एक साथ 14 बच्चों की अर्थियां निकली थी बस रुदन, चीखपुकार और सिसकियां हैं खुआड़ा गांव में
बस हादसे में 23 बच्चों व चार अन्य की मौत के बाद घरों में रुदन और चीखो पुकार थमी नहीं है। इस दुर्घटना में मरने वालों में सबसे ज्यादा खुआड़ा गांव के बच्चे थे
जसूर, संवाद सूत्र। ठेहड़ पंचायत के चेली गांव में सोमवार को हुए बस हादसे में 23 बच्चों व चार अन्य की मौत के बाद घरों में रुदन और चीखो पुकार थमी नहीं है। इस दुर्घटना में मरने वालों में सबसे ज्यादा खुआड़ा गांव के बच्चे थे। गांव से एक साथ 14 बच्चों की अर्थियां निकली थी।
घटना के पाच दिन बीत जाने के बाद भी गाव में सिसकियां जारी हैं। इस दुर्घटना से गांव व आसपास क्षेत्र के लोग अभी भी उभर नहीं पाए हैं। खुआड़ा के एक ही मोहल्ले के साथ-साथ लगते परिवारों ने अपने 12 नन्हे मुन्नों को खोया है। परिजन रह-रह कर बच्चों के बिछुड़ने की पीड़ा में कराह उठते हैं तो बच्चे भी घरों में इस तरह के दुख भरे वातावरण को देखकर उदास हैं।
एक-दूसरे को हौसला देकर काट रहे दुख की घड़ियां
सबसे बड़ी त्रासदी खुआड़ा गांव के लोगों को झेलनी पड़ी है। यहां हर दूसरे घर में मातम है। दुख की इस घड़ी में पीड़ित एक-दूसरे को हौसला देकर दिल को तसल्ली देने की कोशिश तो करते हैं, लेकिन बच्चों की याद फिर से जख्मों को कुरेद देती है।
सूना पड़ा है झूला
खुआड़ा में एक आम के पेड़ से लटका झूला सूना पड़ा है। इस पर कभी बच्चे बड़े चाव से झूलते थे। झूला हवा के झोंके से तो अब भी हिलता है पर उस पर झूलने वाले नहीं हैं।
ठंगर से चेली तक बने नई सड़क शुक्रवार को गांव का दौरा करने के दौरान खुआड़ा के कर्म सिंह, करतार सिंह, चगर सिंह, बिट्टू, बलवंत सिंह ने बताया कि इस मनहूस सड़क से गुजरने का भी अब मन नहीं करता। इस जगह हमारे बच्चे हमसे सदा के लिए बिछुड़ गए। सड़क पर बनी दो खाइया जो हर साल भूमि कटाव के चलते बढ़ रही हैं।
घटना के अगले दिन भी एक खाई में कटाव हुआ है और वह भी संकरी हो गई है।यहां हर पल खतरा मंडराता रहेगा। ऐसे में सरकार ठंगर से चेली पुली तक की सड़क का करीब 700 मीटर भाग दूसरी जगह से बनाए। इसे बनाने के लिए सारा गांव जमीन देने के लिए तैयार है। उनका कहना है कि वर्तमान सड़क चक्की खड्ड के साथ होने के कारण हर साल भूमि कटाव हो रहा है। इससे दुर्घटना का अंदेशा बना रहेगा।