हिमाचल सरकार की टास्क फोर्स लाएगी शिक्षा में गुणवत्ता, मंत्री के नेतृत्व में 27 सदस्यीय कमेटी गठित
New Education Policy केंद्र सरकार द्वारा लागू की गई नई शिक्षा नीति पर हिमाचल प्रदेश सरकार ने भी काम शुरू कर दिया है।
धर्मशाला, मुनीष गारिया। केंद्र सरकार द्वारा लागू की गई नई शिक्षा नीति पर हिमाचल प्रदेश सरकार ने भी काम शुरू कर दिया है। इसके लिए सरकार ने शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह ठाकुर की अध्यक्षता में 27 सदस्यीय टास्क फोर्स गठित की है, जिसमें शिक्षा मंत्री के अलावा शिक्षा सचिव, शिक्षाविद, विषय विशेषज्ञ व दो स्कूल प्रधानाचार्यों को भी शामिल किया है। टास्क फोर्स में हिमाचल प्रदेश स्कूल शिक्षा बोर्ड अध्यक्ष डॉ. सुरेश कुमार सोनी व बोर्ड सचिव को भी सदस्य बनाया गया है। अगले माह से ये टास्क फोर्स काम करेगी। फोर्स का मुख्य कार्य ये रहेगा कि प्रदेश में नई शिक्षा नीति किस तरह लागू की जाएगी। टास्क फोर्स इस वर्ष के अंत तक अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंपेगी। रिपोर्ट के आधार पर ही सरकार अगले वर्ष से हिमाचल में नई शिक्षा नीति लागू करेगी।
शिक्षा बोर्ड अध्यक्ष एवं टास्क फोर्स सदस्य डॉक्टर सुरेश कुमार सोनी का कहना है टास्क फोर्स शीघ्र ही अपना काम शुरू कर रही है। निम्न बिंदुओं पर प्राथमिकता के आधार पर काम किया जाएगा। हर कक्षा और हर विषय को लेकर अलग से वर्क प्लान बनाकर सरकार को भेजा जाएगा। फोर्स का मुख्य कार्य यही रहेगा कि स्कूलों में व्यवहारिक शिक्षा को किस तरह बढ़ावा दिया जा सकता है।
शिक्षा में किन-किन बिंदुओं पर काम करने की जरूरत
- सरकारी स्कूलों में भूलभूत सुविधाएं मुहैया करवाना।
- स्कूलों में अध्यापकों के रिक्त पद भरना।
- गुणात्मक एवं व्यवहारिक शिक्षा को बढ़ावा देना।
- बच्चों को किताबी कीड़े बनाने की बजाए प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए तैयार करना।
- बोर्ड परीक्षाओं में सरकारी स्कूलों के परिणाम में सुधार।
फोर्स का प्लान व कार्ययोजना
- तीसरी कक्षा के प्रश्नपत्र भी बोर्ड ही बनाएगा
- नई शिक्षा नीति के अनुसार तीसरी, पांचवी, आठवीं, दसवीं व जमा दो कक्षा की परीक्षाएं मुख्य होंगी। अब तक दसवीं व जमा कक्षा के वार्षिक परीक्षाएं शिक्षा बोर्ड करवाता है, जबकि आठवीं व पांचवी के परीक्षाओं के लिए बोर्ड ही प्रश्नपत्र बनाता है। अब तीसरी कक्षा के प्रश्नपत्र भी बोर्ड ही बनाएगा।
- वार्षिक परीक्षाओं में थ्यौरी कम करके प्रैक्टिकल को बढ़ावा देना।
- मानसिक तनाव का दूर करना
थ्यौरी के अधिक अंक होने के कारण बच्चे किताबें रटते रहते हैं। ऐसे में बच्चों को व्यवहारिक शिक्षा नहीं मिल पाती और अंकों में डर से वे मानसिक तनाव में चले जाते हैं। ऐसे में प्रैक्टिकल एवं व्यवहारिक ज्ञान को बढ़ावा देने वाला वर्क प्लान बनाना।
- नई शिक्षा नीति में छठी कक्षा के स्किल कोर्स की व्यवस्था है। ऐसे में कक्षा के बच्चों के लिए किस स्तर को स्किल कोर्स जरूरी है ये तैयार किया जाएगा।
- इंटरनल असेसमेंट का प्रारूप तैयार किया जाएगा। बच्चों को दी जाने वाले 15 अंकों के इंटरनल असेसमेंट का मापदंड सिर्फ उपस्थिति नहीं, बल्कि स्कूल में अन्य गतिविधियों के आधार पर भी होगी।
- स्किल व अपडेट शिक्षा देने के लिए अध्यापकों को भी प्रशिक्षण दिया जाएगा।
- बच्चों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए घर से ही काम उनके स्तर के काम करवाए जाएंगे, जिसमें अभिभावक बच्चों के बस्ते उठाकर स्कूल न पहुंचाएंगे और अभिभावक स्कूल में समय समय पर आकर अपने बच्चों की स्थिति जानें।