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Dharamshala City News: धर्मशाला शहर में कान में टैग लगे पशु भी छोड़ दिए बेसहारा, सड़कों पर घूम रहे मवेशी

Dharamshala City News धर्मशाला में बहुत से बेहसहारा पशु हैं लेकिन एक गाय ऐसी भी घूम रही है। जिसके कान पर टैग लगा है। इस टैग से गाय के मालिक तक पहुंचना आसान है। लेकिन पशुपालन विभाग अभी तक हाथ पर हाथ धरे बैठा है।

By Rajesh Kumar SharmaEdited By: Published: Thu, 23 Sep 2021 01:40 PM (IST)Updated: Thu, 23 Sep 2021 01:40 PM (IST)
Dharamshala City News: धर्मशाला शहर में कान में टैग लगे पशु भी छोड़ दिए बेसहारा, सड़कों पर घूम रहे मवेशी
धर्मशाला में बहुत से बेहसहारा पशु हैं, लेकिन एक गाय ऐसी भी घूम रही है।

धर्मशाला, जागरण संवाददाता। Dharamshala City News, धर्मशाला में बहुत से बेहसहारा पशु हैं, लेकिन एक गाय ऐसी भी घूम रही है। जिसके कान पर टैग लगा है। इस टैग से गाय के मालिक तक पहुंचना आसान है। लेकिन पशुपालन विभाग अभी तक हाथ पर हाथ धरे बैठा है। धर्मशाला में चाहे प्रदेश स्कूल शिक्षा बोर्ड परिसर हो, सिविल लाइन हो, पुलिस लाइन हो, गुरुद्वारा रोड हो या फिर हिमाचल प्रदेश पथ परिवहन निगम की कार्यशाला व नगर निगम का कूड़ा संयंत्र। हर जगह बेसहारा पशु दिख रहे हैं। यही नहीं चरान, बड़ोल, दाड़ी, खनियारा, सिद्धबाड़ी, घरोह में भी बेसहारा पशु बहुत अधिक हो गए हैं। लेकिन कोई भी पशु बेसहारा खुद नहीं होता, उसे कोई न कोई खुला छोड़कर बेसहारा बना देता है।

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धर्मशाला में यूं तो बहुत से बेसहारा पशु हैं, लेकिन एक बेसहारा पशु ऐसा भी दिखा, जिसके कान में टैग लगा हुआ है। यह एक काले रंग की गाय है। इस बारे में पशुपालन विभाग से भी संपर्क किया गया है और इसके टैग से पता चलता है कि टैग नंबर 170010322168 15 जून 2020 कांता देवी पत्नी जगत राम अप्पर बड़ोल, धर्मशाला के नाम पर पंजीकृत है। ऐसी जानकारी प्राप्त हुई है।

पशु गणना करके लग चुके हैं टैग, अब आसान हो रहा मालिक तक पहुंचना

केंद्र सरकार के निर्देश पर पशुपालन विभाग ने पालतू पशुओं को इयर टैग लगाने की योजना शुरू की थी। इयर टैग पशुओं के लिए आधार कार्ड जैसा है, इसमें पशु मालिक की पहचान, नश्ल तथा वर्तमान स्थिति की सारी जानकारी आनलाइन उपलब्ध है। बस इयर टैग का नंबर पर क्लि‍क के साथ ही पशुओं का पूरा डाटा आनलाइन दिखेगा। पशुओं की गणना, पशुओं के नस्‍ल, वर्तमान स्थिति, दूध की क्षमता, उम्र आदि सबकुछ नोट कर उसे आनलाइन किया है। इसके साथ ही टैग लगा होने से पशु तस्करी रोकने में भी सफलता मिल रही है। लेकिन न तो पशुपालन विभाग इसके लिए ज्यादा मुस्तैद हो सका और न ही पशुपालक इसके लिए उतने जागरूक हो सके, जितना होना चाहिए। हालांकि कुछ पशुपालक टैग निकालकर पशु को छोड़ रहे हैं चाहे उसके लिए उसके कान में जख्म ही क्यों न करना पड़े।

यह बोले पशुपालन विभाग के उपनिदेशक

पशुपालन विभाग के उपनिदेशक डाक्‍टर संजीव धीमान ने बताया पशुपालन विभाग सिर्फ टैग नंबर देखकर बता सकता है कि इसका मालिक कौन है, जबकि संबंधित पंचायत व नगर परिषद तथा नगर निगम को संबंधित परिवार पर जुर्माना करने का अधिकार है।


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