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हिमाचल में टीबी उन्मूलन नेट कर रहा बेहतर कार्य

विश्व क्षय रोग दिवस पर रोटरी भवन पालमपुर में राज्य स्तरीय कार्यक्रम का आयोजन किया गया।

By Edited By: Published: Sun, 24 Mar 2019 10:49 PM (IST)Updated: Mon, 25 Mar 2019 10:49 AM (IST)
हिमाचल में टीबी उन्मूलन नेट कर रहा बेहतर कार्य
हिमाचल में टीबी उन्मूलन नेट कर रहा बेहतर कार्य

पालमपुर, जेएनएन। विश्व क्षय रोग दिवस पर रोटरी भवन पालमपुर में राज्यस्तरीय कार्यक्रम का हुआ। नेशनल हेल्थ मिशन के तत्वाधान एवं रोटरी क्लब पालमपुर के सौजन्य से आयोजित कार्यक्रम में डॉ. राजेंद्र प्रसाद मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल के प्राचार्य डॉ. भानू ने बतौर मुख्य अतिथि शिरकत की, जबकि प्रदेश में डब्ल्यूएचओ के सलाहकार डॉ. र¨वद्र कुमार, जिला टीबी अधिकारी राजेश गुलेरी, सीएमओ कांगड़ा डॉ. गुरदर्शन गुप्ता व सिविल अस्पताल पालमपुर के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. विनय महाजन ने विशेष तौर के रूप में शिरकत की।

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इस दौरान विभिन्न महाविद्यालयों एवं स्कूली बच्चों के बीच टीबी विषय पर पोस्टर मे¨कग, रंगोली, बाद विवाद व भाषण प्रतियोगिताओं का आयोजन किया गया। प्राचार्य डॉ. भानू ने टीबी उन्मूलन के लिए प्रदेश व जिला में संचालित कार्यक्रमों की सराहना करते हुए विभाग को टीबी उन्मूलन के लक्ष्य को शीघ्र हासिल करने की शुभकामनाएं दीं। टीबी उन्मूलन में प्रदेश में डब्ल्यूएचओ के सलाहकार डॉ. रविंद्र कुमार ने बताया कि नेशनल हेल्थ मिशन के तहत विश्व टीबी डे पर राज्य स्तर पर क्षय रोग मुक्ति कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। इसी कड़ी में आज राज्य स्तर पर पालमपुर में कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है। इस वर्ष विश्व टीबी दिवस का थीम इंस्टाइम है। स्टिग्मा खत्म करने के साथ ही टीबी से होने वाली मौतों पर पूर्ण रोग लगाई जाएगी।

वहीं टीबी उपचार का खर्च कम करने सहित टीबी के रोगियों की बढ़ती संख्या को नियंत्रित किया जाएगा। क्षय रोग की पहचान करने के लिए प्रदेश के सभी मेडिकल स्टोर में टीबी रोग की दवाई बेचने पर विभाग को सूचना देने का निर्देश है। वहीं, टीबी की दवाई खाने वालों का रिकार्ड जिला व उपमंडल स्तर पर रखा जाता है। निजी चिकित्सालयों के माध्यम से वर्ष 2017 में 840 मामले सामने आए थे, जबकि इस वर्ष 1380 मामले निजी अस्पतालों ने विभाग को उपलब्ध करवाए हैं। कार्यक्रम से पंचायती राज संस्थाओं को जोड़ा गया है। पंचायतों के माध्यम से भी लोगों में जागरूकता आई है।

टीबी मरीजों को सरकार की ओर से 500 रुपये बतौर पोष्टिक योजना शुरू करने से कई छुपे मामले भी सामने आए हैं। उन्होंने कहा कि जो लोग छह माह के कोर्स के बीच में दवाई छोड़ देते हैं, उनके लिए ब्लॉक स्तर पर कर्मचारी तैनात हैं। जो 24 घंटे के भीतर ऐसे मरीजों को सामने ला रहे हैं। जिला में दवाई छोड़ने के अब तक 200 मामले आए हैं। टीबी मरीजों को पहले चार किस्मों की छह से सात दवाइयां एक साथ खानी पड़ती थी मगर हिमाचल पहला राज्य बना है जहां अब एक दवाई दी जाती है। वहीं प्रदेश में विभाग की निगरानी में दवाईयां भी बनाई जा रही हैं। जीएमपी सर्टिफाइड कंपनियों में दवाई निर्माण में क्वालिटी कंट्रोल पर ज्यादा ध्यान दिया जाता है। सब स्टेंडर्ड का सवाल ही नहीं उठता है। इस वर्ष हिमाचल में 16 हजार नए मामले सामने आए हैं। जो पिछले वर्ष से 1000-1500 ज्यादा हैं। प्रदेश में टीबी ऐप के जरिए भी लोगों को टीवी की विस्तृत जानकारी दी जा रही है। हिमाचल पहला राज्य बना है जिसका अपना टीबी उन्मूलन नेट बेहतर कार्य कर रहा है।

कार्यक्रम में जिला टीबी अधिकारी डॉ. राजेश गुलेरी ने कहा कि कांगड़ा जिला में प्रति वर्ष 3500 के करीब नए मामले सामने आते हैं। विभाग सुनिश्चित करता है कि सभी लोगों को उपचार सुविधा दी जा रही है। वहीं, उन्हें उपचार के लिए जागरूक भी किया जाता है। कांगड़ा में लगभग 40 जगहों पर बलगम की जांच कर रोग की पहचान की जाती है। बलगम की जांच के लिए इन अस्पतालों में न पहुंचने वाले मरीजों की सुविधा के लिए एनजीओ से एमओयू साइन किया है, जो निकटवर्ती हेल्थ सेंटर से बलगम एकत्रित कर जांच के लिए केंद्र में लाते हैं। सीबी नेट मशीनें टांडा, नूरपुर, पालमपुर व धर्मशाला में स्थापित हैं। मुख्य अतिथि ने विभिन्न प्रतियोगिताओं के विजेताओं को विभाग की ओर से पुरस्कृत भी किया गया।


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