छुक-छुक की सैर पर निकले अ्रंग्रेज
कांगड़ा घाटी में एक बार फिर कोयले का इंजन पहुंचने से लोगों ने खुशी का इजहार किया वहीं रेल विभाग के प्रयासों की सराहना की। भाप के इंजन की गूंज पालमपुर व पंचरुखी के बाद पपरोला में आने से लोग घरों से बाहर आ निकले। पपरोला रेलवे स्टेशन में शुक्रवार को लगभग डेढ
जेएनएन, पपरोला/पंचरुखी : छुक-छुक कीलंबी व तीखी आवाज शुक्रवार दोपहर को जब पालमपुर, पंचरुखी व पपरोला रेलवे लाइन की ओर से सुनाई दी तो लाइन के साथ सटे घरों के लोग एकाएक बाहर निकल आए। लोगों में उत्सुकता थी कि रोजाना गुजरने वाली ट्रेन की सीटी की आवाज व चलने की ध्वनि आज बदली सी क्यों है। जब देखा तो रेलवे लाइन से अंग्रेजों के जमाने का कोयले का भाप इंजन धीमी गति से दौड़ रहा था। इतना ही नहीं इस इंजन के साथ जुड़े तीन डिब्बों में आम भारतीय नहीं बल्कि अंग्रेज यानी ब्रिटिश नागरिक सवार थे। ये विदेशी मेहमान भी बड़ी उत्सुकता से पहाड़ों को निहार रहे थे और फोटोग्राफी भी कर रहे थे।
ब्रिटिशकाल में 1932 में निर्मित कांगड़ा घाटी रेलवे लाइन से शुक्रवार दोपहर को गुजर रहे भाप इंजन को देखने के लिए लोगों की भीड़ रेलवे लाइन के इधर-उधर लग गई। पपरोला रेलवे स्टेशन में शुक्रवार को लगभग डेढ़ बजे पहुंचे भाप इंजन के साथ तीन डिब्बों में 12 ब्रिटिश नागरिकों ने पठानकोट से पपरोला तक का सफर किया। हालांकि रेलवे विभाग की ओर से भाप इंजन के साथ आपातकाल के लिए डीजल इंजन भी जोड़ा गया था।
ज्ञात हो कि पठानकोट-जोगेंद्रनगर नैरोगेज रेल लाइन को हेरिटेज घोषित करने के कयास लगाए जाते रहे हैं। रेलवे अधिकारियों के अनुसार इसके लिए कोई भी व्यक्ति रेलवे विभाग से इस ट्रेन को बुक करवा सकता है। बताया जा रहा है कि ब्रिटिश नागरिकों ने रेलवे विभाग से 1.47 लाख रुपये में पठानकोट से भाप इंजन सहित गाड़ी बुक की थी। रेलवे विभाग के अनुसार अब यह इंजन पपरोला में ही रहेगा।
फिरोजपुर से आए रेल अधिकारी विवेक ने बताया कि अब पालमपुर और बैजनाथ के बीच के मनोरम दृश्यों को पर्यटक इस ट्रेन में बैठकर देख सकेंगे। 1932 में स्थापित इस रेल ट्रैक को कई बार हेरिटेज घोषित करने की कोशिशें होती रही हैं। इसके बाद अब इसकी संभावना बढ़ गई है। विवेक ने कहा कि जल्दी ही इस रेल सेक्शन पर नए इंजन उतारे जाएंगे।
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पूर्वजों की यादें को संजोया
भाप इंजन रेलगाड़ी की सैर करने वाले विदेशी मेहमानों में जेम्स व कॉक ने बताया कि यह रेलमार्ग उनके पूर्वजों ने बनाया था तथा यह भाप इंजन भी उसी समय का है। मेहमानों के अनुसार उन्होंने पूर्वजों की यादें ताजा करने व प्रदेश की सुंदर वादियों को निहारने के मकसद से ही इसकी बुकिंग करवाई थी। पूर्वजों की यादें संजोने के लिए ब्रिटिश मेहमानों ने की भाप इंजन की सैर