्षा में मोनिटर बनाकर छात्रों को जिम्मेदारी का बोध करवाया जा सकता है। शिक्षकों का कर्तव्य होना चाहिए कि समाज व विद्यालय के प्रत्येक बच्चे को संस्कृत एवं संस्कारी बनाने के लिए प्रयासरत रहें। जिससे वह देश व समाज का एक जिम्मेदार नागरिक बन सके। अनुशासन, सदाचार व वात्सल्य के साथ दी गई शिक्षा ही विद्यार्थियों को अच्छा नागरिक बना सकती है।

-डा. छवि कश्यप, प्रधानाचार्य रेनबो इंटरनेशनल स्कूल नगरोटा बगवां


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