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भारतीय हॉकी के सुनहरे पलों के गवाह थे बलबीर सीनियर, साथी खिलाड़ी का जिक्र करते भावुक हुए चरणजीत सिंह

उस जमाने में भले ही स्वभाव में थोड़े गर्म थे लेकिन दिल के उतने ही नरम इंसान की पहचान थी बलबीर सिंह सीनियर की।

By Rajesh SharmaEdited By: Published: Mon, 25 May 2020 10:13 PM (IST)Updated: Mon, 25 May 2020 10:13 PM (IST)
भारतीय हॉकी के सुनहरे पलों के गवाह थे बलबीर सीनियर, साथी खिलाड़ी का जिक्र करते भावुक हुए चरणजीत सिंह
भारतीय हॉकी के सुनहरे पलों के गवाह थे बलबीर सीनियर, साथी खिलाड़ी का जिक्र करते भावुक हुए चरणजीत सिंह

ऊना, राजेश शर्मा। उस जमाने में भले ही स्वभाव में थोड़े गर्म थे, लेकिन दिल के उतने ही नरम इंसान की पहचान थी बलबीर सिंह सीनियर की। हॉकी को बुलंदियों तक पहुंचाने में बलबीर सिंह सीनियर का भी उतना ही योगदान था, जितना भारतीय हॉकी टीम को ओलंपिक में स्वर्ण पदक दिलाने वाली टीम का रहा है। बलबीर सिंह सीनियर के साथ हॉकी के मैदानों में जौहर दिखा चुके उनके सहयोगी पद्मश्री चरणजीत सिंह ने उनके साथ बिताए पलों को दैनिक जागरण से बातचीत में साझा किया। बलबीर सीनियर के गुजरने का जिक्र होते चरणजीत सिंह भावुक हो गए।

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पद्मश्री ने बताया कि ऐसा भी वक्त था जब वर्ष 1952 और उसके बाद भारतीय हॉकी में बलबीर सिंह सीनियर के नाम का डंका बजा करता था। कई पुराने हॉकी खिलाड़ी उनकी खेल शैली के मुरीद थे। फारवर्ड खिलाड़ी की आक्रामक खेल शैली होती थी और भाषा भी उनकी ऐसी ही थी। दिल इतना कोमल कि मामूली बात पर भी भावुक हो जाते।

उन्हें उनके खेल में किसी दूसरे का दखल कतई पसंद नहीं था। इन्हीं कारणों से बलबीर सिंह सीनियर ने भारतीय हॉकी से वर्ष 1958 के बाद खुद को अलग कर लिया। उस समय हॉकी के ही किसी बड़े पदाधिकारी के साथ कुछ मनमुटाव के कारण वह टीम में भी नहीं आए। हालांकि देश के भीतर कई घरेलू श्रृंखलाओं में उनके साथ खेलने का अवसर प्राप्त हुआ और वे अनुभव बहुत अच्छे रहे।

चरणजीत कहते हैं कि यह खिलाड़ी जिंदादिल था। इसके लिए कभी किसी सहयोगी के मुंह से बुरे शब्द नहीं निकलते थे। सभी उनकी आदत से भी वाकिफ हो चुके थे। बेशक वे हॉकी टीम से अलग हो गए, लेकिन उनके दिल से हॉकी प्रेम अलग नहीं हो पाया। देश की टीम की चिंता और जब जीत मिली तो उन्होंने भी व्यक्तिगत तौर पर खिलाडिय़ों का उत्साह बढ़ाने में कभी कमी नहीं रखी। हॉकी को स्वर्णिम युग में पहुंचाने वाले ऐसे खिलाडिय़ों को भारतीय हॉकी कभी नहीं भुला सकती है।


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