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सर्दियां शुरू होते ही भेड़पालकों ने किया पहाड़ों से मैदान का रुख, भेड़-बकरियों में बीमारी ने बढ़ाई परेशानी

Shephard भेड़ पालन व्यवसाय से जुड़े चरवाहे कई तरह की समस्याओं से जूझ रहे हैं। दावे तो बहुत होते हैं पर इनकी समस्याओं का समाधान नहीं हो रहा है। दरअसल इन दिनों पहाड़ से मैदान की तरफ भेड़पालक अपनी भेड़ बकरियों को ले जाते हैं।

By Rajesh SharmaEdited By: Published: Wed, 28 Oct 2020 08:59 AM (IST)Updated: Wed, 28 Oct 2020 08:59 AM (IST)
सर्दियां शुरू होते ही भेड़पालकों ने किया पहाड़ों से मैदान का रुख, भेड़-बकरियों में बीमारी ने बढ़ाई परेशानी
भेड़ पालन व्यवसाय से जुड़े चरवाहे कई तरह की समस्याओं से जूझ रहे हैं।

धर्मशाला, नीरज व्यास। भेड़ पालन व्यवसाय से जुड़े चरवाहे कई तरह की समस्याओं से जूझ रहे हैं। दावे तो बहुत होते हैं पर इनकी समस्याओं का समाधान नहीं हो रहा है। दरअसल इन दिनों पहाड़ से मैदान की तरफ भेड़पालक अपनी भेड़ बकरियों को ले जाते हैं। पहाड़ों में बर्फ गिरने व सर्दियां बढ़ने से पहले पहले मैदानों का रुख कर लेते हैं। इन दिनों पहाड़ों से मैदान का रुख कर चुके भेड़पालकों की भेड़ों को खुर रोग ने परेशान कर रखा है। साढ़े सात सौ के करीब भेड़ें खुर रोग से पीड़ित हैं। इस रोग में खुर में सड़न हो जाती है, जिस कारण भेड़ें चलने में असमर्थ हो जाती है। जिस कारण चरवाहे उन्हें एक स्थान से अन्य स्थान में नहीं ले जा पाते। ऐसे में उन्हें भेड़ को सस्ते दामों पर ही कसाई को बेचना पड़ता है, जबकि उसकी उन्हें अच्छी कीमत मिल सकती है।

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बताया जा रहा है कि कुआरसी से इंद्रू हार पास से त्रियूंड होकर मैदान की तरफ बढ़ रहे भेड़पालक भेड़ों की खुर बीमारी से पीड़ित हैं। इसके समाधान के लिए भेड़पालक पशुपालन विभाग के चिकित्सालय भी गए पर उन्हें दवाई तक नहीं मिली। जिससे उनकी समस्या का समाधान नहीं हो सका है।

इन भेड़पालकों की भेड़ें हैं खुर बीमारी से पीड़ित

80 वर्षीय प्रीतम, 78 वर्षीय प्रमोध, 38 वर्षीय लेख राज, 65 वर्षीय सोहन, जोंगा राम, फंन व लेखराज की इलाका से लेकर त्रियूंड व भागसू नाग तक 4000 भेड़-बकिरयां हैं। अलग-अलग स्थानों पर भेड़पालक ठहरे हैं और अपनी भेड़ों को मैदानों की तरफ ले जा रहे हैं। इन भेड़पालकों की करीब साढ़े सात सौ भेड़े खुर बीमारी से प्रभावित हैं।

दवाएं खरीदकर भेड़पालकों तक पहुंचाई

गद्दी समुदाय के प्रवक्‍ता पीसी नेहरिया का कहना है धौलाधार की तलहटी में ल्हास कुड, इलाका, त्रियूंड व भागसूनाग में अलग-अलग चरवाहों की करीब 4000 भेड़ बकरियां हैं। इनमें से 750 भेड़ बकरी खुर के रोग से ग्रस्त है। भेड़ों के उपचार के लिए पशुपालन विभाग के पास दवा तक नहीं है। ऐसे में उन्होंने खुद अपने पैसे से दवाई खरीदी और तरकड़ी, इलाका, मुरहुड, आटी, चूरी में अपनी भेड़ों के साथ बैठे भेड़पालकों तक दवाई पहुंचाई। अब कुछ भेड़ पालक भागसू नाग के आसपास अपनी भेड़ों के साथ पहुंचे हैं। इन्हें बेहतर उपचार पशुपालन विभाग दे सकता है। इसके लिए जल्द ही पशुपालन विभाग के उपनिदेशक से भी मिलेंगे।

नहीं मिल रही सुविधाएं

एक्‍ट‍िविस्‍ट पवन पुरोहित ने कहा भेड़पालकों को न तो उनके हक मिले हैं और न ही भेड़ों को समय पर उपचार मिलता है। पहले भेड़ें लीवर की बीमारी से ग्रस्त हुई थी तब भी उन्हें आगे आना पड़ा था अब खुर रोग से पीड़ित हैं तब भी दवा नहीं मिल रही है। पशुपालन विभाग व सरकार को इस बारे गंभीरता से सोचना होगा। करोड़ों रुपये के इस व्यवसाय के संरक्षण की अावश्यकता है।

चिकित्‍सकों की टीम भेजी जाएगी

पशुपालन विभाग, धर्मशाला के उपनिदेशक डॉ. संजीव धीमान का कहना है भेड़ों को उचित उपचार दिलवाया जाएगा। इसके लिए पशु चिकित्सकों की टीम को जांच के लिए भेजा जाएगा। भेड़पालकों को समस्या नहीं आने दी जाएगी।


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