पर्यावरण संस्कार से जुड़ेंगे प्रदेश के विद्यार्थी, स्कूलों में स्थापित होंगी नर्सरी व नवग्रह वाटिका, जानिए
Environmental Values हिमाचल प्रदेश में सरकारी व संबद्धता प्राप्त स्कूलों में शिक्षा प्राप्त कर रहे विद्यार्थी पर्यावरण संस्कार से जुड़ेंगे।
धर्मशाला, जागरण संवाददाता। हिमाचल प्रदेश में सरकारी व संबद्धता प्राप्त स्कूलों में शिक्षा प्राप्त कर रहे विद्यार्थी पर्यावरण संस्कार से जुड़ेंगे। नई शिक्षा नीति के तहत व्यवहारिक शिक्षा पर बल दिया जा रहा है। इसके चलते हिमाचल प्रदेश स्कूल शिक्षा बोर्ड ने प्रस्ताव तैयार किया है। इस प्रस्ताव के मुताबिक मुख्यमंत्री हरित विद्यालय अभियान 'मेरा विद्यालय मेरी वाटिका' के तहत स्कूलों में एक नर्सरी व एक नवग्रह वाटिका का निर्माण किया जाएगा, जिसमें विद्यार्थियों को व्यवहारिक ज्ञान दिया जाएगा। पर्यावरण संस्कार के साथ-साथ जंगल की अाग को बुझाने के लिए भी प्रेरित किया जाएगा।
साथ ही नवग्रह वाटिका का निर्माण करके नवग्रह के पौधों की भी पहचान करवाई जाएगी। छठी से अाठवीं कक्षा तक के विद्यार्थियों को नवग्रह वाटिका के लिए एक-एक पौधा तैयार करने के लिए प्रेरित किया जाएगा। यह अभियान इसी माह धर्मशाला के कुनाल पथरी माता मंदिर से अारंभ होगा। हिमाचल प्रदेश स्कूल शिक्षा बोर्ड के अध्यक्ष डॉ. सुरेश कुमार सोनी ने प्रस्ताव को शिमला में शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह ठाकुर व वन मंत्री राकेश पठानिया से शिष्टाचार भेंट कर सौंपा। मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर से भी इस बारे बातचीत की है।
प्रथम चरण में कांगड़ा व मंडी के 100 स्कूल होंगे शामिल
नर्सरी व नवग्रह वाटिका स्थापित करने के लिए पहले चरण में प्रदेश के जिला कांगड़ा व मंडी से सौ-सौ स्कूल तथा अन्य जिलों से पचास-पचास स्कूल चिन्हित किए जाएंगे, जहां पर यह निर्माण किया जाएगा।
पचास करोड़ रुपये होंगे खर्च
प्रदेश के स्कूलों में नर्सरी व नवग्रह वाटिका को स्थापित करने के लिए पचास करोड़ रुपये का खर्च किया जाएगा। यह खर्च वन विभाग के माध्यम से किया जाएगा, जबकि इसके रखरखाव के लिए कमेटी बनाई जाएगी, ताकि नर्सरी व नवग्रह वाटिका की व्यवस्था बनी रहे।
इसी माह से यह अभियान धर्मशाला के कुनाल पत्थरी माता मंदिर से शुरू किया जाएगा। इसके लिए मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर से भी बातचीत हो गई है। पचास करोड़ रुपये इसमें वन विभाग, सरकार खर्च रही है। नई शिक्षा नीति के तहत व्यवहारिक शिक्षा के लिए विद्यार्थियों को पर्यावरण संस्कार के साथ-साथ पौधों की पहचान करवाई जाएगी। कांगड़ा व मंडी जिला में सौ-सौ तथा अन्य जिलों में पचास स्कूल इसके लिए चिन्हित किए जाएंगे, जिनके पास जमीन उपलब्ध है। -डॉ. सुरेश कुमार सोनी, अध्यक्ष, हिमाचल प्रदेश स्कूल शिक्षा बोर्ड।