सड़क की तलाश में गुम हो गया गांव, यहां के आम और पानी रहा है खास
Taramuda. हिमाचल का यह गांव स्वादिष्ट आमों के लिए जाना जाता रहा है। बरसात के दिनों में लोग यहां के आमों का स्वाद लेने पहुंचते थे।
मुनीष गारिया, धर्मशाला। विकास के अभाव में चीन सीमा के साथ लगते उत्तराखंड के कई गांव पलायन कर चुके हैं। सरकार की नींद तब टूटी थी, जब गांवों के गांव खाली हो चुके थे। सड़क जैसी सुविधा न होने से हिमाचल के गांवों से भी पलायन हो रहा है। शाहपुर विधानसभा क्षेत्र की तत्वानी पंचायत का तरमूड़ा गांव पूरी तरह से खाली हो चुका है। लोगों को उम्मीद थी कि आज नहीं तो कल सड़क पहुंच जाएगी पर ऐसा हुआ नहीं। कभी हंसते-खेलते इस गांव में अब दिन में भी तेंदुए घूमते हैं।
तरमूड़ा गांव में सदियों से जसरोटिया परिवार रहते थे। सड़क पहुंचने का इंतजार करते-करते करीब 25 परिवार मनेई, सलोल और राजोल पलायन कर गए हैं। एक परिवार आगरा शिफ्ट हो गया है। सड़क सुविधा न होने से तीन दशक पहले यह पलायन शुरू हुआ था। कम होते-होते कुछ साल चार परिवार रहे...फिर दो...अब यहां से राकेश जसरोटिया का अंतिम परिवार भी सलोल चला गया है। पहले बरसात के दिनों में पशु लेकर राजोल से तीन परिवार आते थे। अब वे भी नहीं आते। लोगों के न रहने के कारण घर खंडहर बन रहे हैं।
अब दिन में जाने से भी लगता है डर पिछले दिनों तरमूड़ा में तेंदुओं ने दिन में ही गाय को शिकार बना लिया था। लोगों ने दो तेंदुए गाय का शिकार करते देखे थे। अब आसपास के गांवों के लोग दिन में भी तरमूड़ा जाने से डरते हैं।
यहां के आम और पानी रहा है खास
तरमूड़ा गांव स्वादिष्ट आमों के लिए जाना जाता रहा है। बरसात के दिनों में लोग यहां के आमों का स्वाद लेने पहुंचते थे। यहां का पानी बहुत पाचक है। दूर-दूर से लोग सगे-संबंधियों के पास पानी बदलने आते थे।
लंघाणा-सनढी भी हो रहे हैं खाली
तरमूड़ा के साथ लगता हरोटी गांव कई साल पहले पलायन कर गया था। सनढी गांव के पंद्रह परिवार दूसरी जगह बस गए हैं। अब तीन ही परिवार बचे हैं। लंघाणा गांव के पंद्रह परिवार उठकर चले गए हैं और बाकी भी शिफ्ट हो रहे हैं।
आश्वासनों में ही हुआ विकास
लंघाणा के पूर्व सैनिक गुरदेव सिंह, श्याम सुंदर, खेम चंद, सतपाल सिंह, सोहन सिंह, बली मोहम्मद, बलवंत सिंह, दया राम और तरमूड़ा के आखिरी परिवार के मुखिया राकेश जसरोटिया ने बताया कि सरकार से मांग उठाने के बावजूद यह क्षेत्र विकास में पिछड़ गया। वन भूमि सड़क निर्माण में बड़ी बाधा है। बरसात के दिनों में यह क्षेत्र काले पानी की तरह बन जाता है। लोगों में सरकार के प्रति रोष है।
जानें, किसने क्या कहा
सड़क न पहुंचने के कारण सारे लोग तरमूड़ा गांव छोड़कर दूसरी जगह बस गए हैं। पंचायत जितना विकास कर सकती है, वह कर रहे हैं। सरकार से सड़क बनाने की मांग कई बार उठाई जा चुकी है।
-भीमराज, प्रधान तत्वानी पंचायत
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गांव के परिवार पलायन करने लगे हैं, यह बहुत दुखद बात है। शीघ्र गांव को सड़क सुविधा से जोड़ा जाएगा।
-संदीप कुमार, उपायुक्त कांगड़ा।
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गांव को सड़क सुविधा से जोडऩे के लिए अभी तक कोई योजना नहीं बनी है। शीघ्र किसी हैड से गांव को सड़क से जोड़ने की योजना बनाई जाएगी।
-संजीव महाजन, अधिशाषी अभियंता, लोक निर्माण विभाग, कांगड़ा।