कांगड़ा के इस गांव में खुशी लाया था सुषमा स्वराज का प्रयास, आज हैं सब मायूस Kangra News
सुषमा स्वराज के निधन से जहां पूरा देश स्तब्ध है तो वहीं जिला कांगड़ा के सुगनाड़ा में भी उनके निधन की खबर पाते ही यहां के लोग भी सकते में रहे।
नगरोटा सूरियां, रक्षपाल धीमान। पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के निधन से जिला कांगड़ा के सुगनाड़ा गांव में मासूसी छा गई है। यह वही गांव है जहां के युवक ग्रुप कैप्टन सुशील धीमान को दो सहयोगियों सहित नाईजीरिया में लुटेरों ने बंधक बनाया था। सुषमा स्वराज का इस गांव के लिए जिक्र इसलिए है कि क्योंकि सुशील को बंधकों से छुड़ाने में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका थी। उस समय बेटे की रिहाई पर गांव में खुशी का माहौल था, लेकिन अब सुषमा स्वराज के निधन से ग्रुप कैप्टन के परिवार में मायूसी छाई है। सुशील के पिता रघुवीर व परिवार के सदस्यों ने सुषमा स्वराज के निधन पर शोक जताया है।
ग्रुप कैप्टन के पिता ने बताया कि 31 जनवरी, 2018 को बेटे सुशील को सहयोगियों पंकज व अजय के साथ नाईजीरिया में समुद्री लुटेरों ने बंधक बना लिया था। परिजनों को इसकी सूचना लुटेरों ने 12 मार्च को सुशील धीमान के परिजनों को सेटेलाइट फोन के माध्यम से दी थी और रिहाई के लिए 22 लाख रुपये की फिरौती मांगी थी। 28 मार्च तक तो लुटेरे सुशील की बात परिजनों से करवाते रहे और फिरौती की रकम के लिए दबाव बनाते रहे लेकिन इसके बाद कोई कॉल न आने से परिजनों की चिंता बढ़ गई थी।
परिजनों ने बंधकों की रिहाई के लिए उस समय के सांसद शांता कुमार के माध्यम से तत्कालीन विदेश मंत्री सुषमा स्वराज से गुहार लगाई थी। इसके बाद सुषमा ने नाईजीरिया स्थित भारतीय दूतावास से संपर्क कर 11 अप्रैल, 2018 को तीनों युवकों को समुद्री लुटेरों से छुड़वाया था। इस बाबत सूचना 11 अप्रैल को सुषमा स्वराज ने मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर को ट्वीट कर दी थी। इसके बाद मुख्यमंत्री ने बंधकों के परिजनों को बताया तो परिवार सहित नगरोटा सूरियां क्षेत्र में खुशी की लहर दौड़ गई थी। बंधक बनाए गए युवकों में गांव सुगनाड़ा से ग्रुप कैप्टन सुशील धीमान, नगरोटा बगवां की पंचायत उस्तेहड़ के गांव रढ से पंकज व पालमपुर के भवारना के गांव मलोग से अजय कुमार शामिल थे। अब सुषमा स्वराज के निधन से तीनों गांव में मायूस छा गई है।
हमारे बेटे के छूटने की कोई उम्मीद नहीं थी। जब मामला तत्कालीन सांसद शांता कुमार के माध्यम से सुषमा स्वराज से उठाया तो सकारात्मक परिणाम आए थे। तत्कालीन विदेश मंत्री रहीं सुषमा स्वराज के प्रयासों से ही अब बेटा हमारे साथ है। -रघुवीर धीमान, ग्रुप कैप्टन सुशील धीमान के पिता।
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