टांडा में कॉकरोच से संक्रमण का खतरा
जागरण संवाददाता, कांगड़ा : डॉ. राजेंद्र प्रसाद मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल टांडा में कॉकरोच क
जागरण संवाददाता, कांगड़ा : डॉ. राजेंद्र प्रसाद मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल टांडा में कॉकरोच का साम्राज्य है। अस्पताल के हर कोने में कॉकरोच देखे जा सकते हैं। हालांकि यहां पर प्रतिदिन सफाई होती है और आधुनिक मशीनों से फर्श को साफ किया जाता है, लेकिन वार्ड के भीतर जितनी सफाई की आवश्यकता है उतनी हो नहीं रही है। कॉकरोच के कारण मरीजों व तीमारदारों को परेशानी झेलनी पड़ रही है। तीमारदारों को भी पता है कि कोई भी स्थान कॉकरोच के बिना नहीं है, लेकिन बावजूद इसके उन्हें उसी फर्श पर सोना पड़ता है। वहीं पर सामान आदि रखना पड़ता है। हालत तो उस वक्त और भी गंभीर हो जाती है जब कॉकरोच मरीज को सामान व दवाएं रखने के लिए रखी ट्राली में निकलते हैं। ऐसे में मरीज को दी जाने वाली वस्तुएं के भी प्रभावित होने का खतरा रहता है। अस्पताल की धरातल मंजिल ओपीडी ही नहीं, प्रथम मंजिल, दूसरी मंजिल व तीसरी मंजिल में जितने भी वार्ड व अन्य स्थान हैं वहा पर कॉकरोच का डेरा है। तीमारदार भी इस समस्या के बारे में सफाई कर्मियों को भी बता चुके हैं लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हो रही है।
तीमारदार प्रमोद सिंह, सुरेंद्र कुमार, वीर सिंह, अमित व सुकनया ने बताया कि बिस्तर पर ट्राली में कॉकरोच व अन्य छोटे-छोटे कीट हैं। इस कारण संक्रमण फैलने का डर सताता रहता है। कॉकरोच ऐसे कीड़े हैं जो मनुष्य के लिए हानिकारक हैं। यह खतरनाक सूक्ष्म जीवों को पैदा करते हैं व रोजमर्रा की चीजों को दूषित करते हैं। -------------
वार्डो में कॉकरोच हैं। इसके लिए सफाई अभियान चलाया जाएगा। कमरों में विशेष छिड़काव किया जाएगा। इस संबंध में सुपरवाइजर को निर्देश दे दिए हैं।
डॉ. दीपाली शर्मा, कार्यकारी चिकित्सा अधीक्षक, टांडा मेडिकल कॉलेज।
-------------------------
केंद्रीय लैब में स्थापित होंगे छह एसी
-दैनिक जागरण में समाचार प्रकाशित होने के बाद हरकत में आया प्रशासन
-केंद्रीय लैब में बदबू व घुटन से परेशान हो रहे थे मरीज व तीमारदार
जागरण संवाददाता, कागड़ा : टाडा मेडिकल कॉलेज की केंद्रीय लैब का बुधवार को कार्यकारी चिकित्सा अधीक्षक डॉ. दीपाली शर्मा व कार्यकारी प्राचार्य डॉ. सुमन यादव ने दौरा किया तथा सफाई कर्मचारियों को दिशानिर्देश दिए हैं। दैनिक जागरण में समाचार प्रकाशित होने के बाद अस्पताल प्रशासन हरकत में आया है। वहीं यहा पर छह एसी व एग्जोस्ट फैन स्थापित करने के लोक निर्माण विभाग के एसडीओ को भी बुलाया व त्वरित कार्रवाई करने के निर्देश दिए। केंद्रीय लैब में टेस्ट करवाने आने वाले मरीज बदबू व घुटन से परेशान हो रहे थे जबकि बुधवार को लैब के भीतर शौचालय व सीवरेज की भी साफ-सफाई की गई।
मेडिकल कॉलेज टाडा के कार्यकारी वरिष्ठ चिकित्सा अधीक्षक डॉ. दीपाली ने कहा कि साफ -सफाई के लिए ठेकेदार को बोला है। ------------------
साफ -सफाई रखने के निर्देश दिए हैं और तीन समय सफाई करने के लिए कहा गया है। एसी व एग्जोस्ट फैन स्थापित करने के लिए कहा है।
डॉ. सुमन यादव, कार्यकारी प्राचार्य, मेडिकल कॉलेज टाडा।
-------------
दस मिनट के टेस्ट को लग जाते हैं तीन घटे
-नमूने देने से लेकर रिपोर्ट लेने तक परेशान होते हैं मरीज व तीमारदार
-टाडा की केंद्रीय लैब में कर्मचारियों व सुविधाओं का टोटा
जागरण संवाददाता, कागड़ा : टाडा मेडिकल कॉलेज में दस मिनट के टेस्ट के लिए तीन घटे लग जाते हैं। पर्ची बनाने से लेकर चिकित्सक को दिखाने व टेस्ट करवाने की जटिल प्रक्रिया के कारण मरीज व तीमारदार को परेशानी झेलनी पड़ती है। टेस्ट करवाने के लिए पंजीकरण करवाने के लिए ही परेशान नहीं होना पड़ता है, बल्कि टेस्ट की रिपोर्ट लेने में भी परेशानी होती है। यही नहीं जिस टेस्ट की रिपोर्ट जल्दी मिल सकती है उसके लिए भी तीन घटे तक का इंतजार करना पड़ता है। यहां केंद्रीय लैब में सुबह साढ़े नौ बजे से लेकर 12 बजे तक ही नमूने एकत्रित किए जाते हैं और रिपोर्ट देने का समय तीन बजे दिया जाता है। शाम को रिपोर्ट लेने के लिए भी अव्यवस्था के कारण परेशानी होती है।
टेस्ट करने वाले तकनीशियनों का कहना है कि स्टाफ की कमी है, अगर स्टाफ की कमी न हो तो जिस टेस्ट को दस मिनट लगते हैं उसकी रिपोर्ट भी दस मिनट में दी जा सकती है। इस परेशानी से मरीज व तीमारदारों से ज्यादा तकनीशियन भी झेल रहे हैं।
-----------------
जितने तकनीशियन चाहिए उतने नहीं हैं। इस कारण सुबह से दोपहर 12 बजे तक नमूने लिए जाते हैं और टेस्ट के बाद तीन बजे रिपोर्ट दी जाती है, अगर पूरा स्टाफ हो तो रिपोर्ट दस मिनट में दी जा सकती है। स्वास्थ्य मंत्री कौल सिंह ठाकुर व परिवहन मंत्री जीएस बाली के समक्ष माग पत्र रखा है।
एसएस राणा, अध्यक्ष, एनजीओ, कर्मचारी एसोसिएशन टाडा।
-------------------
स्टाफ को भरने की मांग समय-समय पर प्राचार्य व अतिरिक्त निदेशक की ओर से सरकार से जाती है।
डॉ. दीपाली शर्मा, कार्यकारी वरिष्ठ चिकित्सा अधीक्षक, टाडा।