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एसएमसी पॉलिसी का अपमान कर रही प्रदेश सरकार: निर्मल सिंह

निर्मल सिंह ने कहा कि सरकार 2017 में बनाई गई एसएमसी नीति का अपमान कर रही है। एसएमसी पाॅलिसी में यह प्रावधान किया गया था कि हर साल नया सेलेक्शन प्राेसेस होगा और पहले से तैनात एसएमसी शिक्षक को किसी भी सूरत में सेवा विस्तार नहीं दिया जाएगा।

By Richa RanaEdited By: Published: Mon, 26 Apr 2021 04:13 PM (IST)Updated: Mon, 26 Apr 2021 04:13 PM (IST)
एसएमसी पॉलिसी का अपमान कर रही प्रदेश सरकार: निर्मल सिंह
निर्मल सिंह ने कहा कि सरकार 2017 में बनाई गई एसएमसी नीति का अपमान कर रही है।

धर्मशाला, जागरण संवाददाता। हिमाचल प्रदेश बेरोजगार अध्यापक संघ की वर्चुअल बैठक प्रदेशाध्यक्ष निर्मल सिंह की अध्यक्षता में हुई। जबकि बैठक में प्रदेश वरिष्ठ उपाध्यक्ष विजय सिंह, अतिरिक्त महासचिव लेख राम, सचिव स्वरुप कुमार, उपाध्यक्ष संजय राणा, अजय रत्न, मुख्य संगठन सचिव पुरुषोत्तम दत्त, वित्त सचिव संजीव कुमार, प्रेस सचिव प्रकाश चंद, संगठन सचिव यतेश शर्मा, हरिन्द्र पाल, आडिटर सुधीर शर्मा, रणयोध सिंह, जिलाध्यक्ष कांगड़ा जगदीप सिंह जंवाल, जिलाध्यक्षा ऊना रजनी वाला, जिलाध्यक्ष बिलासपुर किशोरी लाल तथा जिलाध्यक्ष मंडी सुरेश कुमार आदि ने भाग लिया।

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निर्मल सिंह ने कहा कि सरकार 2017 में बनाई गई एसएमसी नीति का अपमान कर रही है। एसएमसी पाॅलिसी में यह प्रावधान किया गया था कि हर साल नया सेलेक्शन प्राेसेस होगा और पहले से तैनात एसएमसी शिक्षक को किसी भी सूरत में सेवा विस्तार नहीं दिया जाएगा। सरकार इन 2555 शिक्षकों को एक नहीं बल्कि 9 बार सेवा विस्तार दे चुकी है। यह एसएमसी पॉलिसी का सरासर अपमान है।

सरकार ने नियमित शिक्षकों की भर्ती के लिए संविधान की धारा 309 के अनुसार भर्ती एवं पदोन्नति नियम बनाए, जिनके अनुसार नियमित शिक्षकों की भर्ती या तो कमिशन से हो सकती है या बेचबाइज हो सकती है या रोस्टर के अनुसार हो सकती है। 2555 एसएमसी शिक्षकों की भर्ती न तो कमिशन से हुई है, न तो बेचबाइज हुई है और न रोस्टर के अनुसार हुई है। उन्होंने कहा कि यह कहना भी गलत है कि एसएमसी शिक्षक केवल जनजातिय क्षेत्रों में सेवाएं दे रहे हैं। एक आरटीआइ के तहत खुलासा हुआ है कि हिमाचल में कुल 792 एसएमसी स्कूल लैक्चरर न्यू काम कर रहे हैं, जिनमें से 582 स्कूल लैक्चरर न्यू गैर कवाइली क्षेत्रों में कार्य कर रहे हैं।

 20 साल में 15000 शिक्षकों की बेकडोर एंट्री की गई है जिससे हिमाचल प्रदेश के 15000 पात्र उमीदवारों को अपने संवैधानिक हकों से वंचित होना पड़ा है। इन पात्र उमीदवारों के साथ साथ इनके 15000 परिवारों की जिंदगियां भी खराब हो चुकी है। सच यही है कि हिमाचल जैसी देव भूमि में अपने चहेतों को लाभ देने के लिए मानवता के साथ खिलवाड़ हो रहा है।


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