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पहाड़ी जलवायु में स्‍वास्‍थ्‍य लाभ लेने के लिए 11 दिन धर्मशाला में रुके थे स्‍वामी विवेकानंद, जानिए भवन के बारे में

Swami Vivekananda Jayanti स्वामी विवेकानंद के जीवन के 11 दिन के धर्मशाला प्रवास ने हरीकोठी को भी अमर कर दिया। हर वर्ष 12 जनवरी को राष्ट्रीय युवा दिवस मनाया जाता है। इस दिन स्वामी विवेकानंद को देश व विदेश में याद किया जाता है।

By Rajesh Kumar SharmaEdited By: Published: Wed, 12 Jan 2022 09:34 AM (IST)Updated: Wed, 12 Jan 2022 09:41 AM (IST)
पहाड़ी जलवायु में स्‍वास्‍थ्‍य लाभ लेने के लिए 11 दिन धर्मशाला में रुके थे स्‍वामी विवेकानंद, जानिए भवन के बारे में
स्वामी विवेकानंद के जीवन के 11 दिन के धर्मशाला प्रवास ने हरीकोठी को भी अमर कर दिया।

धर्मशाला, नीरज व्यास। Swami Vivekananda Jayanti, स्वामी विवेकानंद के जीवन के 11 दिन के धर्मशाला प्रवास ने हरीकोठी को भी अमर कर दिया। हर वर्ष 12 जनवरी को राष्ट्रीय युवा दिवस मनाया जाता है। इस दिन स्वामी विवेकानंद को देश व विदेश में याद किया जाता है। इसी के साथ उनके 11 दिन धर्मशाला में बिताने के समय को भी हर वर्ष याद किया जाता है। धर्मशाला में 11 दिन तक जिस कोठी में स्वामी विवेकानंद ठहरे थे उस कोठी का नाम हरी कोठी है और यह कोठी प्राचीन शैली में बनी है। भूकंप रोधी यह कोठी खड़ा डंडा रोड पर कोतवाली बाजार से ऊपर की तरफ है।

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कोठी के भीतर अब बाहरी लोगों के प्रवेश पर इसके मालिक ने रोक लगा दी है। यहां पर स्वामी विवेकानंद की यादों को संजोया गया है। यही नहीं एक शिला भी स्थापित की गई है, जिसमें लिखा है कि कब से लेकर कब तक स्वामी विवेकानंद यहां पर रुके हैं। हालांकि शिला में स्थापित वर्ष को लेकर विरोधाभास है। उस वक्त के लोगों व जानने वालों ने जिक्र किया है कि स्वामी विवेकानंद यहां पर 1897 में आए थे, जबकि शिला में उल्लेख 1887 का है। बताया जाता है कि स्वामी विवेकानंद का स्वास्थ्य बिगड़ गया था तो स्वास्थ्य लाभ के लिए उन्हें पहाड़ी जलवायु में रहने के परामर्श दिया गया और वह स्वास्थ्‍य लाभ के लिए धर्मशाला में 11 दिन रहे।

कोठी के भीतर जाने की इजाजत नहीं

कई लोग हरी कोठी के भीतर जाने की इच्छा रखते हैं, लेकिन इसके मालिक ने बाहर के लोगों के लिए इसे बंद कर दिया है। जबकि कोठी की देखभाल के लिए रखे व्यक्ति भी मालिकों के आदेशों की पालना करते हैं। ऐसे में जो लोग कोठी के भीतर जाने के इच्छुक होते हैं उन्हें मायूसी होती है। मालिक व उनके मित्र कभी गर्मियों में कुछ समय बिताने यहां पर आते हैं। बताया जाता है कि सोहन बख्शी से इस हरी कोठी को कुटलैहड़ रियासत के राजपरिवार ने बाद में खरीदा। रियासत के आगे के राजा रूपेंद्र पाल का परिवार अब चंडीगढ़ में रहता है और गर्मियों में इसी कोठी में रुकता है।

कोविड ने रोके नेहरू युवा केंद्र के कार्यक्रम

नेहरू युवा केंद्र की ओर से युवा दिवस पर हर साल कार्यक्रम आयोजित किया जाता है। शहीद स्मारक के ऊपर की तरफ स्वामी विवेकानंद का पार्क बना है। यहां पर हर वर्ष युवा दिवस पर माल्यार्पण करके स्वामी विवेकानंद को याद किया जाता है और युवाओं को स्वामी विवेकानंद की शिक्षाओं व उनके प्रवास के बारे में बताने के लिए यहां से लेकर हरी कोठी तक जागरूकता रैली निकाली जाती है। लेकिन इस बार कोविड-19 महामारी के बढ़ते मामलों के चलते इस बार न तो रैली का आयोजन हो रहा है और न ही अन्य कोई बड़ा आयोजन हो रहा है। आनलाइन निबंध प्रतियोगिता व अन्य प्रतियोगिताएं नेहरू युवा केंद्र की ओर से आयोजित हो रही हैं। नेहरू युवा केंद्र की लेखाकार नीलम चौधरी ने बताया कि कोविड-19 के कारण आनलाइन कार्यक्रम होंगे। भीड़ को एकत्रित न होने देने के लिए फिजिकल कार्यक्रम नहीं होगा। विवेकानंद पार्क में सिर्फ कुछ लोग कोविड-19 प्रोटोकाल के साथ माल्यार्पण करेंगे।


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